महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने तोड़ी सालों पुरानी परंपरा, विपक्ष ने कहा- सत्ता से धो बैठेंगे हाथ
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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने तोड़ी सालों पुरानी परंपरा, विपक्ष ने कहा- सत्ता से धो बैठेंगे हाथ

पंढरपुर के विठ्ठल मंदिर में आषाढ़ी एकादशी के दिन हर साल 10 लाख से भी ज्यादा लोग दर्शन के लिए आते हैं

देंवेंद्र फडणवीस बीते कई सालों से सालाना पंढरपुर मेले के दौरान वहां जाते रहे हैं (फाइल फोटो)

अमित कोटेचा, मुंबई: महाराष्ट्र में चली आ रही बरसों की परंपरा अब जाकर टूटी. हर साल की यह एक परंपरा रही है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री आषाढ़ी एकादशी के दिन पंढरपुर जाकर विठ्ठल देव की पूजा करते हैं मगर इस साल महाराष्ट्र के मौजूद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने यह निर्णय लिया कि इस साल वो पंढरपुर जाकर पूजा नही करेंगे. आपको बता दें कि उन्हें सोमवार को वहां जाना था लेकिन उन्होंने इसके एक दिन पहले ही अपनी यात्रा रद्द करने की घोषणा कर दी. महाराष्ट्र के इतिहास में ऐसी घटना पहले एक बार हो चुकी है. 1997 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर जोशी ने भी यह परंपरा तोड़ी थी जिसका अंजाम ऐसा हुआ कि अगले चुनाव में उनको सत्ता से हाथ धोना पड़ा था. विपक्ष का भी यही कहना है कि मुख्यमंत्री ने यह परंपरा तोड़कर गलत किया और अब अगले चुनाव में वह भी सत्ता से हाथ धो बैठेंगे.

  1. विपक्ष का आरोप- फडणवीस जनता में भ्रम पैदा कर रहे हैं
  2. शिवसेना ने मुख्यमंत्री के इस निर्णय को सही ठहराया
  3. दो बार लगता है मेला, फडणवीस हर साल जाते रहे हैं

फडणवीस ने इसके पीछे बताई यह वजह
जानकारी के मुताबिक पंढरपुर के विठ्ठल मंदिर में आषाढ़ी एकादशी के दिन हर साल 10 लाख से भी ज्यादा लोग दर्शन के लिए आते हैं. इस मंदिर को महाराष्ट्र में धार्मिक और राजनीतिक नजरिए से काफी अहम माना जाता है. पिछले कई सालों से परंपरा रही है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री आकर इसी दिन को विठ्ठल देव की पूजा करते हैं. लेकिन इस साल पूजा करने वाला चेहरा मुख्यमंत्री का नहीं होगा. महाराष्ट्र के मौजूदा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस परंपरा को तोड़ दिया है. यह निर्णय उन्होंने आषाढ़ी एकादशी के केवल एक दिन पहले लिया. अपने इस निर्णय के पीछे का कारण उन्होंने मराठा और ढांगर समुदायों के आंदोलनकारियों की धमकी को ठहराया. गौरतलब है कि आंदोलनकारियों ने अभी तक आरक्षण ना मिलने की वजह से पंढरपुर में फडणवीस को इस बार पूजा-अर्चना नहीं करने देंगे ऐसी धमकी दी थी. जबकि मुख्यमंत्री का मानना है कि उन्होंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है मगर अब मामला बॉम्बे हाईकोर्ट के पास है और वही आरक्षण पर निर्णय ले सकती है. इन धमकियों के बाद फडणवीस ने अपनी यात्रा रद्द करने की घोषणा करते हुए कहा कि उनके पास तो Z+ सिक्योरिटी है जो उनकी सुरक्षा कर सकती है मगर मंदिर में दर्शन करने आए वारकरी के नाम पर मशहूर विठ्ठल के भक्तों की सुरक्षा बरकरार रखने के लिए उन्होंने न जाने का निर्णय लिया है.

विपक्ष का आरोप- फडणवीस जनता में भ्रम पैदा कर रहे हैं
गौरतलब है कि साल 1997 में महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर जोशी ने मुंबई के रमाबाई कॉलोनी में हुए दंगों को लेकर पंढरपुर जाने के निर्णय को रद्द कर दिया था. विपक्ष का मानना है कि पंढरपुर ना जाने को लेकर बहाना बनाने वाले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जनता में भ्रम पैदा कर रहे हैं. इस मंदिर में मुख्यमंत्री के हाथों पहली आरती होने की सालों पुरानी परंपरा को दूसरी बार तोड़ा गया है. इससे पहले जब मनोहर जोशी ने परंपरा तोड़ी थी उसके बाद शिवसेना वापस सत्ता में नहीं आई और इस बार मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ भी वही होगा. उन्होंने यह परंपरा तोड़ी है तो निश्चित तौर पर वे भी अगली बार सत्ता में नहीं आएंगे. जबकि भाजपा के कार्यकर्ताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के इस निर्णय की मनोहर जोशी के साथ तुलना नहीं करनी चाहिए क्योंकि इस बार उन्होंने अपनी सुरक्षा को लेकर नहीं बल्कि लोगों की सुरक्षा को नजर में रखते हुए यह निर्णय लिया है.

शिवसेना ने मुख्यमंत्री के इस निर्णय को सही ठहराया
वहीं दूसरी ओर भाजपा और शिवसेना के संबंध में भले ही खटास आ गई हो मगर शिवसेना ने मुख्यमंत्री के इस निर्णय को सही ठहराया है. शिवसेना का कहना है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस खुद गृह मंत्री भी हैं, उनके पास जरूर कोई इनपुट होंगे सुरक्षा से जुड़े हुए, महापूजा एक शासकीय मामला है. इससे पहले भी महापूजा में कुछ वजहों से पहले के मुख्यमंत्री मनोहर जोशी भी नहीं जा सके थे.

पूर्व पुलिस कर्मचारी ने भी सीएम के फैसले को सही बताया
पूर्व पुलिस कर्मचारी का कहना है पंढरपुर में लाखों वारकरी जब दर्शन में लीन हो जाते हैं तब अगर कोई घटना हो जाए तो हो सकता है कि सारे लोग भगदड़ में मारे जाते. मुख्यमंत्री को पहले भी ऐसी धमकियां मिल चुकी हैं और पंढरपुर में भीड़ में छुपकर कोई भी अपने नापाक इरादों को अंजाम दे सकता है. इसीलिए ऐसे में अगर उनके पास Z+ सिक्यूरिटी भी है तो उनके ऊपर मंडरा रहा खतरा कम नहीं होता.

दो बार लगता है मेला, फडणवीस हर साल जाते रहे हैं
गौरतलब है कि देंवेंद्र फडणवीस बीते कई सालों से सालाना पंढरपुर मेले के दौरान वहां जाते रहे हैं. वे वहां भगवान विट्‌ठल के मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं. बता दें कि पंढरपुर में साल में दो बार मेला लगता है. एक आषाढ़ की एकादशी पर जून-जुलाई में और दूसरा कार्तिक एकादशी के समय नवंबर में. यह मेला अभी 2 से 24 जुलाई के बीच लगा हुआ है. जिसमे 10 लाख श्रद्धालु विठ्ठल देव के दर्शन के लिए पहुचे हैं.

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