नोटबंदी के मुद्दे पर हंगामे की भेंट चढ़ा संसद का शीत सत्र
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नोटबंदी के मुद्दे पर हंगामे की भेंट चढ़ा संसद का शीत सत्र

भाषा: संसद का शीतकालीन सत्र शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया गया शीतकालीन सत्र नोटबंदी के मुद्दे पर हंगामे की भेंट चढ़ गया तथा एक माह तक चले इस सत्र में गतिरोध के कारण विशेष विधायी कामकाज नहीं होने पर दोनों सदनों में आसन की ओर से चिंता जताई गई। सत्र के दौरान नोटबंदी के मुद्दे पर बने गतिरोध से विधायी तथा अन्य कामकाज बाधित होने पर चिंता जताते हुए जहां लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि ‘इससे जनता में हमारी छवि धूमिल होती है’। वहीं राज्यसभा में सभापति हामिद अंसारी ने व्यवधान पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए सभी पक्षों से आत्मविश्लेषण का आहवान किया।

नोटबंदी के मुद्दे पर हंगामे की भेंट चढ़ा संसद का शीत सत्र

नई दिल्ली : भाषा: संसद का शीतकालीन सत्र शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया गया शीतकालीन सत्र नोटबंदी के मुद्दे पर हंगामे की भेंट चढ़ गया तथा एक माह तक चले इस सत्र में गतिरोध के कारण विशेष विधायी कामकाज नहीं होने पर दोनों सदनों में आसन की ओर से चिंता जताई गई। सत्र के दौरान नोटबंदी के मुद्दे पर बने गतिरोध से विधायी तथा अन्य कामकाज बाधित होने पर चिंता जताते हुए जहां लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि ‘इससे जनता में हमारी छवि धूमिल होती है’। वहीं राज्यसभा में सभापति हामिद अंसारी ने व्यवधान पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए सभी पक्षों से आत्मविश्लेषण का आहवान किया।

नोटबंदी पर जहां राज्यसभा में 16 नवंबर को एक दिन चर्चा हुई तथा चर्चा अधूरी रही, वहीं लोकसभा में इस पर चर्चा ही नहीं हो सकी। लोकसभा में विपक्ष इस बात पर जोर दे रहा था कि नोटबंदी पर चर्चा मतदान के प्रावधान वाले नियम के तहत की जानी चाहिए। राज्यसभा में विपक्ष चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री की उपस्थिति की मांग को लेकर अड़ गया जिससे चर्चा पूरी नहीं हो सकी।

शीतकालीन सत्र में हुई 21 बैठकों में जहां लोकसभा में 21 बैंठकों में मात्र 19 घंटे कार्यवाही हुई और व्यवधान के कारण 91 घंटे 59 मिनट का समय नष्ट हुआ, वहीं राज्यसभा में 22 से अधिक घंटे काम हुआ जबकि 86 से अधिक घंटे का समय हंगामे के कारण नष्ट हो गया।

लोकसभा की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा करने से पहले लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा, मुझे आशा है कि आगामी सत्रों में कोई व्यवधान नहीं होगा और हम सभी बेहतर ढंग से कार्य करेंगे जिसके परिणामस्वरूप सार्थक चर्चाएं एवं सकारात्मक विचार विमर्श होंगे। मुझे सभा के सभी वर्गो के नेताओं और सदस्यों से समर्थन मिलने का विश्वास है।

सुमित्रा महाजन ने सदन में व्यवधान के कारण नष्ट हुए समय का जिक्र करते हुए कहा कि यह हम सभी विशेष तौर पर मेरे लिए अच्छी बात नहीं है। इससे जनता में हमारी छवि धूमिल होती है। अध्यक्ष ने कहा, मैं आशा करती हूं कि आगामी नव वर्ष हमारे जीवन में नई आशा और नई ऊर्जा का संचार करेगा तथा हम सार्थक रूप से संकल्प लें कि नव वर्ष में हम यह सुविचारित निर्णय लेंगे कि हम सभी उपलब्ध संसदीय माध्यमों का प्रयोग करते हुए अपने मतभेद और असहमति यदि कोई हो, उसे पुरजोर तरीके से दर्ज करायेंगे और यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि सभा में कम व्यवधान और अधिक चर्चाएं हो।

