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पणजी: गोवा (Goa) में मुख्यमंत्री के चुनाव को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है. कुछ लोग पार्टी में दूसरे दावेदार का जिक्र कर रहे हैं यानी एक खेमा डॉ सावंत के विरोध में है. वहीं दूसरी ओर 11 सीट लेकर आई कांग्रेस, गैर भाजपाई विधायकों के साथ सरकार बनाने की बात कर रही है भले ही फिलहाल ऐसा होता न दिख रहा हो.
डॉ. प्रमोद सावंत फिलहाल गोवा के केयरटेकर मुख्यमंत्री हैं. जिनका दिल्ली आना-जाना और पार्टी के बड़े नेताओं से मिलने का सिलसिला जारी है. इस बीच ये सवाल अपनी जगह बना हुआ है कि आखिर प्रमोद सावंत ही मुख्यमंत्री क्यों? तो इसका जवाब भी एकदम साफ है. डॉ. सावंत राजनीतिक जगत में एक 'अच्छे और भले इंसान' के तौर पर जाने जाते हैं. डॉ सावंत की पहचान ऐसे मुख्यमंत्री के तौर पर होती है जिन तक आम आदमी की पहुंच बेहद आसान है. दरअसल इनकी छवि 'नेता नेक्स्ट डोर' की है.
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आम राजनीतिज्ञों की तरह डॉ प्रमोद सावंत खुद और जनता के बीच किसी लक्ष्मण रेखा को दरकिनार करते है. आम आदमी को विश्वास है कि उसे जरुरत पड़ी तो सीधे मुख्यमंत्री उनकी मदद के लिए मौजूद रहेंगे. एक नेता के लिए ये विश्वास प्राप्त करना उनकी सबसे बड़ी पूंजी है और डॉ प्रमोद सावंत ने बहुत कम समय में लोगों के बीच अपनी जगह बनाई है. इसमें कोई दोराय नहीं है कि पूर्व CM मनोहर पर्रिकर आज भी गोवा के लोगों के दिलों में बसते हैं.
मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद जब डॉ प्रमोद सावंत ने राज्य का बागडोर संभाली तो सरकार और पार्टी के भीतर दबी जुबान से उनका विरोध हुआ. कुछ ने गठबंधन तोड़े और कुछ ने पार्टी ही छोड़ दी. मगर डॉ सावंत ने उनके लिए कभी भी अपशब्दों का इस्तेमाल नहीं किया और शांति से अपनी जिम्मेदारियों को निभाते रहे. वो एक मृदुभाषी और सौम्य राजनीतिज्ञ है. कभी भी किसी आलोचना से वो विचलित नहीं होते. उनकी सरलता ही उनकी बड़ी मजबूती यानी ताकत है. करीब तीन साल के अपने छोटे से कार्यकाल में कोरोना महामारी और ताउते तूफान से प्रभावित आम लोगों के लिए उन्हें लड़ते हुए देखा गया है.
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किसी स्कैम या भ्रष्टाचार से दूर साफ एक साफ सुथरी छवि वाले युवा मुख्यमंत्री डॉ प्रमोद सावंत पर गोवा नाज कर सकता है. गोवा में उनके लिए आम राय है कि वो किसी खास तबके के लिए नहीं बल्कि सबके लिए काम करते है. ऐसे में कहा जा सकता है कि देश के राजनीतिक पटल पर डॉ प्रमोद पांडुरंग सावंत जैसे राजनीतिज्ञों की जरूरत है.