27 साल का हरजीत मसीह पंजाब के गुरदासपुर जिले का रहने वाला है. वह 2015 में भारत लौटा.
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विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में मंगलवार को बयान देते हुए कहा है कि 2014 में इराक के मोसुल से लापता हुए 40 में से 39 लोगों की इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने हत्या कर दी थी. उसके बाद उनके शव को दफना दिया गया. स्वराज ने यह भी बताया कि एक शख्स हरजीत मसीह किसी तरह बच निकलने में कामयाब रहा था. जब वह इराक के इरबिल में था तो उससे बात भी हुई थी लेकिन ताजा जानकारी के संदर्भ में उसके द्वारा दी गई जानकारी झूठी थी. सुषमा स्वराज ने बताया कि दरअसल हरजीत खुद को मुस्लिम बताकर बच निकला था. ऐसे में आइए जानते हैं कि हरजीत कौन है? जब वह बच निकला था तो उसने कौन सी जानकारी सार्वजनिक की थी?
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हरजीत मसीह
27 साल का हरजीत मसीह पंजाब के गुरदासपुर जिले का रहने वाला है. वह 2015 में भारत लौटा. उस दौरान उसने मीडिया को बताया था कि 10-11 जून, 2014 को 40 भारतीयों को आईएस ने पकड़ लिया था. उनको बंधक बनाने के चार-पांच दिन बाद एक पहाड़ी पर ले जाया गया. उनको एक कतार में खड़ा कर दिया गया और पीछे से गोली मार दी गई. मसीह के मुताबिक उसको दाएं पैर में गोली लगी. वह गिर गया और मरने का नाटक किया. थोड़ी देर बाद जब आतंकी वहां से चले गए तो वह वहां से भाग निकला. मसीह के मुसाबिक बाकी किसी के बचने की वहां कोई संभावना नहीं दिखी थी. उसने बताया कि उसके बाद कुछ दिन तक वह बांग्लादेशी युवाओं के साथ रहा. उसके बाद इरबिल में अपनी कंस्ट्रक्शन कंपनी में संपर्क साधा. उन्होंने भारतीय दूतावास को मुझे सौंप दिया. उसके बाद मुझे भारत लाया गया.
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सुषमा स्वराज का बयान
सुषमा स्वराज ने मंगलवार को राज्यसभा में बताया कि ISIS ने 40 भारतीयों के साथ बांग्लादेशियों को भी पकड़ा था. ISIS ने उन्हें तब कब्ज़े में लिया, जब वो खाना खाने जा रहे थे. ISIS ने बांग्लादेशियों को छोड़ा, सभी को इरबिल भेज दिया. बांग्लादेशियों के साथ एक भारतीय हरजीत मसीह भी निकला. मसीह ने अपना नाम अली बताया और निकल गया. ISIS ने 40 भारतीयों की गिनती की तो वो 39 ही निकले. सभी 39 भारतीयों को ISIS ने इराक के बदूश भेज दिया. जांच में पता चला कि बदूश के एक पहाड़ पर सामूहिक कब्र है. कब्र की रडार से जांच की गई तो 39 शवों का पता चला. खुदाई कर शवों को निकाला गया तो हिंदुस्तानी कड़े मिले. शवों से लंबे बाल और कड़े मिले, जिससे भारतीय होने का शक हुआ. कुछ शवों के जूते ऐसे थे जो इराक़ में नहीं बने हुए थे. लापता 39 भारतीयों के रिश्तेदारों का DNA सैंपल भेजा गया. 38 लोगों का DNA मैच हुआ, एक भारतीय का 70% DNA मैच हुआ. पंजाब, हिमाचल, बिहार, बंगाल से DNA सैंपल बगदाद भेजे गए.
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मोसुल की कहानी
- जून 2014 को 30 लाख की आबादी वाले मोसुल शहर पर ISIS के आतंकवादियों ने कब्ज़ा कर लिया था.
- शुरुआत में ISIS के सिर्फ 1300 आतंकवादियों ने लड़ाई शुरू की थी. लेकिन कुछ ही महीनों के अंदर आतंकवादियों की संख्या हज़ारों में पहुंच गई. सितंबर 2014 तक मोसुल शहर में ISIS के क़रीब 31 हज़ार आतंकवादी घुस चुके थे.
- उस वक्त इराक की सेना के मुकाबले मोसुल में, आतंकवादियों की संख्या का अनुपात 8 के मुक़ाबले 1 का था. इराकी सैनिकों की संख्या...आतंकवादियों के मुकाबले 8 गुना ज़्यादा थी. लेकिन इसके बावजूद इराकी सेना हार गई थी.
- 2014 में जब मोसुल पर ISIS का कब्ज़ा हुआ, तो इसे आतंकवादियों ने अपनी सबसे बड़ी सफलता माना था.
- ISIS के प्रमुख अबु बकर अल बगदादी ने मोसुल की ही अल-नूरी मस्जिद से खुद को खलीफा घोषित किया था. 2017 में इराकी सेना ने मोसुल पर फिर से कब्जा कर लिया.