SC/ST एक्टः मूल शिकायतकर्ता ने कहा, 'कभी नहीं सोचा था कि यह राजनीतिक मुद्दा बन जाएगा'
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SC/ST एक्टः मूल शिकायतकर्ता ने कहा, 'कभी नहीं सोचा था कि यह राजनीतिक मुद्दा बन जाएगा'

केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका से खुद को अलग करते हुए गायकवाड़ ने फोन पर मीडिया से कहा कि फैसला आने के बाद से ही वह एक माह के भीतर पुनर्विचार याचिका दायर करने के बारे में सोच रहे थे.

SC/ST एक्टः मूल शिकायतकर्ता ने कहा, 'कभी नहीं सोचा था कि यह राजनीतिक मुद्दा बन जाएगा'

मुंबईः अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति( अत्याचार निवारण) अधिनियम को लेकर याचिका दायर करने वाले मूल शिकायतकर्ता भास्कर गायकवाड़ ने कभी नहीं सोचा था कि उनकी यह कानूनी लड़ाई इतने बड़े राजनीतिक मुद्दे का रूप ले लेगी. पुणे के सरकारी कॉलेज के 53 वर्षीय कर्मी ने कहा कि एससी/ एसटी कानून को कथित तौर पर कमजोर किये जाने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ वह 19 अप्रैल को पुनर्विचार याचिका दायर करने की योजना बना रहे हैं.

  1. 19 अप्रैल को पुनर्विचार याचिका दायर करने की योजनाः गायकवाड़
  2. 'मैं इन घटनाक्रमों को राजनीतिक तौर पर नहीं देखता हूं'
  3. गायकवाड़ ने केंद्र की पुनर्विचार याचिका से खुद को अलग किया

दलित संगठनों द्वारा सोमवार को आहूत बंद के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में हिंसा की घटनाओं के बीच केंद्र सरकार ने फैसले के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की. केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका से खुद को अलग करते हुए गायकवाड़ ने फोन पर मीडिया से कहा कि फैसला आने के बाद से ही वह एक माह के भीतर पुनर्विचार याचिका दायर करने के बारे में सोच रहे थे. उन्होंने इस मुद्दे को लेकर उत्पन्न राजनीतिक स्थिति के बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. विपक्षी दल सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोल रहे हैं.

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गायकवाड़ ने कहा, ‘‘मैं एक सरकारी सेवक हूं. इसलिए मैं राजनीतिक पहलू के बारे में कुछ नहीं कह सकता हूं. मैं इन घटनाक्रमों को राजनीतिक तौर पर नहीं देखता हूं.’’ गायकवाड़ ने कहा कि उन्होंने 2007 में इस मुद्दे को लेकर याचिका दायर की थी जो सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गयी. अपनी शिकायत में कराड स्थित फार्मेसी कॉलेज के स्टोर कीपर ने आरोप लगाया था कि कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने उनसे फर्जी दस्तावेज तैयार करने को कहा.गायकवाड़ ने दावा किया, ‘‘जब मैंने ऐसा करने से मना कर दिया तो कॉलेज के सवर्ण जाति के लोगों ने मेरी गोपनीय रिपोर्ट में मेरे बारे में नकारात्मक बातें लिख दीं.’’ 

SC/ST एक्‍ट पर दिए फैसले पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम को कथित रूप से कमजोर करने वाले अपने हालिया फैसले पर मंगलवार को रेाक लगाने से इंकार कर दिया. अदालत ने इस मामले में सभी संबंधित पक्षों से 3 दिन में राय मांगी है. इसके साथ ही मामले की अगली सुनवाई 10 द‍िन बाद तय की गई है. हालांकि अदालत ने इस केस में केंद्र की याचिका स्‍वीकार कर ली.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट मेें केंद्र सरकार द्वारा दायर की गई पुनर्विचार याचिका पर मंगलवार दोपहर सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल की दलीलों को सुनते सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्‍पणी करते हुए कहा कि 'हम एससी/एसटी एक्‍ट के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन किसी बेकसूर को सजा नहीं मिलनी चाहिए.' 

इससे पहले सुबह सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दलील देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के चलते एससी/एसटी एक्‍ट पर शीर्ष अदालत के पूर्व के फैसले के चलते जैसे देश में इमरजेंसी जैसे हालात हैं. हजारों लोग सड़क पर हैं. लिहाजा, इस आदेश पर फिलहाल रोक लगाई जाए. अटॉर्नी जनरल की अपील के बाद सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर दोपहर दो बजे खुली अदालत में सुनवाई को तैयार हो गया था.

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