केरल में बारिश और बाढ़ से तबाही, हालात का जायजा लेने पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी
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केरल में बारिश और बाढ़ से तबाही, हालात का जायजा लेने पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया,‘केरल में बाढ़ की स्थिति का जायजा लेने के लिए वहां के लिए रवाना हो रहा हूं.’

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और अन्य ने पीएम नरेंद्र मोदी का स्वागत किया. (फोटो साभार - ANI)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केरल में बाढ़ के हालात का जायजा लेने के लिए शुक्रवार रात तिरुवनंतपुरम पहुंच गए . दिन में पीएम मोदी ने केरल के मुख्यमंत्री से बातचीत की थी और उनसे स्थिति के बारे में चर्चा की . प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया,‘केरल में बाढ़ की स्थिति का जायजा लेने के लिए वहां के लिए रवाना हो रहा हूं.’

प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा,‘केरल के लोगों के दुखदर्द पर पिछले कुछ दिनों से उनका ध्यान है. वह राहत एवं बचाव अभियानों की स्थिति की समीक्षा करेंगे और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण भी करेंगे.’ पीएम मोदी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने के बाद केरल रवाना हुए. केरल मानसूनी वर्षा से बेहद प्रभावित हुआ है. वहां नदियां और बांधों के जलाशयों से पानी बह रहा है. राज्य का बड़ा हिस्सा जलमग्न है. 

केरल में और बिगड़े हालात 
केरल में बारिश जनित घटनाओं में कल महज एक दिन में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गयी. वहीं राज्य में आज अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी और पेट्रोल पंप में ईंधन की कमी से संकट गहराता दिखा. अधिकारियों ने आज यह जानकारी दी.

आपदा ने इस प्राकृतिक छटा वाले राज्य को झकझोर कर रख दिया है. इसके चलते इसका पर्यटन उद्योग बर्बाद हो गया है, हजारों हेक्टेयर भूभाग में उपजी फसलें तबाह हो गयी हैं और बुनियादी ढांचे को जबरदस्त नुकसान पहुंचा है.

324 लोगों की मौत 
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने ट्वीट पर लोगों से मदद की अपील करते हुए लिखा कि केरल में पिछले 100 सालों में सबसे भयंकर बाढ़ आई है. 80 बांधों के द्वारा खोल दिए गए हैं, 324 लोगों की जान चली गई है, 223139 लोग 1500 से ज्यादा राहत कैंपों में रह रहे हैं. 

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) कर्मियों के अलावा सेना, नौसेना, वायुसेना के कर्मियों ने बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित इलाकों में अपने-अपने घरों की छतों, ऊंचे स्थानों पर फंसे लोगों को निकालने का बड़ा कार्य शुरू किया. ऊंचाई वाले इलाकों में पहाड़ों के दरकने के कारण चट्टानों के टूटकर नीचे सड़क पर गिरने से सड़कें अवरुद्ध हो गयीं जिससे वहां रहने वालों और गांवों में बचे लोगों का संपर्क बाकी की दुनिया से कट गया. ये गांव आज किसी द्वीप में तब्दील हो गए हैं. 

(इनपुट - भाषा)

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