ZEE जानकारी : 27 दिसंबर का क्या नाता है भारत के राष्ट्रगान से?
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ZEE जानकारी : 27 दिसंबर का क्या नाता है भारत के राष्ट्रगान से?

आज 27 दिसंबर है. आज ही के दिन वर्ष 1911 में पहली बार कोलकाता में कांग्रेस के अधिवेशन में भारत का राष्ट्रगान गाया गया . जन गण मन हमारा राष्ट्रगान है . जन गण मन का हर शब्द भारतवर्ष के नागरिकों को प्रेरणा देता है . जन गण मन में अखंड भारत के सभी प्रदेशों के नाम आते हैं . पंजाब, सिंधु, गुजरात, मराठा, द्रविड़, उत्कल और बंग . देश की दो सबसे पवित्र नदियों गंगा और यमुना का नाम भी राष्ट्रगान में मौजूद है . गंगा और यमुना हमारे देश की संस्कृति की आत्मा हैं . राष्ट्रगान में हमारे देश की विंध्य और हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं... का भी ज़िक्र है . एक तरह से देखा जाए तो जन गण मन हमारे देश का पूरा शरीर है . ये विशेषता दुनिया के किसी भी और राष्ट्रगान में नहीं मिलती... इसीलिए हमारा राष्ट्रगान दुनिया में बहुत प्रसिद्ध है. 

ZEE जानकारी : 27 दिसंबर का क्या नाता है भारत के राष्ट्रगान से?

आज 27 दिसंबर है. आज ही के दिन वर्ष 1911 में पहली बार कोलकाता में कांग्रेस के अधिवेशन में भारत का राष्ट्रगान गाया गया . जन गण मन हमारा राष्ट्रगान है . जन गण मन का हर शब्द भारतवर्ष के नागरिकों को प्रेरणा देता है . जन गण मन में अखंड भारत के सभी प्रदेशों के नाम आते हैं . पंजाब, सिंधु, गुजरात, मराठा, द्रविड़, उत्कल और बंग . देश की दो सबसे पवित्र नदियों गंगा और यमुना का नाम भी राष्ट्रगान में मौजूद है . गंगा और यमुना हमारे देश की संस्कृति की आत्मा हैं . राष्ट्रगान में हमारे देश की विंध्य और हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं... का भी ज़िक्र है . एक तरह से देखा जाए तो जन गण मन हमारे देश का पूरा शरीर है . ये विशेषता दुनिया के किसी भी और राष्ट्रगान में नहीं मिलती... इसीलिए हमारा राष्ट्रगान दुनिया में बहुत प्रसिद्ध है. 

हमारे राष्ट्रगान की सबसे बड़ी विशेषता है उसकी धुन. जन गण मन की धुन में बहुत ऊर्जा है . 52 Second की ये धुन हमारे देश के नागरिकों के मनोबल को बहुत ऊंचा उठा देती है . हमारा ये विश्वास है कि अगर देश के हर घर में और हर संस्थान में जन गण मन को श्रद्धा के साथ गाया जाए . तो देश के नागरिकों का नैतिक बल बहुत बढ़ जाएगा . किसी भी देश के Super Power बनने के लिए.. ये नैतिक बल बहुत ज़रूरी होता है . 

कुछ लोग ऐसा भी मानते हैं कि वर्ष 1905 में रवींद्र नाथ टैगोर ने जन गण मन की रचना कर ली थी . हालांकि पहली बार 1911 में ही सार्वजनिक किया गया . जन गण मन ने अंग्रेजों के खिलाफ हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों को बहुत ताकत दी . मूल रूप से  जन गण मन बांग्ला भाषा में लिखा गया . इसमें 5 पद हैं . लेकिन इसके पहले पद को ही राष्ट्रगान के रूप में मान्यता दी गई . भारत की संविधान सभा ने 24 जनवरी 1950 को जण गन मन को देश के राष्ट्रगान के रूप में चुना था. 

दुनिया के सभी देशों में राष्ट्रगान, राष्ट्र की पूजा का एक माध्यम है .  चाहे कोई भी देश हो.. राष्ट्रगान के नाम पर वहां के लोग इकट्ठे हो जाते हैं . हमारे देश में भी ऐसा होता है.. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं.. जो राष्ट्रगान पर विवाद पैदा करते हैं. दुख की बात ये है कि भारत जैसे देश में इस बात पर बहस होती है कि राष्ट्रगान का सम्मान करना चाहिए या नहीं? जबकि इस पर कोई सवाल होना ही नहीं चाहिए.

हमारे देश में ऐसे विद्वानों और बुद्धिजीवियों की एक बहुत बड़ी फौज है, जो राष्ट्र के लिए समर्पित हर काम में.. कुछ ना कुछ कमी निकालना अपना वैचारिक कर्तव्य समझती है . देश में राष्ट्रवाद की चर्चा होने पर हमारे देश के Designer पत्रकार चिंतामग्न हो जाते हैं . वो अभिनय की कला में बहुत कुशल हैं . और उनकी कल्पना शक्ति इतनी तेज़ है . कि वो भारत के Media की तुलना North Korea के Media से करने लगते हैं . वो देश में किम जोंग उन की तलाश में जुट जाते हैं . लेकिन वो ये भूल जाते हैं कि North Korea में कम्यूनिस्ट सरकार है. वहां लोगों के अधिकार बहुत सीमित है.. जबकि भारत में लोकतंत्र है.. और अभिव्यक्ति की पूरी आज़ादी है. सबसे बड़ा विरोधाभास ये है कि अभिव्यक्ति की इसी आज़ादी का दुरुपयोग करके भारत को नॉर्थ कोरिया के समान बताया जाता है.

ऐसे लोगों को हमारी सलाह है कि वो अपने व्यस्त जीवन से सिर्फ 52 Second निकाले.. और राष्ट्रगान सुनें... ऐसा करने से उनके विचार शुद्ध हो सकते हैं. हालांकि इसकी कोई गारंटी नहीं है.

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