जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में कांग्रेस नेता शशि थरूर ने बीजेपी पर निशाना साधा.
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नई दिल्ली : कांग्रेस नेता शशि थरूर ने एक बार फिर बीजेपी पर हमला बोला. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) पहुंचे थरूर ने कहा कि बीजेपी स्वदेशी जागरण मंच की ओर से सुझाई गई नीति नहीं अपनाती है, बल्कि वो पूंजीवादी विचारधारा का पालन करती है. उन्होंने कहा कि हम तेजी से ध्रुवीकरण, धार्मिक, सांप्रदायिक, जाति, विचारधारा की राजनीति देख रहे हैं. केंद्रवाद शायद ही कभी राजनीति का केंद्र प्रतीत होता है. उन्होंने कहा कि जातिगत ध्रुवीकरण और जातिगत राजनीति भारत को बांटती है.
उन्होंने कहा कि हमारी राजनीति जाति, क्षेत्र, भाषा के मुद्दों के कारण जटिल और उलझन में है. जब बीजेपी और आरएसएस को दक्षिणपंथी संगठनों के रूप में बताया गया है, तो लोग स्वदेशी जागरण मंच (आरएसएस) की आर्थिक नीति को नहीं देख रहे हैं. स्वदेशी जागरण मंच का अर्थशास्त्र वामपंथी अर्थशास्त्र पर आधारित है. थरूर ने कहा कि कोई भी बीजेपी या आरएसएस को वामपंथी के रूप में नहीं सोचता. क्योंकि उनकी विचारधारा अर्थशास्त्र पर नहीं बल्कि सांस्कृतिक आत्मसम्मान पर केंद्रित है.
हाल ही में देश में नक्सल कनेक्शन के आरोप में हुई गिरफ्तारियों पर कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि हमने 6 से 7 लोगों की गिरफ्तारियों को देखा. उनमें से कोई भी ताजा हिंसा में शामिल नहीं था. उनकी गिरफ्तारियां सरकार विरोधी विचारधारा के चलते हुईं. यह लोकतंत्र नहीं है. वे लोग शायद माओवादी हो सकते हैं लेकिन हमें यह सही में नहीं पता कि सच क्या है.
बीजेपी पर हमला बोलते हुए कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि पिछले चार वर्षों में हम देख रहे हैं कि सत्ताधारी पार्टी की ओर से ऐसा दर्शाया जाता है कि देश में अन्य विकल्पों के लिए स्थान दिनोंदिन कम होता जा रहा है. इसलिए हम राजनीतिक तर्कों और भाषणों की नई परिभाषा देख रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर कोई सत्ताधारी पार्टी की आलोचना करता है तो अब ऐसा समझा जाता है कि वह सरकार के साथ-साथ ही देश की भी आलोचना कर रहा है.
उन्होंने कहा कि मौजूदा बीजेपी सरकार की ओर से देश के लोगों के लिए रोजाना एसिड टेस्ट और लिटमस पेपर टेस्ट की तरह ही टेस्ट जारी होते हैं. अगर आप देश में भारत माता की जय नहीं बोलते हैं तो इसका मतलब आप देशद्रोही हैं. देश के मुसलमान कहते हैं कि उनका धर्म की समझ इसके लिए उन्हें इजाजत नहीं देती. वह कहते हैं जय हिंद. हमारे लोकतंत्र और संविधान में उसे अधिकार दिए गए हैं. भारत माता की जय कहने के लिए नहीं, और अगर आप ऐसा नहीं भी कहते हैं तो भी आप देशद्रोही नहीं हैं. लेकिन हमारी मौजूदा सरकार यह समझने के लिए तैयार नहीं. लोकतंत्र में किसी भी तरह का लिटमस टेस्ट (विज्ञान में किया जाने वाला टेस्ट) नहीं होना चाहिए. लेकिन मौजूदा समय में सत्ताधारी दल के साथ यह भी है.
जेएनयू के छात्रों पर लगाए गए देशद्रोह के केस पर शशि थरूर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि देशद्रोह तभी लगाया जा सकता है तब हिंसा हुई हो या हिंसा का खतरा हो. लेकिन जेएनयू के छात्रों पर देशद्रोह का केस लगा दिया गया, जबकि वह सिर्फ प्रदर्शन कर रहे थे. इस नए दृष्टिकोण के साथ यही समस्या है.