शिवसेना ने येचुरी को बताया ‘डूबते जहाज का कप्तान’
Advertisement

शिवसेना ने येचुरी को बताया ‘डूबते जहाज का कप्तान’

माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी को ‘एक डूबते जहाज का कप्तान’ बताते हुए शिवसेना ने मंगलवार को कहा कि वाम दल देश में अपनी ‘प्रासंगिकता खो बैठा है’ और इसमें एक मजबूत विपक्ष के तौर पर उठ खड़े होने की हिम्मत नहीं है।

शिवसेना ने येचुरी को बताया ‘डूबते जहाज का कप्तान’

मुंबई : माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी को ‘एक डूबते जहाज का कप्तान’ बताते हुए शिवसेना ने मंगलवार को कहा कि वाम दल देश में अपनी ‘प्रासंगिकता खो बैठा है’ और इसमें एक मजबूत विपक्ष के तौर पर उठ खड़े होने की हिम्मत नहीं है।

माकपा के पूर्व महासचिव प्रकाश करात के कार्यकाल को ‘विफल’ बताते हुए शिवसेना ने कहा कि कभी जिस दल के पास लोकसभा में लगभग 50 सांसदों का बड़ा संख्याबल था, आज उसी के सांसदों की संख्या सिमटकर 10 से भी कम रह गई है। शिवसेना ने आज अपने मुखपत्र ‘सामना’ के एक संपादकीय में कहा कि प्रकाश करात का कार्यकाल विफल रहा। जिस दल ने पश्चिम बंगाल में लगभग तीन दशकों तक शासन किया था, उसका ममता बनर्जी ने सफाया कर दिया। एक समय था, जब लगभग 50 सदस्य लोकसभा में पार्टी का प्रतिनिधित्व करते थे। आज उनके दस सदस्य भी नहीं हैं।

संपादकीय में कहा गया कि पार्टी के पदाधिकारियों के बीच व्यापक निराशा और कुंठा है। सीताराम येचुरी को दरअसल ‘एक डूबते जहाज का कप्तान’ बनाया गया है।

रविवार को आंध्रप्रदेश के विशाखापत्तनम में आयोजित पार्टी की 21वीं कांग्रेस में येचुरी को सर्वसम्मति के साथ माकपा का नया महासचिव चुना गया था। उन्होंने 51 वर्ष पुरानी इस पार्टी के पांचवे महासचिव के तौर पर पदभार संभाला है और प्रकाश करात की जगह ली है। महाराष्ट्र में भाजपा के सहयोगी दल शिवसेना ने येचुरी की सराहना करते हुए उन्हें एक बढ़िया सांसद और अच्छा लेखक बताया। शिवसेना ने कहा कि येचुरी अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में कहीं आसानी से दूसरे राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ घुलमिल जाते हैं।

शिवसेना ने कहा कि अदभुत गुणों से संपन्न एक व्यक्ति को माकपा की जिम्मेदारी सौंपी गई है लेकिन वास्तव में अब तो पार्टी बची ही नहीं है। एक तरह से उन्हें ऐसे गांव का मुखिया बनाया गया है, जहां कोई रहता ही नहीं है। शिवसेना ने कहा कि पार्टी कभी अपना गढ़ रहे पश्चिम बंगाल में और बिहार, केरल एवं त्रिपुरा जैसे राज्यों में भी अपनी जमीन खो रही है। ऐसे में येचुरी के लिए यह चिंता का विषय होगा कि क्या माकपा एक ‘राष्ट्रीय पार्टी’ कहलाने लायक भी रहेगी? संपादकीय में कहा गया कि उनमें सरकार के खिलाफ मजबूत विपक्ष के रूप में खड़े होने की ताकत भी नहीं बची है। इसमें आगे कहा गया कि महासचिव चुने जाने के बाद, येचुरी ने अपने भाषण में कहा था कि मोदी सरकार सांप्रदायिकता, नवउदारवादी आर्थिक नीतियों और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के विघटन का एक नया त्रिशूल लेकर आई है। पार्टी को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि यह ‘त्रिशूल’ भारत के दिल को भेदकर न रख दे। यह दर्शाता है कि येचुरी ने एकबार फिर पुराना रास्ता ही पकड़ लिया है।

शिवसेना ने कहा कि सवाल यह है कि अपनी पार्टी को एकबार फिर खड़ा करने के लिए येचुरी नया क्या करेंगे?

Trending news