DNA: बहुसंख्यक हिंदू 8 फीसदी घटे, मुस्लिम 43 प्रतिशत बढ़ गए; फिर भारत में अल्पसंख्यकों के साथ उत्पीड़न कैसे हुआ?
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DNA: बहुसंख्यक हिंदू 8 फीसदी घटे, मुस्लिम 43 प्रतिशत बढ़ गए; फिर भारत में अल्पसंख्यकों के साथ उत्पीड़न कैसे हुआ?

DNA on Hindu Population Report: भारत में रहने वाले वामपंथी और कथित उदारवादी अल्पसंख्यकों के साथ उत्पीड़न का रोना रहते हैं. हाल में सामने आई एक स्टडी रिपोर्ट ने इस प्रोपेगंडा की धज्जियां उड़ा दी है.

 

DNA: बहुसंख्यक हिंदू 8 फीसदी घटे, मुस्लिम 43 प्रतिशत बढ़ गए; फिर भारत में अल्पसंख्यकों के साथ उत्पीड़न कैसे हुआ?

Religious Population Latest Report: हिन्दुओं के देश में हिन्दू ही सुरक्षित नहीं हैं. हिन्दू अपने ही देश में शरणार्थी बनता जा रहा है. हिन्दू अपने ही देश में अपने त्योहार भी नहीं मना सकता. हिन्दुओं के हक़ छीनकर किसी और को देने की साज़िश है. हिन्दुओं के घर-दुकान भी छीने जा सकते हैं. हिन्दू महिलाओं का मंगलसूत्र तक छिन सकता है.

इन लोकसभा चुनावों के प्रचार में आप लगातार इस तरह के बयान सुन रहे हैं. एक नैरेटिव चल रहा है तो उसके जवाब में भी कहा जा रहा है कि जिस देश में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से लेकर ज़्यादातर मंत्री हिन्दू हों, तीनों सेना के चीफ़ भी हिन्दू हों. वहां हिन्दू को भला क्यों और कैसे खतरा हो सकता है? कहा जा रहा है कि हिन्दुओं को डरा हुआ बताने के पीछे सिर्फ़ राजनीति है.

भारत में 8 प्रतिशत घटी हिंदू आबादी

लेकिन आज हम एक रिपोर्ट आपके सामने रखने जा रहे हैं. इस रिपोर्ट में जो आंकड़े हैं, उन्हें देखने के बाद आप खुद इस बात को जांच-परख सकते हैं, इसका analysis कर सकते हैं कि क्या देश में आबादी का संतुलन बिगड़ने की ओर है?और क्या बहुसंख्यक हिन्दुओं के लिये ये वाकई बड़ी चिंता का विषय है?

सबसे पहले आपको इस रिपोर्ट का ब्रेकिंग प्वाइंट बताते हैं. वो ये है कि भारत में हिन्दुओं की आबादी में हिस्सेदारी 8 प्रतिशत तक कम हो गई है. सही आंकड़ा 7.82 प्रतिशत है यानी 8 प्रतिशत के ही करीब है. दूसरी तरफ़ आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी 43.15 प्रतिशत बढ़ गई है. यानी भारत की जनसंख्या में हिन्दू घट रहे हैं और मुसलमान तेज़ी से बढ़ रहे हैं, ये रिपोर्ट है.

पीएम की आर्थिक सलाहकार परिषद ने जारी की रिपोर्ट

भारत की आबादी में कितना अंतर आया है..कौन कितना बढ़ा है और कौन-कौन घटा है. इसके विस्तार में जाने से पहले आपको बताते हैं कि ये रिपोर्ट क्या है, किसने बनाई है और इसका आधार क्या है. ये स्टडी रिपोर्ट प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने जारी की है.

1950 में भारत की आबादी में हिन्दुओं का हिस्सा 84.68 प्रतिशत था, जो 2015 में 78.06 रह गया. यानी आबादी में हिन्दू हिस्सेदारी इन 65 वर्षों में 7.82 प्रतिशत कम हो गई है. वहीं 1950 में भारत की आबादी में मुसलमानों का हिस्सा सिर्फ 9.84 प्रतिशत था, जो 2015 में बढ़कर 14.09 प्रतिशत हो गया. यानी मुस्लिम हिस्सेदारी 43.15 प्रतिशत बढ़ गई है.

भारत में मुसलमानों-ईसाइयों की खूब बढ़ी आबादी

अब ईसाइयों की जनसंख्या देखें तो 1950 में ईसाइयों की आबादी में हिस्सेदारी 2.24 प्रतिशत थी, जो 2015 में बढ़कर 2.36 प्रतिशत हो गई. ये इज़ाफ़ा 5.38 प्रतिशत का है. तीसरे अल्पसंख्यक समुदाय सिखों का भी आबादी में हिस्सा बढ़ा है. 1950 में ये 1.24 प्रतिशत था, जो 2015 में 1.85 प्रतिशत हो गया. ये बढ़ोतरी 6.58 प्रतिशत की है.

चौथी अल्पसंख्यक आबादी बौद्धों की है. 1950 में बौद्धों का आबादी में हिस्सा 0.05 प्रतिशत था, जो 2015 में बढ़कर 0.81 प्रतिशत हुआ है. सिर्फ़ दो अल्पसंख्यक समुदाय हैं जिनका आबादी में हिस्सा घटा है. ...जैनों का हिस्सा 1950 में 0.45 प्रतिशत था, जो 2015 में घटकर 0.36 प्रतिशत हो गया.

