मेरी किताब के विमोचन में जब नहीं आ सके अटल, तो मुझे गहरी पीड़ा हुईः आडवाणी
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मेरी किताब के विमोचन में जब नहीं आ सके अटल, तो मुझे गहरी पीड़ा हुईः आडवाणी

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर राजधानी दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में सोमवार को शोक सभा का आयोजन किया गया.

फोटो ANI

नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर राजधानी दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में सोमवार को शोक सभा का आयोजन किया गया. शोकसभा को संबोधित करते हुए बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा कि अटल को बिना किसी सभा को संबोधित करूंगा. आडवाणी ने कहा कि 'मैंने जब अपनी आत्मकथा लिखी थी, तो उसमें अटलजी का उल्लेख था, लेकिन जब उस पुस्तक का विमोचन हुआ, लेकिन उसमें अटलजी नहीं आए तो मुझे बहुत दुख हुआ.' उन्होंने कहा कि अटल की अनुपस्थिति में बोलने पर कष्ट हो रहा है.  

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अटल जी से मेरी दोस्ती 65 साल तक रही- आडवाणी 
आडवाणी ने अटल जी को अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि उन्होंने कभी ऐसी सभा को संबोधित नहीं किया, जिसमें अटलजी ना हों, लेकिन आज ऐसा हो रहा है कि अटलजी हमारे बीच नहीं है, ऐसे में मुझे बहुत कष्ट हो रहा है. उन्होंने कहा कि मैं सौभाग्यशाली हूं कि मेरी अटलजी से मित्रता 65 साल तक रही. हम लोग साथ-साथ पुस्तकें पढ़ते थे, सिनेमा साथ-साथ देखते थे. साथ-साथ घूमने जाते थे. उन्होंने कहा कि अटलजी की विशेषताओं में एक विशेषता यह थी कि वह भोजन भी पकते थे. उन्होंने कहा कि हमने अटलजी से हमने बहुत कुछ सीखा है और बहुत कुछ पाया है. इसलिए उनके दूर जाने का बहुत दुख है. अगर हम उनकी बताई बातों को ग्रहण करके जीवन जीएं तो यही उनके लिए बड़ी श्रद्धांजलि होगी.

पीएम मोदी ने भी दी श्रद्धांजलि
वहीं, आडवाणी से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 'जीवन कितना लंबा हो, यह हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन जीवन कैसा हो, यह हमारे हाथ में है. अटल जी ने यह जी कर दिखाया कि जीवन कैसा हो, क्यों हो, किसके लिए हो. जीवन सच्चे अर्थ में वही जी सकता है जो पल को जीना जानता है. किशोर अवस्था से लेकर जब तक जीवन ने साथ दिया, अटल जी ने सामान्य मानव के लिए जीवन जीया.'

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अटल जी को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित इस शोकसभा में तमाम दलों और सामाजिक संगठनों के लोग शामिल हुए. 

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