इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अदालती कार्यवाही के लाइव प्रसारण के दिशा-निर्देशों पर अपने सुझाव अदालत में दिए थे.
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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग की मांग वाली याचिका पर शीर्ष अदालत ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया है. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविल्कर और डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने अपना फैसला पढ़ते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में बड़े मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग की जा सकेगी. कोर्ट ने कहा कि ये जनहित में जारी है, इससे पारदर्शिता आएगी.
केंद्र सरकार बनाएगी स्ट्रीमिंग के लिए नियम
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश देते हुए कहा कि वह कोर्ट की कार्यवाही के लाइव प्रसारण के लिए नियम बनाएगी.
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने क्या कहा था?
इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अदालती कार्यवाही के लाइव प्रसारण के दिशा-निर्देशों पर अपने सुझाव अदालत में दिए थे. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अदालत को बताया था कि लाइव प्रसारण का पायलट प्रोजेक्ट सबसे पहले देश के मुख्य न्यायाधीश की अदालत में शुरू किया जा सकता है.
वेणुगोपाल ने यह भी बताया था कि सजीव प्रसारण 70 मिनट की देरी से भी किया जा सकता है. ताकि जज को राष्ट्रीय सुरक्षा या व्यक्तिगत निजता के मामलों में वकील के गलत आचरण पर या किसी संवेदनशील मामले में प्रसारण के दौरान आवाज को बंद (म्यूट) करने का अवसर मिल सके.
सजीव प्रसारण को बतौर पायलट प्रोजेक्ट केवल कोर्ट नंबर एक (सीजेआइ कोर्ट) में ही लागू किया जा सकेगा और केवल संवैधानिक पीठों की टिप्पणी के संदर्भो के लिया किया जा सकेगा. वेणुगोपाल ने बताया था कि वादी, पत्रकारों, प्रशिक्षुओं, आगंतुकों और वकील इस सजीव प्रसारण को देख सकेंगे. कोर्ट परिसर में इसके लिए अलग से मीडिया रूम बनेगा. इससे अदालतों में भीड़-भाड़ कम होगी. इन प्रावधानों से दिव्यांगों को भी लाभ होगा.