तीन तलाक विधेयक महिला विरोधी और बच्चों के खिलाफ : मुस्लिम महिला रिसर्च केंद्र
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तीन तलाक विधेयक महिला विरोधी और बच्चों के खिलाफ : मुस्लिम महिला रिसर्च केंद्र

तीन तलाक विधेयक का बहुत सी मुस्लिम महिलाओं ने समर्थन किया है, लेकिन कुछ महिला संगठन इस बिल के विरोध में भी हैं. महिला अधिकार कार्यकर्ताओं के एक समूह ने केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन तलाक विधेयक को कठोर और अस्पष्ट करार दिया है. हैदराबाद के संगठन ‘मुस्लिम महिला रिसर्च केंद्र’ की संयोजक असमा जेहरा ने कहा कि यह विधेयक महिलाओं और बच्चों के हितों के विरूद्ध है.

 हैदराबाद के संगठन ‘मुस्लिम महिला रिसर्च केंद्र’ ने तीन तलाक बिल का विरोध किया है

नई दिल्ली : तीन तलाक विधेयक का बहुत सी मुस्लिम महिलाओं ने समर्थन किया है, लेकिन कुछ महिला संगठन इस बिल के विरोध में भी हैं. महिला अधिकार कार्यकर्ताओं के एक समूह ने केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन तलाक विधेयक को कठोर और अस्पष्ट करार दिया है. हैदराबाद के संगठन ‘मुस्लिम महिला रिसर्च केंद्र’ की संयोजक असमा जेहरा ने कहा कि यह विधेयक महिलाओं और बच्चों के हितों के विरूद्ध है.

  1. बजट सत्र में तीन तलाक बिल पर चर्चा
  2. सरकार को बिल के पारित होने की उम्मीद
  3. महिला संगठनों ने बताया महिला विरोधी

बताया महिला विरोधी
असमा जेहरा ने कहा कि यह विधेयक बहुत कठोर है क्योंकि एक दिवानी मामले को फौजदारी अपराध में बदल दिया गया है और पति के लिए तीन साल जेल की सजा का प्रावधान किया गया है. यह महिला विरोधी है और बच्चों के भी खिलाफ है क्योंकि इसमें गुजारा-भत्ते का कोई जिक्र नहीं है. यह असमाजिक भी है.

बता दें कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बजट सत्र के पहले दिन तीन तलाक संबंधी विधेयक को संसद से शीघ्र मंजूरी मिलने की उम्मीद जताई और कहा कि इसके बाद मुस्लिम बहन-बेटियां आत्म सम्मान के साथ भयमुक्त जीवन जी सकेंगी.

प्रधानमंत्री की अपील
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को सभी सांसदों से दलगत राजनीति से ऊपर उठने और तीन तलाक विधेयक पारित करने में सरकार की मदद करने का विनम्र निवेदन किया. मोदी ने बजट सत्र के दौरान विभिन्न मुद्दों पर स्वस्थ बहस करने का भी आग्रह किया जिससे बजट के अधिकतम आर्थिक लाभ दलितों और गरीब किसानों तक पहुंच सकें. प्रधानमंत्री ने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार ने प्रयास किया था कि देश की ऊंची उम्मीदों के कारण गंभीर मुद्दों जैसे तीन तलाक विधेयक को पारित कराने के दौरान कोई राजनीति न हो.

क्या राज्यसभा में तीन तलाक बिल पारित करा पाएगी सरकार..? कांग्रेस ने अटकाए रोड़े

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद तीन तलाक विधेयक संसद द्वारा पारित नहीं हुआ और मुस्लिम महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित किया गया. उन्होंने कहा, "मैं आशा करता हूं और साथ ही देश के सभी राजनीतिक दलों से विनम्र अनुरोध करता हूं कि वे मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए तीन तलाक विधेयक पारित कराएं. यह वास्तव में मुस्लिम महिलाओं के लिए नए साल 2018 का सबसे अच्छा उपहार होगा."

इस विधेयक में तीन तलाक को दंडनीय बनाने और ऐसा करने वाले मुस्लिम पतियों को जेल भेजने का प्रावधान है. विधेयक के इस प्रावधान का विरोध हो रहा है. विधेयक को लोकसभा पारित कर चुकी है जहां सरकार बहुमत में है लेकिन राज्यसभा में इसे पारित नहीं करा सकी है जहां वह बहुमत में नहीं है.

राज्यसभा में विपक्ष ने किया विरोध
लोकसभा में पिछले महीने संसद के शीतकालीन सत्र में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2017 पारित हो चुका है, लेकिन विपक्ष की मांग को लेकर गतिरोध के कारण यह राज्यसभा में लंबित है. कई विपक्षी दल इसे प्रवर समिति के पास भेजने की मांग कर रहे हैं.

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