यदि सरकार की डेडलाइन खत्‍म हो गई और Facebook, Twitter ने बात नहीं मानी, तो क्‍या होगा?
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यदि सरकार की डेडलाइन खत्‍म हो गई और Facebook, Twitter ने बात नहीं मानी, तो क्‍या होगा?

सरकार के बार-बार निर्देश देने के बावजूद अब तक सोशल मीडिया कंपनियों (Social media companies) की ओर इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए थे. इसके बाद सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को एक सख्त गाइडलाइन (Social Media Guideline) बनाने का निर्देश दिया था.

फाइल फोटो.

नई दिल्ली: ट्विटर (Twitter) और फेसबुक (Facebook) जैसी सोशल मीडिया कंपनियों को सरकार ने गाइडलाइन (Social Media Guideline) बनाने के लिए 3 महीने का वक्त दिया था, जिसकी मियाद आज खत्म हो गई. अब तक भारतीय कंपनी कू को छोड़कर किसी भी कम्पनी ने सरकार को जवाब नहीं ​दिया है. इसके बाद चर्चा है कि क्या बुधवार से ये सभी सोशल मीडिया साइट्स बंद हो जाएंगी? अगर नहीं, तो क्या होगा?

सोशल मीडिया कंपनियों के सामने विकल्प?

बड़ा सवाल उठता है कि सरकार के नए नियम को मानने की समय सीमा खत्म होने के बाद अब आगे क्या होगा? तो सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि सोशल मीडिया कंपनियों के सामने क्या विकल्प हैं? पहला विकल्प यह है कि सोशल मीडिया कंपनियां इस मियाद को फिर से आगे बढ़ाने का आग्रह कर सकती हैं. इसके लिए सोशल मीडिया कंपनियां कोरोना का हवाला दे सकती हैं. दूसरा विकल्प है कि ये कंपनियां नए नियमों का अक्षरश: पालन करने का लिखित रूप से आश्वासन दे सकती हैं. 

सरकार के सामने विकल्प?

सवाल यह भी उठता है कि सरकार के पास क्या विकल्प हैं? कम्पनिया अगर आग्रह करती हैं तो सरकार समय सीमा आगे बढ़ा सकती है. सरकर कार्रवाई भी कर सकती हैं. सरकार IT Act के तहत इन कंपनियों से 'मध्यस्थ' का दर्जा वापस ले सकती है. इसके बाद इन कंपनियों को दायित्व से मिली 'इम्यूनिटी' छीनी जा सकती है. Contempt को लेकर कोई भी कोर्ट जाता है तो अभी तक इस छूट के अनुसार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को पार्टी नहीं बनाया जाता था लेकिन इस बदलाव के बाद कोई भी कोर्ट में जाने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को पार्टी बना सकता है.

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क्या है मामला?

दरअसल बीते कुछ सालों से सोशल मीडिया का इस्तेमाल बेहद गलत तरीके से किया जा रहा है. सोशल मीडिया के जरिए अफवाहों को फैलाना, आपत्तिजनक जानकारी शेयर करना, देश में माहौल खराब करने जैसे काम लगातार किए जा रहे हैं. कई बार ऐसे मामले कोर्ट तक भी पहुंचे हैं. सरकार के बार-बार निर्देश देने के बावजूद अब तक सोशल मीडिया कंपनियों की ओर इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए थे. इसके बाद सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को एक सख्त गाइडलाइन बनाने का निर्देश दिया था.

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