आतंकियों के लिए जहन्‍नुम बनी कश्‍मीर घाटी, 72 घंटे में 13 तो 8 महीने में 142 हुए ढेर
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आतंकियों के लिए जहन्‍नुम बनी कश्‍मीर घाटी, 72 घंटे में 13 तो 8 महीने में 142 हुए ढेर

अभी भी कश्‍मीर घाटी में करीब 200 से 250 आतंकी सक्रिय हैं. सुरक्षाबल चला रहे हैं आतंकियों के सफाए का अभियान. 

फाइल फोटो

नई दिल्‍ली/श्रीनगर : जिस कश्‍मीर घाटी को धरती के स्‍वर्ग के रूप में जाना जाता है. वही अब आतंकियों के लिए जहन्‍नुम बनती जा रही है. यहां तैनात सुरक्षाबलों के जवान आतंकियों के हर नापाक मंसूबों पर पानी फेरते हुए उन्‍हें मौत के घाट उतार रहे हैं. जम्‍मू और कश्‍मीर के काजीगुंड में सुरक्षाबलों ने शनिवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए पांच आतंकियों को एनकाउंटर में मार गिराया है. इन आतंकियों में मोस्‍ट वांटेड और A+++ श्रेणी का आतंकी गुलजार पैडर भी शामिल है.

  1. शनिवार को मारे गए हैं लश्‍कर और हिजबुल के 5 आतंकी
  2. गुरुवार को 3 अलग-अलग एनकाउंटर में मारे गए थे 8 आतंकी
  3. घाटी में 200-250 आतंकियों के अभी भी सक्रिय होने का आशंका

वहीं अगर इस साल के शुरुआती आठ महीनों की बात करें तो घाटी में मारे गए आतंकियों का आंकड़ा काफी बड़ा है. जम्‍मू-कश्‍मीर पुलिस और सुरक्षाबल इन आतंकियों के मंसूबों पर लगातार पानी फेर रहे हैं. इस साल जनवरी से अगस्‍त तक ही जम्‍मू-कश्‍मीर में 142 आतंकी मारे जा चुके हैं. वहीं पिछले 72 घंटे में 13 आतंकियों को हमारे सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया है.

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142 आतंकी ढेर, 250 सक्रिय
सीआरपीएफ के डीजी आरआर भटनागर के अनुसार इस साल जनवरी से लेकर अगस्‍त तक कश्‍मीर घाटी में 142 आतंकियों को ढेर किया गया है. यह भी आतंकी छोटे और बड़े अभियानों में ढेर किए गए हैं. लेकिन उनके मुताबिक घाटी में अभी भी 200 से लेकर 250 आतंकी सक्रिय हैं. उनके अनुसार प्रत्‍येक सुरक्षा एजेंसियों का आंकड़ा अलग-अलग है. लेकिन फिर भी घाटी में करीब इतने आतंकी सक्रिय हैं. उन्‍होंने कहा कि कश्‍मीर में सुरक्षाबलों को बड़ी मुश्किलो से जूझना पड़ता है. लेकिन हम आतंकियों के खिलाफ अभियान को जारी रखे हैं.

सितंबर में भी मारे गए कई आतंकी
पिछले 72 घंटे में कश्‍मीर घाटी में 13 आतंकी ढेर किए जा चुके हैं. जम्मू एवं कश्मीर में तीन अलग-अलग मुठभेड़ों में 13 सितंबर को 8 आतंकवादी मारे गए इसमें तीन आतंकवादी नियंत्रण रेखा के करीब मारे गए. सैन्य अधिकारियों ने बताया कि कुपवाड़ा और रियासी जिले में तीन-तीन आतंकवादी और सोपोर में दो आतंकवादी मारे गए. वहीं शनिवार को मारे गए 5 आतंकियों को भी जोड़ जाए तो यह आंकड़ा 72 घंटे में 13 हो गया है.

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इस साल आतंकी बने सर्वाधिक युवा
2010 के बाद इस साल जम्‍मू और कश्‍मीर में सबसे ज्यादा करीब 130 युवाओं के विभिन्न आतंकी संगठनों से जुड़ने की खबरें आ चुकी हैं. इनमें से अधिकतर नौजवान अलकायदा से वैचारिक जुड़ाव रखने वाले समूहों से जुड़े हैं. अधिकारियों के अनुसार 31 जुलाई तक 131 युवा विभिन्न आतंकी संगठनों से जुड़े हैं. इसमें सबसे बड़ी संख्या दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले की है, जहां से 35 युवा शामिल हुए हैं. पिछले साल 126 स्थानीय लोग इन गुटों से जुड़े थे. 

आतंकी जाकिर मूसा बना है युवाओं का हीरो
जम्‍मू-कश्‍मीर में सुरक्षा एजेंसियों और सुरक्षा अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक कश्‍मीरी युवा अंसार गजवत-उल-हिंद में शामिल हो रहे हैं. यह समूह अलकायदा के समर्थन का दावा करता है और इसका नेतृत्व जाकिर रशीद भट उर्फ जाकिर मूसा करता है. इस समूह की स्वीकार्यता धीरे-धीरे बढ़ रही है. अधिकारियों का मानना है कि ‘शरीयत या शहादत’ के मूसा के नारे ने पाकिस्तान के समर्थन वाले वर्षों पुराने नारे की जगह ले ली है. उसने इंजीनियरिंग कॉलेज की पढाई बीच में ही छोड़ दी. हिज्बुल मुजाहिद्दीन के आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद इस 24 वर्षीय युवक ने युवाओं को आकर्षित किया है. वानी 2016 में मारा गया था.

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5 जिले सबसे आगे
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार शोपियां, पुलवामा, अनंतनाग, कुलगाम और अवंतीपुरा जिलों वाले सबसे अशांत दक्षिण कश्मीर में सबसे ज्यादा युवा आतंकवादी संगठनों में शामिल हो रहे हैं. कश्मीर घाटी में इन पांच जिलों से 100 से ज्यादा युवक विभिन्न आतंकी समूह में शामिल हुए हैं. राज्य विधानसभा और संसद में पेश हालिया आंकड़ों के मुताबिक 2010 के बाद इस साल यह आंकड़ा शीर्ष पर है. 

आंकड़े बता रहे भर्ती की कहानी
आंकड़े से पता चलता है कि 2010 से 2013 की तुलना में वर्ष 2014 के बाद घाटी में हथियार उठाने वाले नौजवानों की संख्या बढ़ती गई है. वर्ष 2010 में यह आंकड़ा 54, 2011 में 23, 2012 में 21 और 2013 में छह था. वर्ष 2014 में यह संख्या बढ़कर 53 हो गई और 2015 में 66 तथा 2016 में यह 88 तक चली गई.

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