आगरा में कथित धर्मांतरण के मुद्दे पर उठे विवाद के बीच गुरुवार को लोकसभा में चर्चा के दौरान विपक्षी दलों ने हंगामा किया। वहीं, सरकार ने आज कहा कि अगर सभी दल सहमत हों तब धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगाने के लिए वह कानून भी ला सकती है। वहीं, संसदीय कार्यमंत्री एम वैंकेया नायडू के आरएसएस को लेकर बयान पर लोकसभा में खासा हंगामा हुआ, बाद में पूरी विपक्ष ने सदन से वाकआउट किया।
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नई दिल्ली : आगरा में कथित धर्मांतरण के मुद्दे पर उठे विवाद के बीच गुरुवार को लोकसभा में चर्चा के दौरान विपक्षी दलों ने हंगामा किया। वहीं, सरकार ने आज कहा कि अगर सभी दल सहमत हों तब धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगाने के लिए वह कानून भी ला सकती है। वहीं, संसदीय कार्यमंत्री एम वैंकेया नायडू के आरएसएस को लेकर बयान पर लोकसभा में खासा हंगामा हुआ, बाद में पूरी विपक्ष ने सदन से वाकआउट किया।
सरकार के जवाब से असंतोष जताते हुए कांग्रेस सहित विपक्ष के वाकआउट के बीच सरकार ने 'धर्मांतरण पर रोक’ के लिए कानून बनाने के साथ ही लोकसभा के मंच से देशवासियों को यह आश्वासन भी देने का प्रयास किया कि सरकार देश में सांप्रदायिक समरसता बनाए रखने के लिए हर कदम उठाएगी। लोकसभा की आज की कार्यवाही शुरू होने के समय से ही आगरा घटना को लेकर विपक्ष कार्य स्थगित कर इस संबंध में चर्चा कराने की मांग कर रहा था जिसे लेकर विपक्ष के हंगामे के कारण सदन की बैठक दो बार स्थगित करनी पड़ी। अंतत: विपक्ष और सरकार के बीच बनी सहमति के तहत तीन बजे नियम 193 के तहत सदन में चर्चा शुरू हुई।
संसदीय कार्य मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने आज लोकसभा में धर्मांतरण मुद्दे पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि धर्मांतरण में विदेशी फंडिंग हो रही है। विपक्ष बिना वजह के अफवाह फैला रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि संघ की आलोचना हो सकती है लेकिन गाली नहीं दे सकते हैं। आरएसएस से हमें प्रेरणा मिलती है और संघ महान संगठन है। आरएसएस बैकग्राउंड का होने पर मुझे गर्व है। उन्होंने सदस्यों से यह भी कहा कि देश में एंटी कन्वर्जन लॉ को बनने दीजिए। इस लॉ की देश को जरूरत है। इसके बाद, विपक्षी दलों ने लोकसभा में वैंकेया के बयान पर हंगामा किया। संघ की तारीफ किए जाने पर विपक्ष पूरी तरह विफरा। बाद में कांग्रेस, एसपी, आरजेडी, जेडीयू और अन्य दलों ने लोकसभा से वाकआउट किया।
देश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सांप्रदायिक एजेंडा चलाने के विपक्ष के आरोपों के जवाब में संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि सरकार का एकमात्र एजेंडा ‘विकास’ है जिसके आधार पर उसने लोकसभा चुनाव लड़ा था। उन्होंने बेबुनियादी आधार पर राजग सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विपक्ष की आलोचना को कतई बर्दाश्त नहीं करने की चेतावनी दी और कहा कि सदन का इस्तेमाल देश में भावनाएं भड़काने के लिए नहीं करे विपक्ष। धर्मांतरण के मुद्दे पर पूरे राष्ट्र में गहराई से आत्मनिरीक्षण किए जाने की जरूरत है। मैं कहना चाहता हूं कि सभी राज्यों में और केंद्र में धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए कानून बने।
विपक्षी दलों द्वारा आरएसएस की आलोचना को पुरजोर शब्दों में खारिज करते हुए नायडू ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश का एक महान संगठन है जो चरित्रवान और अनुशासित बनाता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से अपने संबंध का उन्हें गर्व है। उन्होंने कहा कि यह सरकार ‘आस्था की आजादी’ में पूरा विश्वास रखती है लेकिन इसका जबरन या किसी प्रलोभन के तहत धर्मांतरण के लिए गलत इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।
मंत्री ने कहा कि कुछ लोगों को हिंदू शब्द से आपत्ति है लेकिन हिंदू शब्द भाजपा, आरएसएस या मोदी का दिया हुआ नहीं है। हिंदू का मतलब देश के सभी नागरिकों से है इसलिए सदियों से भारत के लिए हिंदुस्तान शब्द का इस्तेमाल होता आ रहा है।
मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के ज्योतिषी के पास जाने को लेकर पिछले दिनों पैदा हुए विवाद के संबंध में नायडू ने कहा कि किसी को किसी की आस्था का अपमान करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि आपको दूसरे व्यक्ति को इतनी आजादी तो देनी पड़ेगी। सरकार के जवाब से असंतोष जताते हुए कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सपा, राजद, वाम दलों, राकांपा और आम आदमी पार्टी के सदस्यों ने वाकआउट किया। इससे पूर्व चर्चा में भाग लेते हुए सपा के मुलायम सिंह यादव ने कहा कि आगरा की घटना को लेकर सदन में इतना हंगामा हो रहा है जबकि वहां कोई हंगामा नहीं है।
कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि मैं हिन्दू हूं लेकिन मेरा धर्म संकीर्णता नहीं सिखाता बल्कि पूरे विश्व के लिए व्यापक परिवेश का दर्शन शास्त्र पेश करता है। आगरा में कथित तौर पर बलपूर्वक धर्म परिवर्तन की जो घटना सामने आई है, वह अत्यंत दुर्भाज्ञपूर्ण है। क्या हम देश के भीतर कटुता पैदा करना चाहते हैं। क्या यही अच्छे दिन हैं। संविधान का पालन हो यह देखना सरकार की जिम्मेदारी है। सिंधिया ने कहा कि हम चाहते हैं कि प्रधानमंत्री इस विषय पर स्पष्टीकरण दें क्योंकि प्रधानमंत्री सभी के हैं। तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि घर वापसी’ के नाम पर आगरा में जो कुछ हुआ, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। सदन में एक प्रस्ताव मंजूर किया जाए कि देश इस तरह के दर्शन को स्वीकार नहीं करता और हम सब इसके खिलाफ हैं।
नायडू ने आगरा की घटना के संबंध में कहा कि इस संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज की गयी है और जांच चल रही है। उन्होंने साथ ही कहा कि आगरा में पूरी तरह शांति है। एआईएमआईएम के असदुद्दीन औवेसी ने राजग सरकार पर देश में दहशत का माहौल पैदा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी देश दुनिया में घूम कर वाहवाही बटोर रहे हैं और दूसरी तरफ भाजपा से जुड़े संगठन देश में जबरन धर्मांतरण करवा रहे हैं। बीजद के भृतुहरि महताब ने कहा कि आज दुर्भाग्यपूर्ण दिन है जिस दिन हमें इस विषय पर चर्चा करनी पड़ रही है। संविधान में यह प्रावधान किया गया है कि देश के प्रत्येक नागरिक को अपनी पसंद का धर्म मानने की आजादी है। हमें इसे बनाये रखना चाहिए लेकिन ऐसा लालच या जबरन नहीं किया जा सकता। आप के भगवंत मान ने इसे एक त्रासदी बताया कि देश में लाखों युवक बेहतर शिक्षा और रोजगार की बाट जोह रहे हैं और सदन में धर्मांतरण पर बहस छिड़ी है।
लोकसभा में आज सदस्यों ने देश के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप, संविधान के तहत लोकतांत्रिक ढांचे, एकता, भाइचारे एवं ‘सर्व धर्म सम्भाव’ की विचारधारा को पुरजोर तरीके से रेखांकित करते हुए विपक्ष ने जहां इस मामले में प्रधानमंत्री के स्पष्टीकरण एवं सदन में एक प्रस्ताव अंगीकार करने की मांग की, वहीं सत्तारूढ भाजपा ने धर्मातरण के खिलाफ कानून लाने की जरूरत बतायी। नियम 193 के तहत आगरा में कथित धर्मातरण की पृष्ठभूमि में उत्पन्न स्थितियों पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि हम सरकार या किसी और व्यक्ति को नीचा नहीं दिखाना चाहते हैं। संविधान देश की आत्मा है और इसमें लिखा है कि देश के सभी लोगों को अपने विचार रखने, धर्म मानने, देश की अखंडता एवं सम्प्रभुता कायम रखने की आजादी है। भारत रूपी गुलदस्ते में अनेक फूल हैं। उन्होंने कहा कि मैं हिन्दू हूं लेकिन मेरा धर्म संकीर्णता नहीं सिखाता बल्कि पूरे विश्व के लिए व्यापक परिवेश का दर्शन शास्त्र पेश करता है। आगरा में कथित तौर पर बलपूर्वक धर्म परिवर्तन की जो घटना सामने आई है, वह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। क्या हम देश के भीतर कटुता पैदा करना चाहते हैं। क्या यही अच्छे दिन हैं। संविधान का पालन हो यह देखना सरकार की जिम्मेदारी है। सिंधिया ने कहा कि हम चाहते हैं कि प्रधानमंत्री इस विषय पर स्पष्टीकरण दें क्योंकि प्रधानमंत्री सभी के हैं। भाजपा के सुमेधानंद सरस्वती ने कहा कि इस विषय पर चर्चा की जरूरत नहीं थी लेकिन एक सामान्य सी घटना को बड़ा रूप दे दिया गया। हमारे देश में सभी धर्मो के प्रति आस्था रखी जाती है। जब से यह सृष्टि बनी तब से हमारी संस्कृति अस्तित्व में है और जितने लोग आए हमने उन्हें गले लगाया।
उन्होंने कहा कि भाजपा धर्मातरण के पक्ष में नहीं है। जहां भी भाजपा की सरकारें बनी, वहां पर धर्मातरण को रोकने के लिए कानून बनाने की पहल की गई। इस विषय पर कानून बनना चाहिए। महात्मा गांधी ने भी धर्मांतरण का विरोध किया था। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सभी राजनीतिक दलों के सहमत होने पर धर्मातरण को प्रतिबंधित करने के लिए कानून बनाए जाने संबंधी सुझाव के लिए आज सरकार की कड़ी आलोचना की और इसे मौलिक अधिकारों का अतिक्रमण बताया। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति अपनी इच्छा से किसी दूसरे धर्म में जाना चाहता है तो ऐसे में धर्मांतरण पर रोक लगाना अनुचित होगा। (एजेंसी इनपुट के साथ)