इस मुठभेड़ से दो दिन पहले ही वह लापता हुआ था. वह दो साल से कश्मीर यूनिवर्सिटी में पढ़ा रहा था. शुक्रवार को जब वह लापता हुआ तो इसकी रिपोर्ट कराई गई.
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श्रीनगर : जम्मू कश्मीर के शोपियां जिले में आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच रविवार (6 मई) को मुठभेड़ में पांच आतंकवादियों को मार गिराया गया. इन आतंकवादियों में एक आतंकी कश्मीर यूनिवर्सिटी में सोशलॉजी का असिस्टेंट प्रोफेसर रफीक भट भी था. इस मुठभेड़ से दो दिन पहले ही वह लापता हुआ था. वह दो साल से कश्मीर यूनिवर्सिटी में पढ़ा रहा था. शुक्रवार को जब वह लापता हुआ तो इसकी रिपोर्ट कराई गई. इस तरह रफीक की आतंकी की जिंदगी सिर्फ 36 घंटे ही चल पाई.
पुलिस ने बताया कि मारे गए आतंकवादियों में हिज्बुल मुजाहिदीन का शीर्ष कमांडर सद्दाम पैडर भी शामिल था. इससे पहले जब आतंकियों के साथ सेना की मुठभेड़ जारी थी, उसी समय रफीक भट ने अपने पिता अब्दुल रहीम भट को फोन किया था. फोन पर उसने अपने पिता से कहा, ' मैं यहां फंस गया हूं. मुझे मेरी गलतियों के लिए माफ कर देना. मैं अल्लाह से मिलने जा रहा हूं.'
शोपियां एनकाउंटर : आतंकी निकला कश्मीर यूनिवर्सिटी का प्रोफेसर, दो दिन पहले हिजबुल में हुआ था शामिल
32 साल का रफीक भट मध्य कश्मीर के गंदेरबल जिले के चुंदिना इलाके का निवासी था. पिछले नवंबर को रफीक ने कश्मीर यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट पूरा किया था. वह एनईटी दो बार पास कर चुका था. शुक्रवार को रफीक गांदरबल में अपने घर से यूनिवर्सिटी के लिए निकला. यहां उसका लेक्चर था. पूरे दिन के बाद जब वह घर नहीं लौटा तो परिवार वालों ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट पुलिस थाने में दर्ज कराई. जैसे ही उसकी गुमशुदगी की खबर उसके स्टूडेंट्स के बीच पहुंची. वह सड़कों पर प्रदर्शन के लिए उतर आए. इसके बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने जम्मू कश्मीर के डीजीपी एसपी वैद को पत्र लिखा कि वह जल्द से जल्द उसे खोजें.
इसके बाद रविवार को रफीक ने अपने पिता को फोन किया कि वह शोपियां में फंस गया है. सुरक्षा बल और आतंकियों के बीच मुठभेड़ के बीच इस बात की आशंका पुख्ता होने लगी थी कि मकान के भीतर मौजूद आतंकियों में एक आतंकी असिस्टेंट प्रोफेसर रफीकक भट्ट भी है, जिसके बाद स्थानीय पुलिस ने रफीकक भट्ट के परिजनों को भी मुठभेड़ स्थल पर बुलाया. पुलिस की अपील पर परिजनों ने रफीकक भट्ट को सरेंडर करने के लिए खूब समझाने का प्रयास भी किया, लेकिन वह अपनी जिद पर अड़ा रहा. रफीकक भट्ट की यह जिद सुरक्षा बलों की गोलियों का शिकार बनने के बाद ही खत्म हुई.