ZEE जानकारी: मौत के अलार्म से जागने वाला सिस्टम, ज़िंदा लोगों की कद्र करना भूल गया है
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ZEE जानकारी: मौत के अलार्म से जागने वाला सिस्टम, ज़िंदा लोगों की कद्र करना भूल गया है

आज पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में एक भयानक दुर्घटना हुई है . दक्षिण कोलकाता के एक व्यस्त इलाक़े में आज एक पुल का हिस्सा गिरने से एक व्यक्ति की मौत हो गई और 19 लोग घायल हो गए. 

ZEE जानकारी: मौत के अलार्म से जागने वाला सिस्टम, ज़िंदा लोगों की कद्र करना भूल गया है

आप सभी लोग बहुत सौभाग्यशाली हैं कि हर रोज़ आप सही सलामत अपने घर पहुंच जाते हैं. क्योंकि भारत एक ऐसा देश है जहां आम आदमी की जान बहुत सस्ती है . यहां कब कौन सा पुल गिर जाए ? कब कोई दुर्घटना हो जाए ? और कब किसी की मौत हो जाए ? कोई नहीं जानता! हमारे देश में कोई दुर्घटना तभी बड़ी मानी जाती है जब उसमें मरने वालों की संख्या ज़्यादा हो. मौत के अलार्म से जागने वाला सिस्टम, अब ज़िंदा लोगों की कद्र करना भूल गया है. कोलकाता में ऐसा ही हुआ है. वहां 24 घंटे व्यस्त रहने वाले एक पुल का बड़ा हिस्सा, अचानक गिर गया. वैसे ये कहना सही नहीं होगा कि पुल का हिस्सा अचानक गिर गया. कोई भी पुल अचानक नहीं गिरता... उसके गिरने के पीछे कई वर्षों तक पूरी ईमानदारी के साथ किया गया भ्रष्टाचार होता है, लापरवाही होती है. 

आज पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में एक भयानक दुर्घटना हुई है . दक्षिण कोलकाता के एक व्यस्त इलाक़े में आज एक पुल का हिस्सा गिरने से एक व्यक्ति की मौत हो गई और 19 लोग घायल हो गए. ये सुनकर आपके मन में यही आ रहा होगा कि इसमें कौन सी बड़ी बात हो गई... बड़े बड़े शहरों में ऐसी छोटी-मोटी ख़बरें तो होती ही रहती हैं. और मन में आया हुआ यही विचार हमारे देश का कड़वा सच है. किसी की मौत से, उसके परिवार के अलावा.. किसी और को कोई फर्क़ नहीं पड़ता.

ये 40 वर्ष पुराना पुल है जिसे माझरहाट पुल कहते हैं. आज शाम करीब 4 बजकर 45 मिनट पर इस पुल का एक हिस्सा गिर गया. उस वक्त भी इस पुल पर कई गाड़ियां चल रही थीं . एक Mini Bus, 3 कारें और कुछ Bikes भी पुल के टूटते ही ज़मीन पर आ गईं . यहां पास ही एक नए Metro Project का काम चल रहा था . बहुत सारे मज़दूर अक्सर थकान मिटाने के लिए इस पुल के नीचे आते थे . ऐसी आशंका है कि 5 मज़दूर भी इस पुल के नीचे दबे हो सकते हैं . NDRF, Fire Brigade और पुलिस की टीमें यहां बचाव और राहत के काम में जुटी हुई है . 

अगर आप इस पूरे इलाके के Satellite Map को देखें तो इस पुल के नीचे एक रेलवे लाइन है और इस रेलवे लाइन के पास ही एक नाला है. बचाव दल के सामने ये भी एक बड़ी चुनौती हैं . उन्हें ये भी देखना होगा कि कहीं कोई व्यक्ति नाले में तो नहीं गिर गया . क्योंकि पुल का एक हिस्सा रेलवे लाइन के अलावा नाले पर भी गिरा है . 

हिंदी के मशहूर साहित्यकार हरिशंकर परसाई ने एक बार कहा था कि सबसे ज़्यादा विटामिन पैसे में होता है . देश के भ्रष्टाचारी लोग इसी विटामिन का सेवन करते हैं. ये ऐसा विटामिन है जो भ्रष्ट लोगों को मज़बूत करता है और देश के पुलों, स़ड़कों और इमारतों को कमज़ोर करता है . हमारे बड़े बड़े शहरों में बार बार हादसे होते हैं, हर बार जांच कमेटियां बैठती हैं, कुछ दिन शोर मचता है, इसके बाद सब शांत हो जाते हैं. और अगले हादसे का इंतज़ार शुरू हो जाता है. अब हम आपको तीन तस्वीरें दिखाना चाहते हैं.

