केंद्र सरकार की 'नदी जोड़ो महापरियोजना' की रफ्तार धीमी
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केंद्र सरकार की 'नदी जोड़ो महापरियोजना' की रफ्तार धीमी

नदियों को कृत्रिम रूप से जोड़ने के महाप्रयोग के तहत केंद्र सरकार ने केन-बेतवा परियोजना, दमनगंगा-पिंजाल, पार-तापी-नर्मदा लिंक समेत 31 परियोजनाओं का कार्य शुरू किया है, पर इन पर काम अपेक्षित गति से आगे नहीं बढ़ पा रहा है।

नई दिल्ली : नदियों को कृत्रिम रूप से जोड़ने के महाप्रयोग के तहत केंद्र सरकार ने केन-बेतवा परियोजना, दमनगंगा-पिंजाल, पार-तापी-नर्मदा लिंक समेत 31 परियोजनाओं का कार्य शुरू किया है, पर इन पर काम अपेक्षित गति से आगे नहीं बढ़ पा रहा है।

जल संसाधन एवं नदी विकास मंत्री उमा भारती का हालांकि कहना है कि नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजनाओं पर काम हो रहा है और पहली बार नदियों को जोड़ने की परियोजना (केन-बेतवा) में दो बड़े राज्य उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश शामिल हो रहे हैं। इसकी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं और यह अगले वर्ष जनवरी-फरवरी तक शुरू हो जायेगी। दमन गंगा-पिंजाल लिंक के साथ ताप्ती-नर्मदा लिंक पर भी काम को आगे बढाया गया है। इसके साथ ही पंचेश्वर-सारदा लिंक पर भी काम किया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना को पहले सिंतबर तक शुरू होना था लेकिन पर्यावरण एवं वन मंजूरी के विषय को लेकर इसकी अवधि को बढ़ा कर दिसंबर कर दिया गया और अब इसके अगले वर्ष जनवरी या फरवरी में शुरू होने की बात कही जा रही है। दमन गंगा-पिंजाल लिंक के साथ ताप्ती-नर्मदा लिंक परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार हो गयी है और इसे गुजरात और महाराष्ट्र सरकारों को भेजा जा चुका है लेकिन अभी तक इसे अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है।

साउथ कोयल-सुवर्णरेखा एवं शंख-साउथकोयल लिंक परियोजना को लेकर ओडिशा सरकार की कुछ आपत्तियां हैं। इसी तरह से संकोष-महानदी लिंक, संकोष-तिस्ता-गंगा, गंगा-दामोदर सुवर्णरेखा, सुवर्णरेखा-महानदी लिंक को लेकर भी संबंधित राज्यों से इसे आगे बढ़ाने का आग्रह किया गया है और सुझाव मांगे गए हैं। जल संसाधन एवं नदी विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि देश के भीतर 31 नदियों को जोड़ने की योजना पर काम को आगे बढ़ाया जा रहा है और केंद्रीय मंत्री उमा भारती के नेतृत्व में मंत्रालय उच्चतम न्यायालय के निर्देश और प्रधानमंत्री की पहल के तहत काम को आगे बढ़ा रहा है।

अधिकारी ने कहा कि नदियों को जोड़ने की योजना के बारे में राज्यों की आशंकाओं को दूर करने के लिए मंत्रालय ने विशेष पहल की है। मंत्रालय ने नदियों को जोड़ने की विभिन्न परियोजनाओं पर विचार के लिए एक कार्य बल का भी गठन किया है जो वर्तमान नदी जोड़ो परियोजना पर विचार करने के साथ अव्यवहार्य परियोजनाओं के बारे में भी रास्ता सुझा रहा है। अधिकारी ने बताया कि ऐसी नदियां जो कई राज्यों से होकर गुजरती है, उनके संबंध में विवादों को आपसी बातचीत से सुलझाया जा रहा है। उन नदियों को जोड़ने पर पहले ध्यान दिया जा रहा है जो एक ही राज्य के भीतर बहती हैं।

मंत्रालय का कहना है कि नदी जोड़ो परियोजना के तहत सिर्फ उस पानी का इस्तेमाल किया जायेगा जिसका उपयोग नहीं किया जा पा रहा है और जो समुद्र में चला जाता है। बारिश पर किसानों की निर्भरता को कम करने और हर खेत को सिंचाई सुविधा देने के लिए नदियों को जोड़ने पर जोर दिया जायेगा।

जल संसाधन मंत्रालय का मानना है कि अगर यह परियोजना पूरी हो गई तब 90 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि को सिंचाई सुविधा मिल जायेगी। नदियों को कृत्रिम रूप से जोड़ने के महाप्रयोग के तहत 9393 करोड़ रूपये लागत वाली केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना से मध्यप्रदेश का पन्ना बाघ अभायरण्य काफी प्रभावित हो सकता है और इस बारे में एक हरित समिति ने सुझाव दिया था कि इसका सावधानीपूर्वक अध्ययन करना चाहिए।

केन-बेतवा नदी जोड़ो योजना की राष्ट्रीय जल विकास प्राधिकार की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) के अनुसार, इसके तहत यहां डोढन गांव के पास एक नया डोढन बांध बनाने का फैसला किया गया है, जहां 9000 हेक्टेयर के जलाशय में पानी रोका जायेगा। इसमें 5,258 हेक्टेयर वन क्षेत्र आता है जिसमें से 4141 हेक्टेयर पन्ना बाघ अभयारण्य के तहत आता है।

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