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नयी दिल्ली: शारीरिक रूप से कुछ कमी वाले व्यक्तियों में विशेष क्षमताएं होने और सरकार द्वारा ऐसे लोगों के लिए खास पहल करने को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन लोगों के लिए ‘विकलांग’ की बजाए ‘दिव्यांग’ शब्द के प्रयोग को सुझाया है ।
आकाशवाणी पर प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, परमात्मा ने जिसको शरीर में कोई कमी दी है, कोई क्षति दी है, एक.आध अंग ठीक से काम नहीं कर रहा है.. हम उसे विकलांग कहते हैं और विकलांग के रूप में जानते हैं । लेकिन उनके परिचय में आते हैं तो पता चलता है कि हमें अपनी आंखों से उनमें एक कमी दिखती है, लेकिन ईश्वर ने उनको कोई अतिरिक्त ताकत दी होती है।
उन्होंने कहा, फिर मेरे मन में विचार आया कि आंखों से तो हमें लगता है कि शायद वो विकलांग है, लेकिन अनुभव से लगता है कि उसके पास कोई अतिरिक्त शक्ति है। और तब जाकर के मेरे मन में विचार आया, क्यों न हम हमारे देश में विकलांग की जगह पर दिव्यांग शब्द का उपयोग करें। मोदी ने कहा कि हमने सुगम्य भारत अभियान की शुरुआत की है इसके तहत हम भौतिक और आभासी दोनों तरह की आधारभूत संरचना में सुधार कर उन्हें दिव्यांग लोगों के लिए सुगम्य बनायेंगे। स्कूल हों, अस्पताल हों, सरकारी दफ्तर हों, बस अड्डे हों, रेलवे स्टेशन हों इनके लिए आसान पार्किंग की सुविधा, लिफ्ट, ब्रेल लिपि जैसी सुविधाएं चाहिए, व्यवस्था चाहिए, संवेदनशीलता चाहिए। उन्होंने कहा, इस काम का बीड़ा उठाया है। जन-भागीदारी भी मिल रहीं है। लोगों को अच्छा लगा है। आप भी अपने तरीके से जरूर इसमें जुड़ सकते हैं। इससे पहले मोदी ने ऐसे लोगों को ‘भिन्न रूप से सक्षम’ बताया था।
इसे स्पष्ट करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कभी-कभी समाज में इस प्रकार के किसी व्यक्ति से मिलने का अवसर आता है, तो हमारे मन में ढेर सारे विचार आते हैं । हमारी सोच के अनुसार हम उसे देखने का अपना नजरिया भी व्यक्त करते हैं। कई लोग होते हैं जो हादसे के शिकार होने के कारण अपना कोई अंग गवां देते हैं। कुछ लोगों में जन्मजात ही कोई क्षति रह जाती है। और ऐसे लोगों के लिए दुनिया में अनेक अनेक शब्द प्रयोग हुए हैं। मोदी ने कहा कि लेकिन हमेशा इन शब्दों के प्रति भी चिंतन चलता रहा है । हर समय लोगों को लगा कि नहीं-नहीं, ये शब्द उनके लिए, उनकी पहचान के लिए अच्छा नहीं लगता है, सम्मानजनक नहीं लगता है।
उन्होंने कहा कि अनेक शब्द आते रहते हैं। ये बात सही है कि शब्दों का भी अपना एक महत्व होता है। इस वर्ष जब भारत सरकार ने सुगम्य भारत अभियान का प्रारंभ किया, उस कार्यक्रम में मैं जाने वाला था, लेकिन चेन्नई में भयंकर बाढ़ के कारण मेरा तमिलनाडु में जाने का कार्यक्रम बना। उस कार्यक्रम में जाना था तो मेरे मन में विचार आया था कि परमात्मा ने जिसको शरीर में कोई कमी दी है, लेकिन जिनके पास विशेष, अतिरिक्त शक्ति है, उनके लिए क्या शब्द हो। उन्होंने कहा, मेरे मन में विचार आया, क्यों न हम हमारे देश में विकलांग की जगह पर दिव्यांग शब्द का उपयोग करें।