फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है. माना जाता है कि सृष्टि का प्रारंभ इसी दिन से हुआ था. यह भी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव का विवाह माता पार्वती से हुआ था.
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नई दिल्ली: फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है. माना जाता है कि सृष्टि का प्रारंभ इसी दिन से हुआ था. यह भी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव का विवाह माता पार्वती से हुआ था. साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. इसी दिन से जुड़ी एक और मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव ने कालकूट नामक विष को अपने कंठ में रख लिया था, जो समुद्र मंथन के दौरान बाहर आया था. इस विशेष दिन पर सही समय और सही विधि से पूजा कर आप भी भगवान शिव का आशीर्वाद पा सकते हैं.
पूजा का मुहूर्त
इस बार महाशिवरात्रि 13 फरवरी की रात 11:34 बजे से शुरू हो जाएगी. ये मुहूर्त 14 फरवरी को रात 12:47 तक रहेगा. श्रवण नक्षत्र 14 फरवरी की सुबह शुरू होगा, ऐसे में इसी दिन महाशिवरात्रि मनाना शुभ होगा.
14 फरवरी को स्नान करने के बाद सुबह 7 बजे से पूजा शुरू की जा सकती है. इसके बाद सुबह 11:15, दोपहर 3:30 बजे पूजा के लिए शुभ है. शाम के लिए 5:15 बजे का समय लाभकारी है. रात के समय 8 बजे और 9:31 बजे का समय अत्यंत शुभ है. चार प्रहर पूजन का समय: गोधूलि बेला से प्रारंभ कर के ब्रह्म मुहूर्त तक करना चाहिए. चार प्रहर में यदि पूजा करना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि आप पूजा किसी पंडित से करवाएं ताकि पूजा विधि में कोई गलती न हो और आपको इसका लाभकारी फल मिल सके. ऐसा करना जातक के लिए सबसे उत्तम होगा.
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पूजा की विधि
सर्वप्रथम जल से प्रोक्षणी करके अपने ऊपर जल छिड़कें.
मंत्र : ऊं अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थाम् गतो पि वा. य: स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स वाह्याभ्यन्तर: शुचि:.
3 बार आचमन करके हाथ धो लें.
आचमन मंत्र: ऊं केशवाय नमः, ऊं माधवाय नमः, ऊं गोविंदाय नमः
हाथ धोने का मंत्र: ऊं ऋषि केशाय नमः हस्तो प्रक्षालपम
अब स्वस्तिवाचन करें.
स्वस्ति न इंद्रो वृद्धश्रवा:, स्वस्ति ना पूषा विश्ववेदा:, स्वस्ति न स्तारक्ष्यो अरिष्टनेमि स्वस्ति नो बृहस्पति र्दधातु.
इसके उपरांत दीपक प्रज्वलित करें.
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