राम मंदिर पर चल रहे विवाद के बीच केंद्रीय शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद वसीम रिजवी का बड़ा बयान सामने आया है.
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नई दिल्ली: राम मंदिर पर चल रहे विवाद के बीच केंद्रीय शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद वसीम रिजवी का बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि, विभिन्न पार्टियों के साथ चर्चा के बाद हमने एक प्रस्ताव तैयार किया है जिसमें अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण और मस्जिद का निर्माण लखनऊ में करवाया जा सकने की बात कही गई है. उन्होंने आगे कहा कि यह एक ऐसा समाधान है जो देश में शांति और भाईचारे को सुनिश्चित करेगा. उन्होंने आगे कहा कि लखनऊ के हुसैनाबाद में मस्जिद का निर्माण करवाने का प्रस्ताव है. मस्जिद को बाबार और मीर बाकी के नाम पर नहीं बनाया जाएगा. मस्जिद का नाम मस्जिदे अमन रखा जाएगा.
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले अखिल भारतीय अखाड़ा की ओर से शिया वक्फ बोर्ड के साथ राम मंदिर मुद्दे को लेकर सुलह हो जाने का दावा किया गया था. इसी बैठक के बाद शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने ये बयान दिया था कि अयोध्या या फैजाबाद में किसी नई मस्जिद का निर्माण नहीं होगा. किसी मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्र में मस्जिद के लिए जगह चिह्नित कर शिया वक्फ बोर्ड सरकार को अवगत कराएगा.
After discussions with different parties we have prepared a proposal in which a Ram Temple will be built in Ayodhya and a Mosque can be built in Lucknow.This is a solution which will ensure peace and brotherhood in the country: Syed Waseem Rizvi,Chairman,Shia Central Waqf Board pic.twitter.com/Y8LjtNR8jg
— ANI (@ANI) November 20, 2017
उन्होंने सुन्नी वक्फ बोर्ड की आपत्ति पर भी बयान दिया था. रिजवी ने कहा था कि चूंकि सुन्नी वक्फ बोर्ड अपने पंजीकरण का दावा कई जगह से हार चुका है, यह शिया वक्फ की मस्जिद थी, लिहाजा इसमें सिर्फ शिया वक्फ बोर्ड का हक है. यह मंदिर-मस्जिद निर्माण को लेकर आपसी समझौते का मामला है, इसलिए इसमें कोई भी समाज, सुन्नी समाज के लोग, सुन्नी संगठन के लोग सुलह के लिए हमारी शर्तों पर बैठ जरूर सकते हैं, लेकिन अगर कोई नकारात्मक सोच के साथ बैठता है, तो उसे आने नहीं दिया जाएगा. हम इस मसले को और उलझाना नहीं चाहते.
क्या है अयोध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद से जुड़ा पूरा विवाद?
अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए श्री श्री रविशंकर भी पहुंचे थे मध्यस्थता करने
गौरतलब है कि अयोध्या विवाद में मध्यस्थ के लिए आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली से लखनऊ के ऐशबाग ईदगाह में 17 नवंबर को मुलाकात की थी. इस मौके पर श्री श्री रविशंकर ने कहा, ‘बातचीत के जरिए हम हर समस्या हल कर सकते हैं. अदालत का सम्मान है लेकिन अदालत दिलों को नहीं जोड़ सकती...अगर हमारे दिल से एक फैसला निकले तो उसकी मान्यता सदियों तक चले. श्री श्री ने कहा कि समय दीजिए. बहुत जल्दबाजी मत करिए. हम सबसे बात करेंगे. मुझे पूरा विश्वास है कि जब धार्मिक लोग एकत्र होंगे तो सबसे बात होगी.’’ फरंगीमहली ने कहा कि अगर दोनों ओर के नेता हर स्तर पर नियमित रूप से बैठकर बात करें तो मतभेद दूर हो जाएंगे.
इस मुलाकात से पहले श्री श्री रविशंकर ने फैजाबाद और अयोध्या में निर्मोही अखाड़े के धीरेन्द्र दास और मुस्लिम बुद्धिजीवियों से भी मुलाकात की थी. वहीं अयोध्या जाने से पहले वे उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मिले थे. मुख्यमंत्री ने कहा था, ‘‘मैंने अयोध्या के अपने पहले दौरे के समय ही इस बात को कह दिया था कि अगर दोनों पक्ष इस मामले में किसी निष्कर्ष पर पहुंचते हैं और सरकार के पास आते हैं तो सरकार अवश्य उस पर विचार कर सकती है, अन्यथा सरकार अपने स्तर पर कोई पहल फिलहाल तो नहीं करने की स्थिति में है, जबकि मामला उच्चतम न्यायालय में है.’’
वहीं श्री श्री रविशंकर के राम मंदिर विवाद पर मध्यस्थता करने पर कुछ संगठन उनकी भूमिका को लेकर आपत्ति व्यक्त की थी. कांग्रेस ने उन पर सरकार का एक एजेंट होने का आरोप लगाया था. हालांकि, श्री श्री रविशंकर ने इस पर बयान देते हुए कहा था कि इस मुद्दे में उनका कोई एजेंडा नहीं है और वे अपनी इच्छा से एक मध्यस्थ के तौर पर शामिल हैं.