Monsoon Arrival Date 2023 : इस साल देश में कम बारिश होगी? मानसून को लेकर वैज्ञानिकों ने डिकोड की ये थ्योरी
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Monsoon Arrival Date 2023 : इस साल देश में कम बारिश होगी? मानसून को लेकर वैज्ञानिकों ने डिकोड की ये थ्योरी

Monsoon date : प्रचंड गर्मी और लू के थपेड़ों से बेहाल लोग मानसून की बारिश (Monsoon rain) का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. देश के मानसून पर खतरा मंडराने की खबरों के बीच वैज्ञानिकों ने एल नीनो पैटर्न और भारतीय मानसून (El Nino effects Indian Monsoon) को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है.

 

 

Monsoon Arrival Date 2023 : इस साल देश में कम बारिश होगी? मानसून को लेकर वैज्ञानिकों ने डिकोड की ये थ्योरी

Monsoon update 2023 IMD Weather Update: समय पर मानसून की बारिश (Monsoon rain) न हो या मानसून देर से आए तो लोग अनहोनी की आशंका से डर जाते हैं. इस बीच वैज्ञानिकों ने 1951 से लेकर 2015 के आंकड़ों का अध्यन करते हुए मानसून की बारिश (Monsoon rain) को लेकर हैरान करने वाला दावा किया है. यूं तो भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने 2023 में सामान्य मानसून बारिश की भविष्यवाणी की है. लेकिन इसी साल के लिए यह भी कहा जा रहा है कि देश में कम बारिश का खतरा मंडरा रहा है.

इस साल देश में कम बारिश का खतरा!

भारतीय मानसून (Indian Monsoon) को लेकर रॉयटर्स में प्रकाशित एक डिटेल्ड रिपोर्ट के मुताबिक मानसून के दौरान अल नीनो (El Nino) के पैटर्न के विकसित होने की 90% संभावना सामान्य से कम बारिश की आशंका को बढ़ाती है. पिछले 75 सालों में मानसून के सीजन यानी जून से सितंबर के दौरान भारत ने अधिकांश अल नीनो वर्षों यानी अल नीनो पैटर्न के दौरान औसत से कम बारिश का अनुभव किया है. अल नीनो पैटर्न की वजह से कभी देश में भयानक सूखे की मार पड़ने से हाहाकार मचा तो कभी फसल खराब होने की वजह से सरकार को खाद्यान्नों के निर्यात को सीमित करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

अल नीनो से होगी कम बारिश?

अल नीनो जलवायु प्रणाली का एक हिस्सा होने के साथ मौसम संबंधी महत्वपूर्ण घटना है. पूर्व और मध्य भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में जब महासागर की सतह का पानी असामान्य रूप से गर्म होता है, तब इसे अल नीनो की स्थिति कहा जाता है. इस वार्मिंग से वायुमंडलीय पैटर्न में बदलाव होता है, जिससे भारतीय उपमहाद्वीप पर मानसून का सर्कुलेशन कमजोर हो जाता है. इसी वजह से अल नीनो पैटर्न वाले वर्षों के दौरान मानसून कमजोर और कम भरोसेमंद हो जाता है.

अल नीनो और मानसून के बीच संबंध

अल नीनो और मानसून की वर्षा के बीच संबंध बहुत महत्वपूर्ण है. क्योंकि कई बार ऐसे मौके भी आए कि अल नीनो के बावजूद भारत में सामान्य या सामान्य से अधिक बारिश हुई है. पिछले सात दशकों में अल नीनो मौसम का पैटर्न 15 बार बना और देश में छह बार सामान्य या सामान्य से अधिक बारिश हुई. हालांकि पिछले चार अल नीनो वाले सालों में एक विपरीत प्रवृत्ति सामने आई है. जिसमें भारत को लगातार सूखे की स्थिति का सामना करना पड़ा है और लंबे समय के औसत के 90% से कम बारिश हुई. 2009 में एक कमजोर अल नीनो से देश की बारिश में भारी कमी हुई थी, जो सामान्य से 78.2% दर्ज हुई थी, जो पिछले 37 वर्षों में सबसे कम थी. इसके विपरीत 1997 में एक मजबूत अल नीनो हुआ फिर भी भारत में सामान्य बारिश से कही ज्यादा यानी 102% वर्षा हुई. इस बार के वेदर मॉडल से संकेत मिल रहे हैं कि 2023 अल नीनो मजबूत हो सकता है.

आप नीचे के इस ग्राफिक चार्ट को देखकर आंकड़ों को समझ सकते हैं.

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(मानसून की बारिश और अल नीनो का कनेक्शन सोर्स: IMD)

क्यों महत्वपूर्ण है मानसून?

मानसून, भारत के लिए महत्वपूर्ण है, मानसून भारत में होने वाली बारिश का लगभग 70% हिस्सा प्रदान करता है. मानसून की वजह से चावल, गेहूं, गन्ना, सोयाबीन और मूंगफली जैसी फसलों की पैदावार प्रभावित हो सकती हैं. भारत की 3 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में कृषि का करीब 19% योगदान है. जिससे करीब 1.4 अरब आबादी वाले देश के करोड़ों लोगों को रोजगार मिलता है. व्यापक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते हुए मानसून का प्रभाव कृषि से परे पूरे देशभर में फैला हुआ है. पर्याप्त बारिश देश के समग्र आर्थिक विकास को बढ़ावा देती है, जिससे खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद मिलती है, जो हाल ही में बढ़ी है. गौरतलब है कि देश में पिछले चार सालों में सामान्य या सामान्य से अधिक बारिश हुई है, इसके बावजूद अनाज, डेयरी उत्पादों और दालों की कीमतों में हाल के कुछ महीनों में काफी उछाल आया है.

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