'पद्मावती' विवाद : महाराजाओं की 'कायरता' पर बयान देकर फंसे थरूर, स्मृति ने घेरा
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'पद्मावती' विवाद : महाराजाओं की 'कायरता' पर बयान देकर फंसे थरूर, स्मृति ने घेरा

थरूर के बयान पर निशान साधते हुए स्मृति ने कांग्रेस के उन नेताओं का जिक्र किया है जो कि राजघरानों से ताल्लुक रखते हैं

ट्विटर पर स्मृति ईरानी ने पूछा राजघरानों से संबंध रखने वाले कांग्रेस नेताओं से किए सवाल. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली : संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' जारी विवाद अब राजनीतिक रूप ले चुका है. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कांग्रेस नेता शशि थरूर के बयान पर निशाना साधा है. थरूर ने गुरुवार को कहा था कि आज जो ये 'तथाकथित जाबांज महाराजा' एक फिल्मकार के पीछे पड़े हैं और दावा कर रहे हैं कि उनका सम्मान दांव पर लग गया है, यही महाराजा उस समय भाग खड़े हुए थे जब ब्रिटिश शासकों ने उनके मान सम्मान को ‘‘रौंद’’दिया था. थरूर के इस बयान पर निशान साधते हुए स्मृति ने कांग्रेस के उन नेताओं का जिक्र किया है जो कि राजघरानों से ताल्लुक रखते हैं. 

  1. स्मृति ईरानी ने शशि थरूर पर साधा निशाना. 
  2. स्मृति ईरानी ने कांग्रेस नेताओं से किए सवाल. 
  3. कांग्रेस में राजघरानों से संबंध रखने वाले नेताओं से स्मृति ने किए सवाल.

शुक्रवार को स्मृति ईरानी ने ट्वीट करके कहा, क्या सभी महाराजाओं ने ब्रिटिश के सामने घुटने टेके थे??? शशि थरूर की इस टिप्पणी पर क्या कहेंगे ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्गी राजा और अमरिंदर सिंह? हालांकि गुरुवार को ही थरूर ने ट्विटर पर अपने बयान को लेकर सफाई दी. थरूर ने लिखा, 'कुछ भाजपाई अंधभक्तों द्वारा साज़िशन झूठा प्रचार किया जा रहा है कि मैंने राजपूत समाज के सम्मान के ख़िलाफ़ टिप्पणी की है. मैंने राष्ट्र हित में अंग्रेज़ हकूमत के कार्यकाल का विरोध करते हुए उन राजाओं की चर्चा की थी जो स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेज़ के साथ थे.

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थरूर ने कहा, 'मैं यह भी निर्भीक होकर कहूँगा की भारत की विविधता व समरस्ता के मध्यनज़र राजपूत समाज की भावनाओ का आदर किया जाना सबका कर्तव्य है। राजपूतों की बहादुरी हमारे इतिहास का हिस्सा है और इस पर कोई सवाल नहीं उठा सकता। भाजपा व उसके सेन्सर बोर्ड को इन भावनाओ का सम्मान करना चाहिए.

दरअसल गुरुवार को एक कार्यक्रम में शशि थरूर ने अपनी किताब ‘‘एन एरा आफ डार्कनेस : द ब्रिटिश एम्पायर इन इंडिया ’’ पर बातचीत कर रहे थे. इस दौरान उनसे सवाल किया गया था कि उनकी किताब  में ‘‘पीड़ा का भाव ’’ क्यों है जबकि उनकी राय यह है कि भारतीयों ने अंग्रेजों का साथ दिया था. थरूर ने कहा, ‘‘यह हमारी गलती है और मैं यह कहता हूं. सही मायने में तो मैं पीड़ा को सही नहीं ठहराता हूं . किताब में दर्जनों जगहों पर मैं खुद पर बहुत सख्त रहा हूं.कुछ ब्रिटिश समीक्षकों ने कहा है, ‘‘ वह इस बात की व्याख्या क्यों नहीं करते कि ब्रिटिश कैसे जीत गए ? और ये बेहद उचित सवाल है .....’’

यह भी पढ़ें : एक फिल्ममेकर के पीछे पड़े 'तथाकथित जांबाज महाराजा', अंग्रेजों के सामने भाग खड़े हुए थे : थरूर

उन्होंने कहा, ‘‘असलियत तो यह है कि इन तथाकथित महाराजाओं में हर एक.......जो आज मुंबई के एक फिल्मकार के पीछे हाथ धोकर पड़े हैं, उन्हें उस समय अपने मान-सम्मान की कोई चिंता नहीं थी जब ब्रिटिश इनके मान सम्मान को पैरों तले रौंद रहे थे. वे खुद को बचाने के लिए भाग खड़े हुए थे. तो इस सचाई का सामना करो .....इसलिए ये सवाल ही नहीं है कि हमारी मिलीभगत थी.’’  थरूर ने यह बयान ऐसे वक्त में दिया जब संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘‘पद्मावती’’ को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. श्री राजपूत सेना और कुछ अन्य संगठनों ने फिल्मकार पर इतिहास को तोड़ मरोड़ कर परोसने और हिंदू भावनाओं को भड़काने का आरोप लगाया है.

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