2 वर्ष पहले भी.... 31 मार्च 2016 को कोलकाता में एक निर्माणा-धीन पुल गिर गया था . तब 150 लोग उस पुल के नीचे दब गए थे और 25 से ज़्यादा लोगों की इस हादसे में मौत हो गई थी. पहले शोर मचा, फिर जांच हुई, और फिर सब कुछ चिता की राख की तरह ठंडा हो गया. इसी वर्ष 3 जुलाई को मुंबई के अंधेरी में भी रेलवे के एक फुटओवर ब्रिज का हिस्सा गिर गया था . जिसमें 2 लोगों की मौत हुई थी. इसे भी छोटा हादसा समझकर Memory से Delete कर दिया गया.

इसके अलावा में वाराणसी में भी मई 2018 में Flyover का एक हिस्सा गिरने से 18 लोगों की मौत हो गई थी. इसका मतलब है कि हमने ना तो कुछ सीखा है और ना ही कुछ बदला है.

हम अपनी ज़िम्मेदारी को समझते हुए बार बार इस तरह के हादसों का विश्लेषण करते हैं . हम बार-बार ये बताते हैं कि इन हादसों के लिए कौन ज़िम्मदार है ? लेकिन कभी भी ज़िम्मेदार अधिकारियों, अफसरों, ठेकेदारों, इंजीनियरों और मंत्रियों पर कार्रवाई नहीं होती. हर बार पहले जांच रिपोर्ट बनाई जाती है और इसके बाद पूरे मामले को रफ़ा दफ़ा करने का दौर चलता है . 
देश का आम आदमी भी ये मान चुका है कि अगर किसी हादसे में किसी की मौत होती है तो इसके लिए System नहीं बल्कि वो व्यक्ति खुद ज़िम्मेदार है. उसकी किस्मत खराब है . यानी हम कुछ सीख नहीं रहे, सिर्फ हादसों का इंतज़ार कर रहे हैं और मौत के आंकड़ों की मोटी मोटी फाइलें तैय़ार कर रहे हैं.

अब ज़रा ये समझने की भी कोशिश करते हैं कि आखिर इस हादसे के लिए कौन लोग ज़िम्मेदार है . कोलकाता के इस माझरहाट पुल को Kolkata Port Trust और Railway ने मिलकर बनाया था . यानी अगर इसके Design में कोई कमी है तो इसके लिए Kolkata Port Trust और Railway को ज़िम्मेदार माना जाएगा . इस वक्त इस पुल की maintenance का ज़िम्मा राज्य के PWD विभाग के पास था . इसीलिए राज्य के PWD minister अरूप बिस्वास भी इस हादसे के लिए ज़िम्मेदार हैं . 

TMC के विधायक फिरहाद हकीम इस इलाके से विधायक हैं . वो सरकार में शहरी विकास मंत्री भी हैं . इस हिसाब से उनकी भी इस हादसे में पूरी ज़िम्मेदारी बनती है . गौर करने वाली बात ये है कि उन पर पूरे राज्य के शहरों के विकास का ज़िम्मा है लेकिन वो अपने क्षेत्र की कमियों पर ही गौर नहीं कर पाए . 

हादसे की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की है. जो 7 वर्ष से राज्य की मुख्यमंत्री हैं . बड़ी बात ये है कि ये हादसा पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में हुआ है . मुख्यमंत्री और PWD Minister का दफ्तर हादसे की जगह से सिर्फ 8 किलोमीटर दूर है . ((कोलकाता पुलिस का headquarter यहां से साढ़े 8 किलोमीटर दूर है .)) शायद कई बार ऐसा हुआ होगा... जब राज्य के बड़े मंत्री और बड़े अफसर इस पुल के ऊपर से गुज़रे होंगे . लेकिन उन्होंने कभी भी इस पुल के maintenance पर ध्यान नहीं दिया और अक्सर ऐसी ही लापरवाही हादसों की वजह बनती है . वो तो किस्मत अच्छी थी कि जब ये लोग इस पुल से गुज़रे होंगे तब कोई हादसा नहीं हुआ. आज पुल गिरने की ख़बर देखकर इन लोगों को थोड़ा डर तो ज़रूर लगा होगा. लेकिन सिर्फ डर से कोई काम ठीक से पूरा नहीं किया जा सकता. इसके लिए साफ नीयत और पुरुषार्थ की ज़रूरत होती है.

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