केंद्रीय विवि से निष्कासित छात्रों के मुद्दे पर दखल नहीं : स्मृति ईरानी
Advertisement
trendingNow1290354

केंद्रीय विवि से निष्कासित छात्रों के मुद्दे पर दखल नहीं : स्मृति ईरानी

जेएनयू सहित कुछ केंद्रीय विश्वविद्यालयों के छात्रों के निलंबन के मुद्दे पर हस्तक्षेप से साफ तौर पर इंकार करते हुए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने आज कहा कि चूंकि ये शिक्षण संस्थान स्वायत्त संस्थाएं हैं इसलिए वह हस्तक्षेप कर नए विवादों को जन्म देना नहीं चाहतीं।

केंद्रीय विवि से निष्कासित छात्रों के मुद्दे पर दखल नहीं : स्मृति ईरानी

नई दिल्ली : जेएनयू सहित कुछ केंद्रीय विश्वविद्यालयों के छात्रों के निलंबन के मुद्दे पर हस्तक्षेप से साफ तौर पर इंकार करते हुए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने आज कहा कि चूंकि ये शिक्षण संस्थान स्वायत्त संस्थाएं हैं इसलिए वह हस्तक्षेप कर नए विवादों को जन्म देना नहीं चाहतीं।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के कामकाज पर हुई चर्चा का राज्यसभा में जवाब देते हुए स्मृति ईरानी ने कहा कि वह संसद द्वारा पारित किए गए कानूनों से बंधी हुई हैं। इसलिए वह विश्वविद्यालयों द्वारा किए गए प्रशासनिक निर्णयों में हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं। इन मामलों में संबंधित विश्वविद्यालय का प्रशासन ही निर्णय कर सकता है। उन्होंने कहा कि वह नहीं चाहतीं कि उनके हस्तक्षेप करने से नए विवादों का जन्म हो जाए।

इससे पहले कांग्रेस के आनंद भास्कर रपोलू ने उनसे स्पष्टीकरण मांगते हुए यह जानना चाहा था कि क्या कुछ केंद्रीय विश्वविद्यालयों द्वारा पिछले दिनों कुछ छात्रों को निष्कासित करने के मामले में वह हस्तक्षेप करेंगी और प्रभावित छात्रों को राहत दिलवाएंगी।

गौरतलब है कि जवाहरलाल नेहरू (जेएनयू) विश्वविद्यालय ने पिछले माह शोधार्थी उमर खालिद तथा अनिर्वाण भट्टाचार्य को निष्कासित कर दिया था तथा कन्हैया कुमार पर 10,000 रूपये का जुर्माना किया था। यह कार्रवाई उस विवादास्पद कार्यक्रम में उनकी कथित संलिप्तता को लेकर की गई जो संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु की याद में विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित किया गया था।

केंद्र द्वारा स्कूली पाठ्यक्रमों में हस्तक्षेप के आरोपों से इंकार करते हुए स्मृति ने कहा कि यह राज्य का विषय है और राज्य ही स्कूली पाठ्यक्रम तय करते हैं। हमारी भूमिका महज सुविधा प्रदाता की है। मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि सरकार देश के सभी सरकारी स्कूलों में बच्चों की निगरानी की प्रणाली (चाइल्ड ट्रैकिंग मैकेनिज्म) शुरू करने पर काम कर रही है।

उन्होंने कहा कि इसे आधार संख्या से जोड़ा जाएगा। स्मृति ने कहा कि इसमें न केवल बच्चों बल्कि अध्यापकों को भी शामिल किया जाएगा। इससे बच्चों के शिक्षा प्रदर्शन पर नजर रखी जा सकेगी। साथ ही शिक्षा अधूरी छोड़ने वाले बच्चों के बारे में भी जानकारी मिल सकेगी। उन्होंने कहा कि 15 राज्यों में इस योजना पर काम चल रहा है।

स्कूलों में अध्यापकों की भारी कमी के मुद्दे पर मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि शिक्षकों की भर्ती और उनके तबादले का काम राज्य करते हैं। उन्होंने कहा कि जब कुछ राज्यों ने केंद्र से शिक्षकों के अतिरिक्त पदों को सृजित करने के लिए आर्थिक सहायता मांगी तो राज्यों से कहा गया कि पहले वे अपने यहां खाली पदों को भरें।

स्मृति ने कहा कि केंद्र सरकार अध्यापकों के खाली पड़े पदों को लेकर कितनी गंभीरता से काम कर रही है, इस बात का पता इस तथ्य से चलता है कि 2012-13 में अध्यापकों के खाली पड़े 40,000 पदों को भरा गया जबकि 2014-15 एवं 2015-16 में ऐसे एक लाख पदों को भरा गया। मंत्री ने कहा कि शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए अलग से काडर बनाए जाने के मामले में 15 से 18 राज्यों ने रूचि दिखाई है। 

शिक्षण संस्थानों में केंद्र द्वारा संस्कृत थोपे जाने के कुछ आरोपों पर स्मृति ने कहा कि सरकार ने एक आईआईटी परिपत्र जारी किया था। इसमें कहा गया था कि संस्कृत भाषा में उपलब्ध ज्ञान और विज्ञान की प्राचीन जानकारी को भी इच्छुक छात्रों को उपलब्ध कराया जाएगा। मंत्री ने कहा कि ऐसा लगता है मानो यह ‘संस्कृत फोबिया है’। उन्होंने कहा कि भारत सरकार या एनसीईआरटी ने पाठ्यक्रमों में कोई बदलाव नहीं किया है। 

स्मृति ने कारनेल विश्वविद्यालय के एक शोधार्थी का उल्लेख करते हुए कहा कि उसने विश्व के सबसे प्राचीन ज्यामितीय सूत्र ‘सुलभा सूत्र’ पर अपना अध्ययन पत्र तैयार किया है। उन्होंने कहा कि हमारे बच्चों को यदि विज्ञान एवं गणित के आधुनिक वैज्ञानिकों के बारे में बताया जाता है तो उन्हें प्राचीन भारतीय वैज्ञानिकों के बारे में जानकारी देने में क्या दिक्कत हो सकती है।

स्मृति ने वर्ष 2000 से 2009 तक पीएचडी करने वाले लोगों पर प्राध्यापक बनने के लिए नेट की परीक्षा अनिवार्य रूप से उत्तीर्ण करने की शर्त को हटाने के मोदी सरकार के फैसले को उचित ठहराते हुए कहा कि पूर्ववर्ती फैसला संप्रग सरकार द्वारा किया गया था जिसका कोई संवैधानिक आधार नहीं था। स्मृति ने बताया कि छात्रों को उनकी भाषाओं में पाठ्यक्रम उपलब्ध कराया जाए, इसके लिए सरकार भारतवाणी कार्यक्रम शुरू करने जा रही है। इसमें 22 भारतीय भाषाओं में इस साल पाठ्यक्रम उपलब्ध कराए जाएंगे। अगले वर्ष से 100 भारतीय भाषाओं में इसे उपलब्ध कराया जाएगा।

मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि इसी प्रकार नौवीं, दसवीं, ग्यारहवीं और बारहवीं के बच्चों के लिए इस साल शैक्षिक सत्र से ‘स्वयं’ नामक कार्यक्रम शुरू होगा जिसमें नि:शुल्क पाठ्यक्रम उपलब्ध कराया जाएगा। यह कार्यक्रम मोबाइल ऐप आधारित होगा।

Trending news