पारसी और जैनियों की 74 साल में घटी जनसंख्या

इसी तरह आबादी में पारसियों का भी हिस्सा घटा है. 1950 में पारसियों की हिस्सेदारी 0.03 प्रतिशत थी, जो 2015 में घटकर 0.004 प्रतिशत रह गया. ये 85 प्रतिशत तक की गिरावट है.

यानी इस रिपोर्ट का सार ये है कि देश की आबादी में हिन्दू हिस्सेदारी कम हुई है, और बार-बार जो मुसलमानों को असुरक्षित होने की, उन पर खतरा होने की, उनके अधिकार छीने जाने की बातें उठाई जाती हैं, उनमें इस रिपोर्ट के हिसाब से कोई दम नहीं है. इस रिपोर्ट में जो आंकड़े आए हैं, उनके क्या निष्कर्ष हैं...आगे हम उनकी भी बात करेंगे. उससे पहले कुछ और आंकड़े बताते हैं.

167 देशों की जनसंख्या पर की गई स्टडी

ये स्टडी 167 देशों पर आधारित है. रिपोर्ट का सार है कि अधिकतर देशों में जो बहुसंख्यक आबादी है वो कम हुई है, सिवाय मुस्लिम देशों के....अधिकतर इस्लामिक देशों में बहुसंख्यकों की यानी मुसलमानों की आबादी बढ़ी है. मिसाल के तौर पर पड़ोस के ही दो मुस्लिम देशों का आंकड़ा आपको दिखाते हैं.

पाकिस्तान में बहुसंख्यक मुसलमानों का आबादी में हिस्सा 1950 में 84 प्रतिशत था. जो 2015 में बढ़कर 93 प्रतिशत हो गया. यानी लगभग 10 फीसदी मुसमलान पाकिस्तान में बढ़े. वहीं पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी में 65 साल में बड़ी गिरावट आई. 1950 में पाकिस्तान में 13 प्रतिशत हिन्दू हिस्सेदारी थी, जो 2015 में घटकर 2 प्रतिशत रह गई. यानी 80 प्रतिशत कम हो गई.

बांग्लादेश-नेपाल में भी सिकुड़ गए हिंदू

दूसरे पड़ोसी देश बांग्लादेश की बात करें तो यहां भी मुसलमान बहुसंख्यक हैं.1950 में बांग्लादेश पूर्वी पाकिस्तान था. तब यहां आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी 74 प्रतिशत थी, जो 2015 में बढ़कर 88 प्रतिशत हो गई. यानी मुसलमानों की हिस्सेदारी 18 फीसदी बढ़ गई. 1950 में पूर्वी पाकिस्तान में हिन्दू आबादी का हिस्सा 23 प्रतिशत था, जो 2015 में घटकर 8 प्रतिशत रह गया. यानी आबादी में हिन्दुओं की हिस्सेदारी 66 प्रतिशत कम हो गई.

पड़ोस के देश नेपाल की भी बात करें, जो कि किसी समय घोषित रूप से हिन्दू राष्ट्र था. नेपाल में हिन्दू बहुसंख्यक हैं. यहां भी हिन्दुओं की संख्या में भारत जैसी गिरावट आई है. नेपाल में 1950 में हिन्दू हिस्सेदारी 84 प्रतिशत थी, जो 2015 में घटकर 81 प्रतिशत रह गई. यानी लगभग 4 प्रतिशत हिन्दू कम हो गये. नेपाल में बौद्ध हिस्सेदारी 1950 में 11 प्रतिशत थी, जो 2015 में 8 प्रतिशत रह गई. यानी 25 प्रतिशत बौद्ध कम हो गये. इसी मुक़ाबले देखें तो नेपाल में मुसलमानों की आबादी 1950 में सिर्फ़ 2.6 थी, जो 2015 में बढ़कर 4.6 प्रतिशत हो गई. यानी सीधे 75 प्रतिशत का इज़ाफ़ा.

मालदीव में स्थिर है मुसलमानों की आबादी

अब आपको बताते हैं कि इस स्टडी से क्या ट्रेंड दिख रहा है. तो ट्रेंड ये है कि जितने भी इस्लामिक देश हैं, उनमें से अधिकतर में मुसलमानों की हिस्सेदारी लगातार बढ़ी है, जबकि पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे दुनिया के और भी जितने इस्लामिक देश हैं वहां आबादी में मुस्लिमों की हिस्सेदारी बढ़ी है, इसके साथ अल्पसंख्यकों की हिस्सेदारी घटी भी है.

भारत के पड़ोस में नेपाल और म्यांमार भी हैं, वहां भी अल्पसंख्यकों की हिस्सेदारी बढ़ी है, जबकि बहुसंख्यकों का हिस्सा घटा है. सिर्फ़ मालदीव ही पड़ोस का देश है जहां मुस्लिम बहुसंख्यक हैं, फिर भी उनकी हिस्सेदारी नहीं बढ़ी है.

आबादी बढ़ रही, फिर अल्पसंख्यक खतरे में कैसे?

तो इस स्टडी का निचोड़ क्या है?..आंकड़ों को शब्दों में एक्सप्लेन करें तो अर्थ ये निकलता है कि भारत में अल्पसंख्यकों को आप असुरक्षित नहीं कह सकते. आबादी में हिस्सेदारी बढ़ना इसका स्पष्ट संकेत है कि माइनॉरिटी फल-फूल रही है, उसे शिक्षा के, रोज़गार के उतने ही अवसर मिल रहे हैं जितने दूसरों को मिल रहे हैं, बल्कि हिस्सेदारी का बढ़ना तो ये बताता है कि ज़्यादा मिल रहे हैं. ये ट्रेंड दुनिया में कहीं नहीं दिखा है कि कोई कम्युनिटी खतरे में है, तो उसकी आबादी भी बढ़ रही है. 

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