शहीद जवानों के ताबूतों पर पुष्पचक्र अर्पित करने में कौन-सी मर्दानगी है: शिवसेना
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शहीद जवानों के ताबूतों पर पुष्पचक्र अर्पित करने में कौन-सी मर्दानगी है: शिवसेना

शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय अब तो 'हिम्मत दिखाओ' में मोदी सरकार की इच्छाशक्ति पर सवाल खड़े किए हैं। संपादकीय में लिखा गया है कि सैनिकों का बलिदान देश को बेचैन और अस्वस्थ्य कर रहा है। सरकार को भी कर रहा होगा, लेकिन शहीद जवानों के ताबूतों पर पुष्पचक्र अर्पित करने में कौन-सी मर्दानगी है। संपादकीय में पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद को पीओके में घुसकर मुंहतोड़ जवाब देकर खत्म करने की जरूरत बताई गई है। शिवसेना के मुखपत्र में लिखा है कि 'हिंदुस्तान में तीनों सेना दल जबरदस्त सक्षम हैं, फिर चाहे वायुसेना हो, थलसेना या फिर नौसेना। हमारी सेनाओं के सामर्थ्य की पुष्टि‍ वायुसेना के प्रमुख अनूप शाह ने की है।'

शहीद जवानों के ताबूतों पर पुष्पचक्र अर्पित करने में कौन-सी मर्दानगी है: शिवसेना

नई दिल्ली: शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय अब तो 'हिम्मत दिखाओ' में मोदी सरकार की इच्छाशक्ति पर सवाल खड़े किए हैं। संपादकीय में लिखा गया है कि सैनिकों का बलिदान देश को बेचैन और अस्वस्थ्य कर रहा है। सरकार को भी कर रहा होगा, लेकिन शहीद जवानों के ताबूतों पर पुष्पचक्र अर्पित करने में कौन-सी मर्दानगी है। संपादकीय में पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद को पीओके में घुसकर मुंहतोड़ जवाब देकर खत्म करने की जरूरत बताई गई है। शिवसेना के मुखपत्र में लिखा है कि 'हिंदुस्तान में तीनों सेना दल जबरदस्त सक्षम हैं, फिर चाहे वायुसेना हो, थलसेना या फिर नौसेना। हमारी सेनाओं के सामर्थ्य की पुष्टि‍ वायुसेना के प्रमुख अनूप शाह ने की है।'

संपादकीय में आगे लिखा गया है, 'वायुसेना प्रमुख कहते हैं कि हमें सिर्फ राजकीय आदेश की आवश्यकता है। अब यह राजकीय इच्छाशक्ति‍ कहां से लाएं? यह कोई अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन जैसे देशों से उधार तो लाई नहीं जा सकती। इसके लिए हमारी सरकार के मनोबल और बाहुबल को प्रज्ज्वलित होना चाहिए। एक बार पाकिस्तान में सेना घुसाओ और हमेशा के लिए उसका बंदोबस्त कर दो!' संपादकीय में लिखा गया है कि भारत की लड़ाई पाकिस्तानी सेना से ना होकर पकिस्तान की ओर से भेजे गए प्रशिक्षित आतंकियों से हो रही है। लेकिन वह हम पर भारी पड़ रहे हैं।

संपादकीय में आगे लिखा गया है कि 'पाकिस्तान के कई मंत्री और हाफिज सईद जैसे आतंकी जब हिंदुस्तान को धमकियां देते हैं, तब हम उनका मजाक उड़ाते हैं और हिंदुस्तानी सेना के सामर्थ्य की याद दिलाते हैं। लेकिन पाकिस्तान समर्थित आतंकियों से लड़ते हुए हमें बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है। कुपवाड़ा में एक आतंकी ढेर हुआ, लेकिन हमें अपने चार जवानों का बलिदान देना पड़ा।' हाल ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक नहीं हो सकी। हमारा मकसद था कि‍ सिर्फ आतंकवाद पर चर्चा होगी, जिसे पाकिस्तान ने नहीं माना। पाकिस्तान दहशतवाद पर चर्चा के लिए तैयार नहीं। संपादकीय में लिखा है कि पाकिस्तान अधि‍कृत कश्मीर में हिंदुस्तान विरोधी दहशतवादियों के कैम्प चलाए जा रहे हैं।

 

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