दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार(21 मई) को एक ट्रांसजेंडर से पूछा कि रिकॉर्ड में पूर्व प्रभाव से नाम और लिंग को कैसे बदला जा सकता है?
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नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार(21 मई) को एक ट्रांसजेंडर से पूछा कि रिकॉर्ड में पूर्व प्रभाव से नाम और लिंग को कैसे बदला जा सकता है? वर्ष 2012 में बालिग होने तक पुरुष की तरह रहने वाला यह शख्स चाहता है कि उसे महिला के तौर पर पहचाना जाए. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने पूछा, ‘‘आपका अतीत कैसे बदला जा सकता है? पूर्व प्रभाव से बदलाव कैसे किये जा सकते हैं.’’ अदालत ने ट्रांसजेंडर की उस याचिका के संदर्भ में यह बातें कहीं जिसमें उसने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के रिकॉर्ड में अपना नाम और लिंग बदलने का अनुरोध किया है.
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि विभिन्न प्राधिकारों द्वारा नाम और लिंग परिवर्तन के लिये तय किये गए मानदंड ‘‘मनमाने और अनुचित’’ हैं. याचिका में कहा गया कि विश्वविद्यालय के नियम जहां कहते हैं कि नाम और लिंग परिवर्तन कराने के लिये पहले सीबीएसई के रिकॉर्ड में इनमें बदलाव होना चाहिए जबकि बोर्ड के नियमों के मुताबिक रिकॉर्ड में बदलाव के लिये अनुरोध पर तभी विचार किया जाएगा जब इसे परीक्षा के नतीजों के प्रकाशन से पहले किया जाए.
PAN कार्ड के लिए ट्रांसजेंडर्स को नहीं देना होगा लिंग का प्रमाणपत्र
आपको बता दें कि इससे पहले आयकर विभाग ने कहा था कि ट्रांसजेंडर श्रेणी के तहत पैन कार्ड के लिए नया आवेदन करते समय या मौजूदा कार्ड में किसी तरह के बदलाव के लिए लिंग संबंधी प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है. विभाग ने 10 अप्रैल को आयकर नियमों में संशोधन कर ट्रांसजेंडर को उनके कर संबंधी लेन देन के लिए स्थायी खाता संख्या (पैन) हासिल करने के लिए आवेदकों की एक स्वतंत्र श्रेणी के तौर पर मान्यता दे दी.
अब तक पैन आवेदन फॉर्म में पुरूष एवं महिला लिंग श्रेणी ही उपलब्ध थे. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने इस संदर्भ में मिले अभ्यावेदनों को देखते हुए यह बदलाव किया. क्योंकि, ट्रांसजेडर को नया पैन हासिल करने में या अपने पुराने पैन कार्ड के जरिये लेन देन करने में दिक्कतें हो रही थीं.
इनपुट भाषा से भी