संजय राउत ने कहा, 'हम बेलगाम जाने की इजाजत चाहते हैं, न कि पाकिस्तान. बेलगाम महाराष्ट्र का है, दोनों का इतिहास एक-समान है, दोनों की संस्कृति एक जैसी है.'
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मुंबई: कर्नाटक और महाराष्ट्र की सीमा पर बसे बेलगाम जिले को लेकर शिवसेना ने मोर्चा खोल दिया है. शिवसेना ने साफतौर पर इस सीमाई क्षेत्र को महाराष्ट्र का हिस्सा बताया. इतना ही पार्टी ने कहा कि अदालत का आदेश आने तक इसे केंद्रशासित प्रदेश घोषित कर दिया जाए. शिवसेना के प्रवक्ता और सांसद संजय राउत ने गुरुवार (29 मार्च) को कहा, 'हम बेलगाम जाने की इजाजत चाहते हैं, न कि पाकिस्तान. बेलगाम महाराष्ट्र का है, दोनों का इतिहास एक-समान है, दोनों की संस्कृति एक जैसी है. इस सीमाई क्षेत्र पर कोर्ट फैसला करेगी. तब तक के लिए हम मांग करते हैं कि इस क्षेत्र को संघीय प्रदेश घोषित किया जाए.'
We seek permission to go to Belgaum, not Pakistan. Belgaum is Maharashtra's, history of both is similar, culture is similar. Court will decide on this border area. Till then, we demand this border region be declared as Union Territory: Sanjay Raut in #Karnataka's Belgaum(29.3.18) pic.twitter.com/uqXen1kWke
— ANI (@ANI) March 30, 2018
संजय राउत ने कहा, 'जब कभी बेलगाम और दूसरे सीमाई इलाकों में जनता के साथ नाइंसाफी होती है, तो इसका असर महाराष्ट्र के सभी हिस्सों में देखा जा सकता है. यदि कश्मीर, कावेरी, सतलज और बेलगाम का मुद्दा लोकशाही (लोकतंत्र) के जरिए हल नहीं किया जाता, फिर हम ठोकशाही (हिंसा) का चुनाव करेंगे.'
Whenever injustice is done to people in Belgaum & other border areas, its effect can be seen in all parts of Maharashtra. If issue of Kashmir, Cauvery, Sutlej or Belgaum isn't solved through 'lokshahi' (Democracy), we should opt for 'thokshahi' (violence): Sanjay Raut, Shiv Sena pic.twitter.com/qJFPqOzNVb
— ANI (@ANI) March 30, 2018
लोकतंत्र के स्तंभों को ध्वस्त किया जा रहा है: शिवसेना
इससे पहले कर्नाटक चुनाव की तारीख कथित तौर पर लीक होने के मामले में शिवसेना ने भाजपा पर तीखा हमला करते हुए कहा कि लोकतंत्र के स्तंभों को ध्वस्त किया जा रहा है. शिवसेना ने चुनाव आयोग पर सरकार के दबाव में काम करने का आरोप लगाया. पार्टी ने चुनाव आयोग से सवाल किया है कि वह‘ भाजपा के अनुरूप’ काम कर रही है. शिवसेना की यह टिप्पणी भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख के एक विवादित ट्वीट के संबंध में आयी थी. दरअसल भाजपा के आईटी सेल प्रमुख ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तारीख की घोषणा चुनाव आयोग से पहले कर दी थी.
पार्टी ने कहा, “ऐसा माना जाता था कि चुनाव आयोग निष्पक्ष रहेगा लेकिन कर्नाटक चुनाव में यह साबित नहीं हो पाया.” शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा, “जैसा कि विपक्ष दावा करता है कि चुनाव आयोग सरकार के दबाव में काम कर रहा है. यह बात भाजपा ने सही साबित कर दी है.”
भाजपा और चुनाव आयोग में सांठगांठ का आरोप
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी का कहना है, “भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय नाम के व्यक्ति ने चुनाव आयोग से भी पहले विधानसभा चुनाव की तारीख जारी कर दी. क्या किसी व्यक्ति द्वारा यह जानकारी लीक की गई या फिर चुनाव आयोग ने भाजपा की सहूलियत के हिसाब से काम करने का फैसला किया है.” शिवसेना ने अपनी सहयोगी पार्टी पर हमले करते हुए कहा कि चुनाव आयोग के पूर्व प्रमुखों को राज्य सभा के टिकट दिए जा रहे हैं, उन्हें मंत्री बनाया जा रहा है और राज्यपाल के पद दिए जा रहे हैं. ये सभी इस बात के संकते हैं कि वह निष्पक्ष नहीं रह गए हैं.
नोटबंदी को बताया नाकामयाब फैसला
नोटबंदी के फैसले का हवाला देते हुए शिवसेना ने कहा कि सरकार का बड़े मूल्य के नोटों को चलन से बाहर करना पूरी तरह से नाकामयाब फैसला था. और यहां तक कि नोटबंदी की घोषणा से पहले ही गुजरात के एक समाचारपत्र में इस बारे में एक खबर भी प्रकाशित की गई थी. शिवसेना ने कहा, “ऐसी स्थिति में क्या संवैधानिक पदों के लिए आदर- सम्मान का भाव रह गया है? हमारे लोकतंत्र के स्तंभों को ध्वस्त किया जा रहा है. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन ने तो पहले से ही चुनाव आयोग में विश्वास खत्म कर दिया है. बाकी जो भी कुछ इसमें विश्वास बच गया था, वह कर्नाटक मुद्दे से समाप्त हो गया.
(इनपुट एजेंसी से भी)