मंगलवार सुबह दिल्ली वालों ने प्रदूषण के एक घने कोहरे के बीच आंखें खोली और प्रदूषण का स्तर सामान्य से कई दर्जे अधिक दर्ज किया गया.
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नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में पार्किंग शुल्क चार गुना बढ़ना तय है, जबकि कम बिजी घंटों में मेट्रो के किराए में अस्थायी रूप से कटौती की जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट की सिफारिश पर बनाए गए हरित निकाय ईपीसीए ने प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए उपरोक्त उपाय सुझाए हैं. पर्यावरण प्रदूषण निरोधक और नियंत्रण अधिकरण ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी एक गंभीर स्थिति का सामना कर रही है, जो अगले कुछ दिन तक बनी रहने वाली है.
मंगलवार सुबह दिल्ली पर छाया घना कोहरा
मंगलवार सुबह दिल्ली वालों ने प्रदूषण के एक घने कोहरे के बीच आंखें खोली और प्रदूषण का स्तर सामान्य से कई दर्जे अधिक दर्ज किया गया.नमी और प्रदूषणकारी तत्वों के मेल से सोमवार शाम से शहर पर धुंध की मोटी परत छाने लगी और वायु गुणवत्ता और दृश्यता में तेजी से गिरावट शुरू हो गई. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने मंगलवार सुबह 10 बजे तक वायु गुणवत्ता की स्थिति ‘बेहद गंभीर’ दर्ज की जिसका मतलब है कि प्रदूषण बहुत ज्यादा बढ़ गया है.
प्रदूषण कम करने के लिए EPCA ने कुछ उपायों की घोषणा की
ईपीसीए के अध्यक्ष भूरे लाल और सदस्य सुनीता नारायण ने कार्रवाई योजना के तहत कुछ उपायों की घोषणा की. ईपीसीए ने निर्देश दिया है कि कम से कम 10 दिन तक कम व्यस्त समय में मेट्रो के किराए कम किए जाएं, मेट्रो के कोच और फेरे बढ़ाए जाएं. निकाय ने दिल्ली और आसपास के राज्यों उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा को निर्देश दिया कि अधिक बसें लगाकर सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को बेहतर बनाएं. निकाय ने निगम निकायों को दिल्ली-एनसीआर में पार्किंग शुल्क चार गुना बढ़ाने का भी निर्देश दिया.
अन्य उपायों में ईपीसीए ने सड़क निर्माण एजेंसियों को दिल्ली-एनसीआर में धूल प्रदूषण नियमों के उल्लंघन पर 50 हजार रूपए जुर्माना लगाने का निर्देश दिया. इसके अलावा दिल्ली-एनसीआर सरकारों से प्रदूषण बढ़ने पर ऑड ईवन और निर्माण गतिविधियों पर बैन लगाने जैसे उपाय करने को भी कहा गया है. अन्य उपायों में पूरे क्षेत्र में ईंट भट्ठों, हॉट मिक्स प्लांट और स्टोन क्रशर्स को बंद करना शामिल है.
'हरियाणा, पंजाब से आने वाली धुएं भरी हवाओं ने हालात और बिगाड़े'
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव ए सुधाकर ने ईपीसीए को बताया कि निकटवर्ती पंजाब और हरियाणा से धुएं भरी हवाओं और पूर्वी क्षेत्र से नमी से लदी हवाओं के साथ स्थानीय प्रदूषण से हालात और बिगड़ जाते हैं. सुधाकर ने कहा, ‘‘हम अगले दो तीन दिन में ही किसी नाटकीय बदलाव की उम्मीद नहीं कर रहे. हलकी धुंध प्रदूषण के कणों को हवा में ऊपर जाने नहीं दे रही.’’ उन्होंने कहा कि अधिकारियों को 10 नवंबर तक धान की पराली के जलने में कमी आने की उम्मीद है, लेकिन इसके 15 नवंबर तक कम होने की उम्मीद नहीं है.
(इनपुट - भाषा)