सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा, मैं सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा को तब से जानता हूं, जब वह दिल्ली पुलिस कमीशनर के पद पर तैनात थे.
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नई दिल्ली : सीबीआई vs सीबीआई की जंग में अब राजनेताओं के बयान भी सामने लगे हैं. बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने बड़ा बयान दिया है. स्वामी ने कहा, मैं सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा को तब से जानता हूं, जब वह दिल्ली पुलिस कमीशनर के पद पर तैनात थे.
अलोक वर्मा हैं एक ईमानदार व्यक्ति- स्वामी
न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत करते हुए स्वामी ने कहा, मैंने आलोक वर्मा को सीबीआई में एयरसेल-मैक्सिस समेत कई केसों पर काम करते हुए देखा है. मैं उन्हें एक ईमानदार व्यक्ति मानता हूं. स्वामी ने कहा, आलोक वर्मा के साथ काफी अन्याय हो रहा है. उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट आलोक वर्मा को न्याय देगा.
आज हुई सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई
CBI vs CBI मामले में डायरेक्टर आलोक वर्मा की याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. उनकी याचिका पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगी. इससे पहले सोमवार को सीवीसी ने सीलकवर में अपनी जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी. सीजेआई रंजन गोगोई की पीठ ने कहा 'अगर सरकार को आपत्ति न हो तो सीवीसी की रिपोर्ट याचिकाकर्ता को सौंपी जा सकती है.
कौन हैं सीबीआई चीफ आलोक वर्मा
आलोक वर्मा 1979 बैच के यूटी कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं. आलोक ने मौजूदा पोस्टिंग से पहले दिल्ली पुलिस कमिश्नर की कमान संभाली थी. दिल्ली के पुलिस कमिश्नर रहने के बाद 1 फरवरी 2017 को उन्हें सीबीआई के चीफ पद पर नियुक्त किया गया था. उन्होंने दिल्ली पुलिस कमिश्नर के अलावा दिल्ली पुलिस में विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं. इनमें डीसीपी (साउथ), जेसीपी (क्राइम ब्रांच), जेसीपी (नई दिल्ली रेंज), स्पेशल पुलिस कमिश्नर (इंटेलिजेंस) और स्पेशल पुलिस कमिश्नर (विजिलेंस) शामिल हैं.
सीबीआई ने अपने निदेशक आलोक वर्मा का विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के आरोपों से बचाव करते हुए कहा है कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप मिथ्या और दुर्भावनापूर्ण हैं. अस्थाना ने कैबिनेट सचिव और केंद्रीय सतर्कता आयोग को पत्र लिख कर सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार और अनियमितता के कम से कम 10 मामलों का जिक्र किया था.
सीबीआई के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि सतीश सना के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) जारी होने की जानकारी सीबीआई के निदेशक को नहीं थी. इस तरह के लगाए गए कई अन्य आरोप सही नहीं हैं. उन्होंने कहा, डीसीबीआई ने 21 मई, 2018 को एलओसी जारी करने के प्रस्ताव को देखा और उसे ठीक भी किया था. उन्होंने कहा कि यह आरोप कि सीबीआई के निदेशक ने सना की गिरफ्तारी को रोकने का प्रयास किया था, पूरी तरह से झूठ और दुर्भावनापूर्ण है.