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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (Uttar Pradesh Panchayat Election) कई दिग्गजों के रिश्तेदारों को पराजय का सामना करना पड़ा है. इस बार सपा के गढ़ मैनपुरी में हैरान करने वाले नतीजे आए. समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की भतीजी और पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव की बहन मैनपुरी की पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष संध्या यादव जिला पंचायत सदस्य का चुनाव हार गईं.
संध्या यादव (Sandhya Yadav) ने मैनपुरी जिले के वार्ड नंबर 18 से भारतीय जनता पार्टी (BJP) उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और उन्हें समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के प्रमोद यादव ने पराजित किया. भाजपा जिलाध्यक्ष प्रदीप चौहान ने बताया कि संध्या यादव जिला पंचायत की अध्यक्ष थीं और वह सपा के टिकट पर पिछला चुनाव जीती थीं लेकिन बाद में भाजपा में शामिल हो गईं और भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ीं लेकिन हार गईं. मैनपुरी से सपा के विधायक राजकुमार उर्फ राजू यादव की पत्नी वंदना यादव वार्ड नंबर 28 से जिला पंचायत सदस्य के लिए किस्मत आजमा रही थीं लेकिन उन्हें निर्दलीय प्रत्याशी जर्मन यादव ने हरा दिया.
इसके अलावा समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और राज्य विधान सभा में विपक्ष के नेता राम गोविंद चौधरी के बेटे सहित अनेक सूरमाओं के रिश्तेदारों को भी पराजय का सामना करना पड़ा है. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, सपा के वरिष्ठ नेता राम गोविंद चौधरी के बेटे रंजीत चौधरी बलिया के जिला पंचायत के वार्ड संख्या 16 से पराजित हो गए हैं. वह तीसरे स्थान पर रहे. भाजपा के बिल्थरारोड क्षेत्र के विधायक धनन्जय कन्नौजिया की मां सर्यकुमारी देवी नगरा क्षेत्र पंचायत के वार्ड संख्या 19 से चुनाव हार गई हैं.
इसके अलावा भाजपा (BJP) के पूर्व सांसद हरिनारायण राजभर के बेटे अटल राजभर भी बलिया के जिला पंचायत के वार्ड संख्या 24 से, सपा नेता व पूर्व मंत्री शारदा नन्द अंचल के पौत्र विनय प्रकाश अंचल जिला पंचायत के वार्ड संख्या 27 से तथा भाजपा के गोरक्षनाथ प्रांत के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष देवेंद्र यादव जिला पंचायत के वार्ड संख्या 10 से चुनाव हार गए हैं. वहीं भाजपा सांसद नीरज शेखर के निकट सम्बन्धी आलोक सिंह सीयर क्षेत्र पंचायत के मझौवा से क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव हार गए हैं. अलबत्ता बसपा नेता एवं पूर्व मंत्री अम्बिका चौधरी के पुत्र आनन्द चौधरी जिला पंचायत के वार्ड संख्या 44 से चुनाव जीत गये हैं.
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आजादी के बाद पहली बार समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव के पैतृक गांव सैफई का प्रतिनिधित्व एक दलित व्यक्ति करेगा. मुलायम सिंह यादव के करीबी विश्वासपात्र रामफल वाल्मीकि को सैफई के ग्राम प्रधान के रूप में चुना गया है, जहां 48 वर्षों के लंबे समय के बाद पहली बार चुनाव हुए थे. सैफई में वाल्मीकि के खिलाफ केवल एक उम्मीदवार मैदान में था जो 19 अप्रैल को चुनाव में गया था. रामफल वाल्मीकि ने अपने प्रतिद्वंदी विनीता को बड़े अंतर से हराया. वाल्मीकि को कुल 3,877 वोट मिले, जबकि विनीता को सिर्फ 15 वोट मिले.
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