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नई दिल्ली : केंद्रीय कर्मियों को सातवें वेतन आयोग से बड़ा तोहफा नहीं मिलने के आसार जताए जा रहे हैं। कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, अपुष्ट तौर पर वेतन में औसत बढ़ोतरी 15 से 20 फीसदी के बीच रहने की संभावना है। जबकि न्यूनतम मूल वेतन को बढ़ाकर 15 हजार किए जाने के आसार हैं। उल्लेखनीय है कि सातवें वेतन आयोग के तहत सरकारी कर्मचारियों के वेतन में संशोधन होना है।
सूत्रों के अनुसार, वेतन आयोग अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देने में जुटा है और अगले दो महीनों में आयोग अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगा। रिपोर्टों में बताया गया है कि सातवें वेतन आयोग का मानना है कि छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद कर्मचारियों के वेतन में मिली शानदार बढ़ोतरी के बाद अब वैसी बढ़ोतरी की गुंजाइश नहीं है। वहीं, वेतन आयोग एक महत्वपूर्ण सिफारिश यह करने जा रहा है कि सरकारी कार्मिकों का अधिकतम सेवाकाल 33 साल निर्धारित किया जाए। इसका मतलब यह होगा कि यदि कोई कर्मचारी 20 साल में सरकारी नौकरी प्राप्त कर लेता है तो वह 53 साल में सेवानिवृत्त हो जाएगा। बाकी अन्य लोगों के लिए सेवानिवृत्त की आयु 60 साल ही रहेगी। इसके अलावा, न्यूनतम मूल वेतन 15 हजार रुपये करने की संभावना है। इससे छोटे कार्मिकों को फायदा होगा। गौर हो कि पिछले वेतन आयोग ने न्यूनतम मूल वेतन को 3050 रुपये बढ़ाकर 7730 रुपये किया था।
वहीं, वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी डीबीएस की एक रिपोर्ट के अनुसार सातवें वेतन आयोग का ज्यादातर बोझ आगामी वित्त वर्ष (2016-17) के बजट की ओर से वहन कर लिया जाएगा। डीबीएस का कहना है कि सातवें वेतन आयोग के कार्यान्वयन से कर्मचारियों के वेतन-भत्ते में 16 प्रतिशत तक बढोतरी हो सकती है। इसके अनुसार, अगर लागू किया गया तो सातवें वेतन आयोग का ज्यादातर असर (बोझ) वित्त वर्ष 2016-17 के बजट की ओर से वहन कर लिया जाएगा।