सत्र के दौरान लोकसभा में वर्ष 2016.17 के अनुदान की अनुपूरक मांगों और 2013.14 के अनुदान की अतिरिक्त मांगों पर संयुक्त चर्चा हुई और इसके बाद मांगों पर मतदान हुआ और संबंधित विनियोग विधेयक पारित हुए।

सुमित्रा महाजन ने कहा कि इस सत्र के दौरान 9 सरकारी विधेयक पेश किये गए जबकि कर अधिनियम दूसरा संशोधन विधेयक 2016 तथा निशक्त जनों के सशक्तिकरण संबंधी विधेयक 2016 पारित किये गए। प्रश्नकाल के पश्चात सदस्यों द्वारा अविलम्बनीय लोक महत्व के 124 मामले उठाए गए। सदस्यों ने नियम 377 के अंतर्गत भी 311 मामले उठाए गए।

उधर, राज्यसभा के 241वें सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने से पहले अपने पारंपरिक संबोधन में अंसारी ने व्यवधान पर काफी निराशा जतायी। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि दिसंबर 2013 में 221वें सत्र के समापन पर उन्होंने जो टिप्पणी की थी, उसे दोहराने की जरूरत नहीं होगी। लेकिन उनकी उम्मीदें गलत साबित हुयी।

सत्र के दौरान सदन की कुल 21 बैठकों में नोटबंदी सहित विभिन्न मुद्दों के कारण कामकाज के 86 से अधिक घंटे हंगामे की भेंट चढ़ गए। विभिन्न दलों के सदस्यों ने कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड के गठन की मांग, श्रीलंका की नौसेना की फायरिंग से तमिलनाडु के मछुआरों की रक्षा तथा सलेम इस्पात संयंत्र के विनिवेश को रोकने की मांग पर भी हंगामा किया।

अंसारी ने हंगामे और गतिरोध पर कटाक्ष करते हुए कहा कि नियमित और लगातार व्यवधान इस सत्र की खासियत रही। हंगामे के कारण सदस्यों को सवालों तथा लोक महत्व के विभिन्न मुद्दों के तहत कार्यपालिका को जवाबदेह बनाने का मौका नहीं मिल सका। अंसारी ने कहा कि नारेबाजी, पोस्टर दिखाने और कार्यवाही को बाधित किए जाने से संबंधित नियमों की सदन के सभी पक्षों द्वारा लगातार अवहेलना की गयी। उन्होंने कहा कि सदन में शांति सिर्फ उसी समय रही जब दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि दी जा रही थी।

अंसारी ने कहा कि सदन के सभी तबकों को असंतोष, व्यवधान और आंदोलन के बीच अंतर पर आत्मविश्लेषण करने की आवश्यकता है।

सभापति ने कहा कि शीतकालीन सत्र के पहले दिन यानी 16 नवंबर और 24 नवंबर को नोटबंदी के मुद्दे पर उपयोगी चर्चा हुयी। लेकिन चर्चा अधूरी रही। सत्र के दौरान सदन ने 14 दिसंबर को निशक्त व्यक्ति अधिकार विधेयक 2016 पारित किया।

सत्र को अनिश्चित काल के लिए स्थगित किए जाने के अवसर पर लोकसभा और राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मौजूद थे।

उच्च सदन में शीतकालीन सत्र के दौरान सरकारी विधायी कामकाज के नाम पर निशक्त व्यक्ति अधिकार विधेयक 2016 संक्षिप्त चर्चा के बाद 14 दिसंबर को पारित हुआ। चूंकि इस विधेयक को लेकर सभी दलों में सहमति थी इसलिए इस विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया गया। इस विधेयक पर सरकार के 120 संशोधन थे।

सत्र में हंगामे के कारण कोई उल्लेखनीय गैर सरकारी कामकाज भी नहीं हो पाया। हंगामे के बीच 12 निजी विधेयकों को पेश किया गया और एक निजी संकल्प पर कुछ देर चर्चा हो पाई। किन्तु किसी भी शुक्रवार को भोजनावकाश के बाद पूरे निर्धारित समय गैर सरकारी कामकाज नहीं हो पाया।

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