समाज और सिस्टम को शर्मसार करने वाली तस्वीरें इस बार फिर ओडिशा से आई हैं। छह साल की बच्ची की एंबुलेंस में मौत हो गई तो एंबुलेंस वाले ने शव को घर पहुंचाने से इनकार कर दिया। छह किलोमीटर तक बच्ची के शव को लेकर पिता रोड पर चलता रहा।
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नई दिल्ली: समाज और सिस्टम को शर्मसार करने वाली तस्वीरें इस बार फिर ओडिशा से आई हैं। छह साल की बच्ची की एंबुलेंस में मौत हो गई तो एंबुलेंस वाले ने शव को घर पहुंचाने से इनकार कर दिया। छह किलोमीटर तक बच्ची के शव को लेकर पिता रोड पर चलता रहा।
एक पिता को अपनी छह साल की बच्ची का शव केवल इसलिए हाथों में लेकर पैदल चलना पड़ा कि बच्ची ने अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया था। मुकुंद की बेटी वर्षा बीमार थी और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उसका इलाज करवा रहा था।
Malkangiri (Odisha): Shocking apathy of ambulance driver, drops child patient midway upon learning of child's death pic.twitter.com/JmRIPlYKht
— ANI (@ANI_news) September 3, 2016
बच्ची की हालत ज्यादा खराब होने के बाद उसे बेहतर इलाज के लिए मलकानगिरी अस्पताल ले जाया जा रहा था। एक एंबुलेंस से बेटी को लेकर माता और पिता मलकानगिरी के लिए रवाना हुए। इस बीच रास्ते में ही बेटी वर्षा की मृत्यु हो गयी। ऐसे में एंबुलेंस वाले से शव को उसके घर पहुंचाने से इनकार कर दिया।
अपनी बच्ची का शव हाथों में उठाए पिता 6 किलोमीटर जक रोड पर चलता रहा. रास्ते में कुछ लोग मिले तो उनको मुकुंद ने पूरी बात बताई। फिर जाकर लोगों ने एक निजी गाड़ी का इंतजाम किया और वर्षा के शव को गांव पहुंचाया गया।
मीडिया में मामला सामने आने के बाद कलेक्टर ने पूरे मामले की जांच के आदेश दिये हैं। जबकि एंबुलेंस में मौजूद स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
मुकुंद भी आदिवासी है और इससे पहले पिछले हफ्ते ही एंबुलेंस नहीं मिलने की वजह से आदिवासी दाना मांझी को भी अपनी पत्नी के शव को गठरी बनाकर उठाना पड़ा था।
दिल दहलाने वाले दोनों घटनाएं उस ओडिशा की है जहां पिछले सोलह साल से नवीन पटनायक की सरकार है। फिलहाल दाना मांझी वाले मामले में केंद्र ने ओडिशा सरकार से पूरी रिपोर्ट मांगी है।