प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कैपिटल हिल में अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित किया। सत्र को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि मजबूत भारत रणनीतिक लिहाज से अमेरिकी की जरूरत है। मोदी ने अपने भाषण में आतंकवाद पर करारा प्रहार किया और इशारों में पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का भी जिक्र किया।
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नई दिल्ली/वॉशिंगटन : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कैपिटल हिल में अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित किया। सत्र को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि मजबूत भारत रणनीतिक लिहाज से अमेरिकी की जरूरत है। मोदी ने अपने भाषण में आतंकवाद पर करारा प्रहार किया और इशारों में पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का भी जिक्र किया। मोदी ने कहा कि आतंकवाद को अच्छे और बुरे में नहीं बांटा जा सकता है। भारत चाहता है कि आतंकवाद के मुद्दे पर अमेरिकी कांग्रेस दुनिया को साफ संदेश दे। मोदी ने कहा कि लश्कर-ए-तैयाब, तालिबान और इस्लामिक स्टेट जैसे खुंखार आतंकी संगठन पूरे दुनिया के लिए बड़ी चुनौती है।
भारत और अमेरिका को मिलकर इसके खिलाफ लड़ाई लड़नी होगी। मोदी ने कहा कि ‘भारत के पड़ोस में आतंकवाद का पोषण’ हो रहा है, और बिना कोई विभेद किये लश्कर ए तैयबा, तालिबान और आईएसआईएस जैसे आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने पर जोर दिया जो ‘घृणा, हत्या और मौत की विचारधारा साझा’ करते हैं। अमेरिकी कांग्रेस की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ ‘एक स्वर’ में लड़ाई लड़ी जानी चाहिए, साथ ही उन्होंने राजनीतिक फायदे के लिए आतंकवाद को बढावा देने और उसका अनुपालन करने वालों को पुरस्कृत करने से इंकार करके अमेरिकी संसद द्वारा स्पष्ट संदेश देने की सराहना की। उनका आशय प्रत्यक्षत: पाकिस्तान को आठ एफ-16 लड़ाकू विमानों की बिक्री का मार्ग अवरूद्ध करने की घटना से था। अपने 45 मिनट के भाषण में उन्होंने भारत और अमेरिका के बढते संबंधों से जुड़े सभी महत्वपूर्ण आयामों की चर्चा की जिसमें विशेष तौर पर असैन्य परमाणु सहयोग शामिल है।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों को ‘अतीत के बाधाओं’ को पीछे छोड़ना चाहिए क्योंकि ‘भविष्य का आधार ठोस’ बन चुका है। अपने चिर परिचित सफेद कुर्ता पायजामा और स्लेटी रंग की जैकेट पहने मोदी का अमेरिकी सांसदों ने गर्मजोशी से स्वागत किया और उनके संबोधन के दौरान बीच- बीच में 40 से अधिक बार तालियां बजाकर उनका उत्साह बढ़ाया और कई बार खड़े होकर गर्मजोशी भरा भाव प्रकट किया । जब 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित किया था तब उनके भाषण के दौरान 33 बार तालियां बजी थीं। तत्कालीन प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार संजय बारू ने यह बात बतायी । प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और अमेरिका विश्व शांति और समृद्धि की परिदृष्टि को साझा करते हैं ।
उन्होंने कहा कि पूरे विश्व के समक्ष आतंकवाद सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है और इससे कई स्तरों पर लड़ा जाना चाहिए क्योंकि पारंपरिक सैन्य, खुफिया या कूटनीतिक उपाय अकेले इन्हें परास्त करने के लिए पर्याप्त नहीं है। मोदी ने कहा, ‘भारत की पश्चिमी सीमा से अफ्रीका तक यह अलग अलग नामों से है.. यह लश्कर ए तैयबा से तालिबान और फिर आईएसआईएस के अलग अलग नामों से हैं। लेकिन इनकी विचारधारा एक है, यह घृणा, हत्या और हिंसा की। ’ प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपने नागरिकों और सैनिकों को खोया है, साथ ही इस बात को रेखांकित किया कि किस प्रकार से 2008 के मुम्बई आतंकी हमले के बाद अमेरिका भारत के साथ खड़ा रहा था। भारत- अमेरिकी संबंध को गतिशील भविष्य का आधार बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच गठजोड़ एशिया से अफ्रीका और हिन्द महासागर से प्रशांत महासागर तक शांति, समृद्धि और स्थिरता का वाहक बन सकता है। मोदी ने कहा, भारत हिन्द महासागर क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के संदर्भ में उन्होंने कहा कि हमारा सहयोग और प्रभावी हो सकता है अगर अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं 20वीं सदी की सोच से आगे बढ़कर आज की हकीकत को प्रदर्शित करें। मोदी ने अपने संबोधन में मार्टिन लूथर किंग, महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद और अटल बिहारी वाजपेयी का जिक्र किया और कहा कि भारत और अमेरिकी दुनिया के सबसे बड़े और पुराने लोकतंत्र हैं और हमें एक दूसरे के दर्शन और अनुभवों से काफी सीखने की जरूरत है ताकि नैसर्गिक सहयोगी बनें। (एजेंसी इनपुट के साथ)