इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा था कि राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि भीड़ द्वारा इस तरह हो रही हिंसा को किसी भी कीमत पर रोका जाए.
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सुमित कुमार/महेश गुप्ता, नई दिल्ली : देश भर में गोरक्षा के नाम पर हो रही भीड़ द्वारा हिंसा के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. मंगलवार (17 जुलाई) को मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को इसके लिए कानून बनाने की आवश्यकता है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि 4 सप्ताह के भीतर मॉब लिन्चिंग पर दिशा-निर्देश जारी करें. कोर्ट ने कहा कि गोरक्षा के नाम पर कोई भी शख्स कानून को हाथ में नहीं ले सकता है. केंद्र और राज्य सरकार को गाइडलाइन जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गोरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा के लिए कानून व्यवस्था को मजबूत करने की आवश्यकता है.
गोरक्षा के नाम पर हिंसा बर्दाश्त नहीं-कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि देश में जगह-जगह गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा को बर्दाश्त नहीं की जाएगी. कोर्ट ने कहा कि भीड़ द्वारा हिंसा को रोकने की जिम्मेदारी राज्य सरकार और राज्य की पुलिस की है. इस मामले में अगली सुनवाई 28 अगस्त को मुकर्रर की गई है.
सिर्फ कानून व्यवस्था नहीं बल्कि ये मामला है अपराध-कोर्ट
पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि भीड़ द्वारा इस तरह हो रही हिंसा को किसी भी कीमत पर रोका जाए. अदालत ने कहा था कि ये सिर्फ कानून व्यवस्था से जुड़ा मामला नहीं है, बल्कि ये एक अपराध है. कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि कोई भी शख्स को कानून को हाथ में ले इसे बर्दाश्त नहीं जाएगा. कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में दोषी को सख्त सजा मिलनी चाहिए.
गोरक्षा के नाम पर हत्या करना गर्व की बात-याचिकाकर्ता
याचिकाकर्ता इंदिरा जयसिह ने कहा कि भारत में अपराधियों के लिए गोरक्षा के नाम पर हत्या करना गर्व की बात बन गई है. उन्होंने कहा कि सरकार अपने नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने में विफल रही है और उन्हें जीवन की सुरक्षा की गारंटी नहीं दे पा रही है. उन्होंने कहा कि सरकारें इस तरह के अपराध करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने में भी विफल रही हैं. इसलिए वक्त की मांग है कि इस बारे में स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किए जाएं.
सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पी. एस. नरसिम्हा ने कहा था कि केंद्र सरकार इस मामले में सजग और सतर्क है, लेकिन मुख्य समस्या कानून व्यवस्था की है. कानून व्यवस्था पर नियंत्रण रखना राज्यों की जिम्मेदारी है. केंद्र इसमें तब तक दखल नहीं दे सकता जब तक कि राज्य खुद गुहार ना लगाएं.