सुप्रीम कोर्ट स्कूली छात्रों की सुरक्षा पर सख्त, 3 हफ्ते में मांगा केन्द्र और राज्यों से जवाब
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सुप्रीम कोर्ट स्कूली छात्रों की सुरक्षा पर सख्त, 3 हफ्ते में मांगा केन्द्र और राज्यों से जवाब

शीर्ष अदालत ने साथ ही इन वकीलों की याचिका को छात्र प्रद्युमन के पिता की याचिका के साथ संलग्न कर दिया. प्रद्युमन की गुरुग्राम के रायन इंटरनेशनल स्कूल के शौचालय में गला रेत कर हत्या कर दी गयी थी.

सुप्रीम कोर्ट ने तीन सप्ताह के भीतर नोटिस के जवाब देने हैं. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने स्कूली छात्रों को यौन उत्पीड़न और हत्या जैसे अपराधों से संरक्षण प्रदान करने के लिये दिशा निर्देश बनाने और उन पर अमल सुनिश्चित कराने के लिये दायर याचिका पर शुक्रवार (15 सितंबर) को केन्द्र और सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी किये. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने महिला वकील आभा आर शर्मा और संगीता भारती की याचिकाओं पर केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय और सभी राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किये. इन सभी को तीन सप्ताह के भीतर नोटिस के जवाब देने हैं.

शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही इन वकीलों की याचिका को सात वर्षीय छात्र प्रद्युमन के पिता की याचिका के साथ संलग्न कर दिया. प्रद्युमन की गुरुग्राम में रायन इंटरनेशनल स्कूल के शौचालय में गला रेत कर हत्या कर दी गयी थी. शीर्ष अदालत सोमवार (18 सितंबर) को गाजियाबाद के इन्दिरापुरम में स्थित जी डी गोयनका पब्लिक स्कूल के नौ वर्षीय छात्र अरमान सहगल की मृत्यु को लेकर दायर उसके पिता की याचिका पर भी सुनवाई करेगा. इस याचिका में अरमान की रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु की सीबीआई से जांच कराने का अनुरोध किया गया है.

वकील सुजीता श्रीवास्तव के माध्यम से दायर जनहित याचिका में स्कूल की चाहरदीवारी के भीतर बार बार छात्रों के शोषण और बाल यौन शोषण की हो रही घटनाओं का मुद्दा उठाया गया है. याचिका में केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों को स्कूलों के लिये बच्चों की सुरक्षा के साथ किसी प्रकार का समझौता नहीं होने देने को अधिसूचित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.

याचिका में स्कूलों में बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिये बाल अधिकारों के संरक्षण के लिये दिल्ली आयोग सहित विभिन्न प्राधिकारियों के मौजूदा दिशा निर्देश उचित तरीके से लागू करने का अनुरोध किया गया है. दिशा निर्देशों का हवाला देते हुये इसमें कहा गया है कि प्रत्येक स्कूल के लिये बाल संरक्षण नीति बनाना जरूरी है जो समझ में आनी चाहिए और सभी कर्मचारियों या नयी भर्ती वाले कर्मिकों को बतायी जानी चाहिए और उन पर उनके हस्ताक्षर होने चाहिए.

महिला वकीलों ने दिशा निर्देशों के लिये कुछ सुझाव भी दिये हैं. उनका कहना है कि स्कूलों के एक किलोमीटर के दायरे में शराब की दुकानों, तंबाकू और तंबाकू आधारित उत्पादन पान मसाला, सिगरेट और गुटखा आदि बेचने वाली दुकानों की अनुमति नहीं होनी चाहिए.

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