पंजाब: 500 रुपए में 3 विकलांग बच्चों का कैसे हो गुजारा, परिवार ने PM को चिट्ठी लिख मांगी इच्छामृत्यु
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पंजाब: 500 रुपए में 3 विकलांग बच्चों का कैसे हो गुजारा, परिवार ने PM को चिट्ठी लिख मांगी इच्छामृत्यु

फिरोजपुर के गुरुहरसहाय में 5 लोगों का एक परिवार रहता है. मां-बाप बूढ़े हो गए हैं और तीन बच्चे विकलांग हैं. परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है. पैसों की तंगी और लाचारी से परेशान होकर परिवार ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिख इच्छामृत्यु का मांग की है. 

इस परीवार को सरकार की तरफ से 500 रुपए की सहायता राशि दी जाती है.

फिरोजपुर. पंजाब के एक परिवार ने गरीबी से तंग आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इच्छामृत्यु की मांग की है. फिरोजपुर के गुरुहरसहाय में 5 लोगों का एक परिवार रहता है. मां-बाप बूढ़े हो गए हैं और तीन बच्चे विकलांग हैं. वो खाने-नहाने जैसा सामान्य काम भी खुद नहीं कर सकते. परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है. उन्हें सरकार की तरफ से 500 रुपए की सहायता राशि दी जाती है. पैसों की तंगी और लाचारी से परेशान होकर परिवार ने एक साथ मौत को गले लगाने का फैसला लिया और प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिख इच्छामृत्यु का मांग की है. 

गरीबी और लाचारी की दास्तान
फिरोजपुर के गुरुहरसहाए कस्बे में रहने वाले मनोहर लाल और शशि बाला के तीन बच्चे हैं. तीनों विकलांग. मनोहर लाल ने बताया कि पहला बेटा गगनदीप 33 वर्ष का है, उससे छोटी बेटी पुनीता 28 वर्ष की और सबसे छोटा बेटा अंकुश 24 वर्ष का है. अंकुश को किसी तरह 11वीं तक पढ़ाया. मनोहर आगे बताते हैं कि बच्चे जब छोटे थे तब उनका पालन-पोषण करना आसान था. मैं भी काम के साथ-साथ बच्चों की सेवा में लगा रहता था. लेकिन धीरे-धीरे काम ठप हो गया तो बच्चों की देखभाल के लिए कर्ज लेना पड़ा.   

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500 रुपए मिलती है सहायता राशि
मनोहर लाल की पत्नी शशि बाला ने बताया कि धीरे-धीरे लोगों ने उधार देना भी बंद कर दिया. लेकिन बच्चों को पालने के लिए हमें पैसों की जरूरत थी. हमने प्रधानमंत्री को खत लिखा जिसके बाद सरकार से 500 रुपए मासिक की सहायता राशि मिलने लगी. ये पैसे भी कभी मिलते हैं कभी नहीं. उन्होंने कहा कि बच्चे छोटे थे तो कम पैसों में गुजारा हो जाता था लेकिन अब उनकी देखरेख के लिए ज्यादा पैसों की जरूरत है. बूढ़े-मां बाप के लिए अब अपने अधेड़ उम्र के बच्चों को नहलाना-खिलाना मुश्किल हो गया है. 

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विकलांगों को नौकरी दे भी कौन
मनोहर लाल के सबसे बड़े बेटे गगनदीप ने जी मीडिया से बातचीत में बताया कि हम बड़े हो गए हैं. कमाना तो दूर हम खुद अपना काम भी नहीं कर सकते. अपने बूढ़े मां-बाप पर हम बोझ बनकर रह गए हैं. सरकार द्वारा दी जाने वाली 500 रुपए की सहायता राशि से हमारा गुजारा नहीं हो पा रहा. हताश गगनदीप कहते हैं कि पिताजी ने छोटे भाई को किसी तरह 11वीं तक पढ़ाया. उम्मीद थी कि उसे नौकरी मिल जाएगी और परिवार का गुजारा हो जाएगा. लेकिन विकलांगों को भला नौकरी दे भी कौन. प्रशासन ने भी हमारी कोई मदद नहीं की. पांच लोगों का यह परिवार खराबा आर्थिक स्थिती से इस कदर त्रस्त है कि सभी ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर इच्छामृत्यु की मांग की है. 

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प्रशासन से मिला मदद का आश्वासन
वहीं, फिरोजपुर के डिप्टी कमिश्नर रामवीर से इस बारे में पूछने पर पता चला कि उन्हें इस परिवार की स्थिति की जानकारी नहीं थी. डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि इनके बारे में उन्हें जी मीडिया के माध्यम से ही पता चला है. मदद का आश्वासन देते हुए उन्होंने कहा कि सरकारी सेवाओं के तहत हमसे जितनी हो सकेगी मदद करेंगे. 

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