ओशो : 'जिस दिन आपने सोच लिया कि आपने ज्ञान पा लिया है, आपकी मृत्यु हो जाती है'
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ओशो : 'जिस दिन आपने सोच लिया कि आपने ज्ञान पा लिया है, आपकी मृत्यु हो जाती है'

ओशो को उनके अनुयायी भगवान रजनीश भी कहते हैं. ओशो अपने बोल्ड विचारों के कारण हमेशा चर्चा में रहे. उन्होंने रूढ़िवादी धर्मों की खुलकर आलोचना की. 

आज (19 जनवरी) को 'ओशो' की पुण्यतिथि है. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली : आज (19 जनवरी) को 'ओशो' की पुण्यतिथि है. ओशो को उनके अनुयायी भगवान रजनीश भी कहते हैं. ओशो अपने बोल्ड विचारों के कारण हमेशा चर्चा में रहे. उन्होंने रूढ़िवादी धर्मों की खुलकर आलोचना की. उनका असल नाम चन्द्र मोहन जैन था और उनका जन्म 11 दिसंबर, 1931 में मध्य प्रदेश के रायसेन शहर के कुचवाडा गांव में हुआ था. 

  1. ओशो का जन्म 1931 में रायसेन में हुआ था
  2. 19 जनवरी, 1990 को ओशो की मृत्यु हुई थी
  3. आज भी ओशो के लाखों-करोड़ों अनुयायी हैं

1957 में संस्कृत के लेक्चरर के तौर पर रजनीश ने रायपुर विश्वविद्यालय में सेवा शुरू की. उन्होंने दर्शनशास्त्र के लेक्चरर के रूप में जबलपुर यूनिवर्सिटी में पढ़ाना शुरू किया. वे देशभर में समाजवाद पर भाषण के लिए जाने लगे और उनकी पहचान आचार्य रजनशी के रूप में होने लगी. उन्होंने कई देशों की यात्राएं की और वहां अपने आश्रम स्थापित किए. दुनिया में उनके अनुयायियों की तादाद करोड़ों में है. ओशो शब्द कवि विलयम जेम्स की एक कविता 'ओशनिक एक्सपीरियंस' के शब्द 'ओशनिक' से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'सागर में विलीन हो जाना. 

मृत्यु भेदभाव नहीं करती, जबकि जन्म हमेशा भेदभाव करता है.. अन्याय करता है

19 जनवरी, 1990 में उनकी मृत्यु हो गई. ओशो के विचारों पर 300 से भी अधिक पुस्तकें लिखी गई हैं. कई भाषाओं में उनका अनुवाद हुआ है. आज भी उनके विचार समाज के एक बड़े वर्ग को प्रभावित करते हैं. उनकी सबसे चर्चित पुस्तक 'संभोग से समाधि की ओर' रही है. 'मैं मृत्‍यु सिखाता हूं' नामक पुस्तक में उन्होंने लिखा है, "मैं यह नहीं कह रहा हूं कि आत्मा अमर नहीं है. मैं यह कह रहा हूं कि आत्मा की अमरता का सिद्धांत मौत से डरने वाले लोगों का सिद्धांत है. आत्मा की अमरता को जानना बिलकुल दूसरी बात है. और यह भी ध्यान रहे कि आत्मा की अमरता को वे ही जान सकते हैं, जो जीते जी मरने का प्रयोग कर लेते हैं. उसके अतिरिक्त कोई जानने का उपाय नहीं. इसे थोड़ा समझ लेना जरूरी है. 

ओशो के 10 अनमोल वचन-

1- आधे-अधूरे ज्ञान के साथ कभी आगे ना बढे. ऐसा करने पर आपको लगेगा की आप अज्ञानी हो, और अंत तक अज्ञानी ही बने रहोगे. वह इंसान जो भरोसा करता है वह जिंदगी में आराम करता है. और वह इंसान जो भरोसा नही करता वह परेशान, डरा हुआ और कमजोर रहता है.

2- अज्ञानी बने रहना अच्छा है, कम से कम अज्ञान तो इसमें आपका होता है. ये प्रामाणिक है, यही सच, वास्तविकता और इमानदारी है. अधिक से अधिक भोले, कम ज्ञानी और बच्चों की तरह बनिए. जीवन को मजे के रूप में लीजिये – क्योंकि वास्तविकता में यही जीवन है.

3- यदि आप प्यार से रहते हो, प्यार के साथ रहतो हो, तो आप एक महान जिंदगी जी रहे हो, क्योकि प्यार ही जिंदगी को महान बनाता है. प्यार तभी सच्चा होता है जब कोई एक दूसरे के व्यक्तिगत मामलों में दखल ना दे. प्यार में दोनों को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए.

4- दुख पर ध्यान दोगे तो हमेशा दुखी रहोगे, सुख पर ध्यान देना शुरू करो. दअसल, तुम जिस पर ध्यान देते हो वह चीज सक्रिय हो जाती है. ध्यान सबसे बड़ी कुंजी है.

5- जो गीत गा सकता है, जो नाच सकता है, वह नाचेगा और गाएगा, वह सितारों भरे असामान के नीचे उत्सव मनाएगा. लेकिन जो नाच नहीं सकता, जो विकलांग है, जिसे लकवा मार गया है, वह कोने में पड़ा रहेगा और योजनाएं बनाएगा कि दूसरों पर कैसे हावी हुआ जाए. वह कुटिल बन जाएगा.

6- जो रचनाशील है, वह रचेगा. जो नहीं रच सकता, वह नष्ट करेगा, क्योंकि उसे भी तो दुनिया को दिखाना है कि वह भी है. जो रोगी है, अस्वस्थ है, जिसमें रचनाशीलता नहीं है, ऐसे सभी लोग वर्चस्व स्थापित करने के मामले में काफी चालाक होते हैं. वे हावी रहने के तरीके और जरिए खोज ही निकालते हैं. वे राजनेता बन जाते हैं. वे पुरोहित बन जाते हैं.

7- जीवन से प्रेम करो, और अधिक खुश रहो. जब तुम एकदम प्रसन्न होते हो, संभावना तभी होती है, वरना नहीं. कारण यह है कि दुख तुम्हें बंद कर देता है, जब भी तुम दुखी होते हो, बंद हो जाते हो, एक कठोर आवरण तुम्हें घेर लेता है. तुम खुद की सुरक्षा करने लगते हो, तुम एक कवच-सा ओढ़ लेते हो. 

8- ये कोई मायने नहीं रखता है की आप किसे प्यार करते हो, कंहा प्यार करते हो, क्यों प्यार करते हो, कब प्यार करते हो और कैसे प्यार करते हो, किस लिए प्यार करते हो, मायने केवल यही रखता है की आप केवल प्यार करते हो.

9- जिंदगी एक आईना है, जो हमारे ही चेहरे की प्रति कृति दिखाता है. जिंदगी में हमेशा दोस्ती से रहे तब तभी आपके जीवन में मित्रता बनी रहेगी.
मनुष्य कभी भी खुद ईश्वर तक नहीं पहुंचता है, बल्कि जब वो जीवन में तैयार होता है तो ईश्वर खुद उसके पास आ जाते है.

10- जिस दिन आप ने यह सोच लिया कि आपने ज्ञान पा लिया है, आपकी मृत्यु हो जाती है क्योंकि अब ना कोई आश्चर्य होगा, ना कोई आनंद और ना कोई अचरज. अब आप एक मृत वाला जीवन जीएंगे.

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