अपनी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिये सेना ने जमीन पर टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों के समन्वय के साथ हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल दुश्मन के खिलाफ कार्रवाई के लिये की.
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जयपुर: भारतीय सेना ने राजस्थान की रेतीली धरती पर एयर कैवलरी की अवधारणा का परीक्षण करते हुये युद्धाभ्यास किया. अमेरिकी सेना ने वियतनाम युद्ध के दौरान दुश्मन की जमीनी सेना के ठिकाने की पहचान करने और उसपर हमला करने के लिये इसी अवधारणा का इस्तेमाल किया था. अपनी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिये सेना ने जमीन पर टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों के समन्वय के साथ हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल दुश्मन के खिलाफ कार्रवाई के लिये की.
परीक्षण का मकसद दुश्मन के खिलाफ दोहरी आक्रामकता से प्रहार करना
भारतीय सेना ने भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर यह अभ्यास किया जिसमें लड़ाकू हेलिकॉप्टरों को हासिल कर अपनी हवाई युद्ध क्षमता को मजबूत करना है. भारतीय सेना के लिये यह एक नई अवधारणा है और इसका मकसद जमीन पर टैंकों के साथ हवाई समन्वय में दुश्मन के खिलाफ दोहरी आक्रामकता से प्रहार करना है.
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युद्धाभ्यास ‘विजय प्रहार’ के दौरान परीक्षण
रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष ओझा ने बताया, ‘‘हाल में महाजन फायरिंग रेंज में हुये युद्धाभ्यास ‘विजय प्रहार’ के दौरान दक्षिण पश्चिम कमान ने ‘एयर कैवलरी’ की परियोजना का परीक्षण किया.’’ इस अवधारणा को विस्तृत बातचीत के बाद लागू किया गया था.
Ex #VijayPrahar. Strike formations of the Sapta Shakti Command rehearsed offensive maneuvers involving attack helicopters operating in conjunction with Tanks to deliver & destroy the enemy armour. Christened as 'The Air Cavalry', the concept was tried in the exercise.#IndianArmy pic.twitter.com/fIypBWijnv
— ADG PI - INDIAN ARMY (@adgpi) May 5, 2018
लड़ाकू हेलिकॉप्टर टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों का समन्वय
सामान्य युद्ध परिस्थितियों में सेना द्वारा युद्धक हेलिकॉप्टरों को जरूरत के आधार पर बुलाया जाता है जब जमीन पर बल किसी वजह से दुश्मन पर काबू नहीं कर पाता है. ‘एयर कैवलरी’ अवधारणा के तहत लड़ाकू हेलिकॉप्टर टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों के साथ पूरी तरह समन्वय में साथ काम करते हैं.