लड़का-लड़की अपनी मर्जी से किसी से भी शादी कर सकते हैं, परिवार-पंचायत दखल ना दे: SC
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लड़का-लड़की अपनी मर्जी से किसी से भी शादी कर सकते हैं, परिवार-पंचायत दखल ना दे: SC

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि प्रेमी जोड़े के शादी करने के फैसले में किसी को दखल देने का अधिकार नहीं है.

प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली, सुमित कुमार. खाप पंचायत से जुड़े ऑनर किलिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर सख्ती दिखाई है. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि प्रेमी जोड़े के शादी करने के फैसले में किसी को दखल देने का अधिकार नहीं है, अगर एक प्रेमी जोड़ा सपिंडा या सगोत्रीय शादी कर भी लेता है, तो उस शादी को वैध या अवैध साबित करना कोर्ट का काम है. खाप पंचायत ही क्या परिवार को भी इसमे दखल देने का अधिकार नहीं है. सुप्रीम कोर्ट प्रेमी जोड़ों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आदेश देगा. सुप्रीम कोर्ट ने इसपर याचिककर्ता और सरकार से सुझाव मांगा है.

  1. ऑनर किलिंग मामले पर सख्त सुप्रीम कोर्ट
  2. लड़का-लड़की अपनी मर्जी से किसी से भी शादी कर सकते हैं: SC
  3. ऑनर किलिंग को लेकर केंद्र का रवैया सुस्त: SC

कोर्ट ने कहा कि कपल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुलिस की भी जवाबदेही तय की जाए. हालांकि कोर्ट ने इस मामले के साथ अंकित सक्सेना की दर्दनाक हत्या के मामले को सुनने से इंकार कर दिया. प्रोफेसर और समाजसेवी मधु किश्वर ने इसके लिए कोर्ट से आग्रह किया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये अलग मसला है, इसे खाप पंचायत के मामले के साथ नहीं सुना जा सकता है. कोर्ट अब मामले की अगली सुनवाई 16 फरवरी को करेगा. आपको बता दे कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एक वयस्क लड़का या लड़की अपनी मर्जी से किसी से भी शादी कर सकते हैं. किसी खाप पंचायत, अभिभावक, समाज में किसी और को इस पर सवाल उठाने का हक नहीं है. खाप पंचायत किसी कपल को समन नहीं भेज सकती और दंडित नहीं कर सकती है. 

ऑनर किलिंग को लेकर केंद्र का ढीला रवैया: SC
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कहा था कि ये साल 2010 का मामला है, लेकिन केंद्र सरकार की गंभीरता का आलम ये है कि वो अब तक सुझाव भी नहीं दे पाई है. अगर सरकार अपनी मर्जी से शादी करने वालों को प्रोटेक्ट करने के लिए कानून नहीं लाती है तो कोर्ट इसके लिए गाइडलाइन बनाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने खाप पंचायतों पर लगाम लगाने में नाकाम रहने पर केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि अगर सरकार इनपर कंट्रोल नहीं कर पाती, तो कोर्ट को दखल देना होगा.

लोकसभा में अटका है 'महिलाओं का कानून'
एमिकस क्यूरी राजू रामचन्द्रन ने कहा था कि लॉ कमीशन भी अंतरजातीय शादी करने वाले जोड़ों को प्रोटेक्ट करने के लिए कानून बनाने की सिफारिश कर चुका है, लेकिन केंद्र सरकार का रवैया अब तक लचर रहा है. केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने कहा कि केंद्र सरकार देश की महिलाओं की गरिमा और उनके सम्मान को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है और जल्द ही इस संबंध में कानून भी लाने वाली है, लेकिन ये बिल अभी लोकसभा में अटका हुआ है. 

क्या है पूरा मामला
वर्ष 2010 में शक्तिवाहिनी संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर ऑनर किलिंग जैसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए गाइडलाइन तैयार करने की मांग की थी. दरअसल खाप पंचायतें प्राचीन समाज का वह रूढ़िवादी हिस्सा हैं, जो आधुनिक समाज और बदलती विचारधारा में सामंजस्य नहीं बिठा पा रही हैं. इसका जीता जागता प्रमाण पंचायतों के मौजूदा स्वरूप में देखा जा सकता है, जिसमें महिलाओं और युवाओं का प्रतिनिधित्व न के बराबर है. यदि इन पंचायतों की मानसिकता और इनके सामाजिक ढांचों पर ध्यान दिया जाए, तो चौंका देने वाले आंकड़े सामने आते हैं, जो बेहद ही चिंताजनक हैं. खाप पंचायतों के एरिया (हरियाणा, दिल्ली, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश) में महिला-पुरूष का लिंग अनुपात सबसे खराब है, जबकि इन इलाकों में कन्या भ्रूण हत्या का औसत राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है. इससे साफ जाहिर है कि खाप पंचायतों का मूल चरित्र नारी विरोधी है. यही कारण है कि पढ़-लिखकर आत्मनिर्भर होती महिलाएं और उनकी मर्जी से होने वाली शादियां हमेशा से इनकी आंख का कांटा रही हैं.

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