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नई दिल्ली: जिस तकनीक से स्वदेशी फाइटर जेट तेजस में ऑक्सीजन बनाई जाती है वही तकनीक अब कोरोना के मरीजों की जान बचाएगी. डीआरडीओ (DRDO) की इस तकनीक की मदद से अगले 3 महीने में पूरे देश में 500 ऑक्सीजन प्लांट्स लगाए जाएंगे. इनमें से 380 प्लांट्स प्राइवेट इंटस्ट्री लगाएगी जिनका बनना शुरू हो चुका है. इन प्लांट की लागत प्रधानमंत्री केयर फंड के जरिए चुकाई जाएगी.
वायुमंडल से बनेगी ऑक्सीजन
इस तरह की तकनीक में प्लांट सीधे वायुमंडल से ऑक्सीजन बनाता है इस तरह अस्पतालों को सस्ती और सुलभ ऑक्सीजन मिल सकेगी. दिल्ली-एनसीआर में प्लांट लगाने के लिए 5 जगहों का चुनाव किया जा चुका है. इस तरह की ऑक्सीजन का उत्पादन होने से अस्पतालों की दूर के ऑक्सीजन प्लांट पर निर्भरता कम होगी. इस तकनीक से ऑक्सीजन सिलिंडरों की जरूरत भी कम होगी. जिसकी इस समय सबसे ज्यादा कमी है.
नॉर्थ-ईस्ट में हो रहा है इस तकनीक का इस्तेमाल
ऐसी तकनीक का इस्तेमाल भारतीय सेना नॉर्थ-ईस्ट और लद्दाख के इलाकों में पहले ही कर रही है. प्राइवेट इंडस्ट्री 380 प्लांट्स लगाएगी और देहरादून स्थित राष्ट्रीय पेट्रोलियम संस्थान 120 प्लांट्स लगाएगा. प्राइवेट इंडस्ट्री के प्लांट्स की क्षमता 1000 लीटर प्रति मिनट और राष्ट्रीय पेट्रोलियम संस्थान के प्लांट्स की क्षमता 500 लीटर प्रति मिनट होगी. ये़ प्लांट्स 93 प्रतिशत सांद्रता वाली ऑक्सीजन बनाएंगे जिन्हें सीधे अस्पताल के बेड में मरीज को दिया जा सकेगा.
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रक्षा मंत्रालय पूरी तरह एक्शन में
कोरोना (Crona) की इस त्रासदी में ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए रक्षा मंत्रालय पूरी तरह एक्शन में आ चुका है. सेना ने जहां अपने ऑक्सीजन के स्टॉक को आम लोगों के लिए खोल दिया है वहीं वायुसेना लगातार देश के अलग-अलग ऑक्सीजन प्लांट्स तक बहुत कम समय में खाली टैंकर पहुंचा रही है. इसके अलावा वायुसेना सिंगापुर और दुबई से क्रायोजेनिक ऑक्सीजन कंटेनर भी देश में लाई है. जर्मनी से 23 ऑक्सीजन प्लांट्स लाए जा चुके हैं और उनके इसी हफ्ते उत्पादन शुरू करने की उम्मीद है.
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