करीब सवा लाख जवानों को ज्‍यादा वेतन देने की मांग सरकार ने ठुकराई, सैनिक 'नाखुश'
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करीब सवा लाख जवानों को ज्‍यादा वेतन देने की मांग सरकार ने ठुकराई, सैनिक 'नाखुश'

वित्त मंत्रालय के इस फैसले से थलसेना मुख्यालय ‘‘बहुत नाखुश’’ है और वह इसकी तुरंत समीक्षा की मांग करेगा. रक्षा मंत्रालय भी इस फैसले से क्षुब्ध बताया जा रहा है. 

सुरक्षाबलों का फाइल फोटो...

नई दिल्ली : केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने थलसेना के जूनियर कमीशंड अधिकारियों (जेसीओ) सहित सशस्त्र बलों के करीब 1.12 लाख जवानों को ज्यादा सैन्य सेवा वेतन (एमएसपी) दिए जाने की बहुप्रतीक्षित मांग खारिज कर दी है. सैन्य सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि वित्त मंत्रालय के इस फैसले से थलसेना मुख्यालय ‘‘बहुत नाखुश’’ है और वह इसकी तुरंत समीक्षा की मांग करेगा. रक्षा मंत्रालय भी इस फैसले से क्षुब्ध बताया जा रहा है. 87,646 जेसीओ और नौसेना एवं वायुसेना में जेसीओ के समकक्ष 25,434 कर्मियों सहित करीब 1.12 लाख सैन्यकर्मी इस फैसले से प्रभावित होंगे.

सूत्रों ने बताया कि मासिक एमएसपी 5,500 रुपए से बढ़ाकर 10,000 रुपए करने की मांग थी. यदि सरकार ने मांग मान ली होती तो इस मद में हर साल 610 करोड़ रुपए खर्च होते. सैनिकों की विशिष्ट सेवा स्थितियों और उनकी मुश्किलों को देखते हुए सशस्त्र बलों के लिए एमएसपी की शुरुआत की गई थी.

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एक सूत्र ने बताया, ‘‘जेसीओ और नौसेना एवं वायुसेना में इसकी समकक्ष रैंक के लिए उच्चतर एमएसपी के प्रस्ताव को वित्त मंत्रालय ने खारिज कर दिया है.’’ अभी एमएसपी की दो श्रेणियां हैं- एक अधिकारियों के लिए और दूसरी जेसीओ एवं जवानों के लिए.

सातवें वेतन आयोग ने जेसीओ और जवानों के लिए मासिक एमएसपी 5,200 रुपए तय की थी, जबकि लेफ्टिनेंट रैंक और ब्रिगेडियर रैंक के बीच के अधिकारियों के लिए एमएसपी के तौर पर 15,500 रुपए तय किए थे.

थलसेना जेसीओ के लिए ज्यादा एमएसपी की मांग करती रही है. उसकी दलील है कि वे राजपत्रित अधिकारी (ग्रुप बी) हैं और सेना की कमान एवं नियंत्रण ढांचे में अहम भूमिका निभाते हैं.

एक सैन्य अधिकारी ने अपने नाम का खुलासा नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘‘चूंकि जेसीओ ग्रुप बी के राजपत्रित अधिकारी होते हैं और उनकी सेवा की अवधि भी लंबी होती है, लिहाजा उन्हें जवानों के बराबर की एमएसपी देना गलत है. यह बहुत अनुचित है.’’ 

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सूत्रों ने बताया कि थलसेना ने रक्षा मंत्री के सामने इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया था. तीनों सेनाओं और रक्षा मंत्रालय का इस मामले में एक ही रुख है. एमएसपी की शुरुआत पहली बार छठे वेतन आयोग ने की थी. यूरोपीय देशों में सशस्त्र बलों के जवानों के लिए एमएसपी की अवधारणा काफी प्रचलित है.

सशस्त्र बल जेसीओ और इसके समकक्ष रैंकों के लिए एमएसपी की अलग राशि तय करने की मांग कर रहे थे. पिछले साल नवंबर में थलसेना ने साफ किया था कि जेसीओ राजपत्रित अधिकारी होते हैं. थलसेना ने सात साल पुराने उस नोट को भी खारिज कर दिया था, जिसमें उन्हें ‘अराजपत्रित’ अधिकारी करार दिया गया था.

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