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नई दिल्ली: पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित मशहूर डॉक्टर और Cardiologist डॉ के.के. अग्रवाल (Dr. K.K. Aggarwal) का सोमवार रात साढ़े 11 बजे निधन हो गया. वो 28 अप्रैल को कोरोना (Corona) से संक्रमित हुए थे और 7 मई को उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. अहम बात ये है कि डॉक्टर के.के. अग्रवाल वैक्सीन की दोनों डोज फरवरी महीने में ही लगवा चुके थे लेकिन दूसरी डोज लेने के लगभग दो महीने बाद उन्हें कोरोना हुआ और आज वो हमारे बीच नहीं हैं.
कोरोना का नया अवतार बेहद खतरनाक?
डॉक्टर के.के. अग्रवाल (Dr. K.K. Aggarwal) के संघर्ष और अपने पेशे के प्रति उनके समर्पण से आप क्या सीख सकते हैं, आज हम इसका भी विश्लेषण आपके लिए करेंगे और साथ ही आपको ये भी बताएंगे कि कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) की दोनों डोज लेने के बाद भी डॉक्टर के.के. अग्रवाल कोरोना से जंग कैसे हार गए? उनका इलाज देश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल AIIMS दिल्ली में चल रहा था और विशेष रूप से डॉक्टरों की एक टीम उनकी देखरेख कर रही थी. यानी उन्हें पूरा इलाज मिला, 7 दिनों तक Ventilator Support पर रखा गया, पर्याप्त दवाइयां और ऑक्सीजन भी उन्हें मिलीं लेकिन इसके बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका. कहने का मतलब ये है कि कोरोना का ये नया अवतार काफी खतरनाक है और ये तमाम सुविधाएं और इलाज होते हुए भी इंसान को बेबस कर देता है.
10 करोड़ लोगों के थे मददगार
आज हम इस खबर से जुड़े आपके हर एक सवाल का जवाब देंगे, लेकिन पहले आपको ये बताते हैं कि कैसे डॉक्टर के.के. अग्रवाल मरने से पहले लोगों को जीना सिखा गये? जब से कोरोना काल (Coronavirus) शुरू हुआ है तभी से डॉक्टर के.के. अग्रवाल सोशल मीडिया (Social Media) पर लोगों के लिए संकचमोचक बने हुए थे. वो समय समय पर लोगों से सोशल मीडिया पर चर्चा करते थे और उनके सवालों के जवाब देते थे. कहा जा रहा है कि वो अपने इन Videos से देश के 10 करोड़ लोगों की मदद कर रहे थे और उन्हें कोरोना से बचाव और इलाज के बारे में सलाह दे रहे थे.
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4 मई को जारी किया था वीडियो
28 अप्रैल को जब वो संक्रमित हुए, तब भी ये सिलसिला थमा नहीं. 4 मई को जब उनकी तबियत बिगड़ने लगी थी, तब भी वो अपने एक वीडियो के जरिए लोगों तक पहुंचे थे और कहा था कि 'The Show Must Go On' यानी जिन्दगी कभी रुकनी नहीं चाहिए. इस वीडियो के दौरान उनकी नाक में ऑक्सीजन की पाइप लगी हुई थी लेकिन इसके बावजूद वो अपनी जीवटता से इस बीमारी के खिलाफ संघर्ष करते रहे. दुर्भाग्यवश 4 मई का ये वीडियो उनके जीवन का आखिरी वीडियो साबित हुआ और उनका निधन हो गया.
Mass OPD का दिया था सुझाव
डॉ अग्रवाल अपनी मृत्यु से पहले देश को एक बड़ी सलाह दे गए. उन्होंने 4 मई को कहा था कि अब समय आ गया है कि जब Mass OPD लगनी चाहिए, यानी एक समय में एक मरीज को नहीं बल्कि एक ही लक्षण वाले कई मरीजों को OPD में साथ देखा जाना चाहिए. उनका विचार था कि जैसे स्कूल में कक्षा के दौरान सभी छात्रों को टीचर एक ही समय में पढ़ाता है, ठीक वैसे ही कोरोना मरीजों को भी OPD में डॉक्टर देख सकते हैं.
मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे
डॉक्टर के.के. अग्रवाल का स्वभाव ऐसा था कि वो लोगों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे. वो लोगों को कोरोना (Corona) से बचाव के उपाय बताते थे, घरेलू नुस्खों के बारे में जानकारी देते थे, लक्षण दिखने पर क्या करना है और क्या नहीं करना है ये बताते थे और सबसे महत्वपूर्ण वो कभी थकते नहीं थे. सोचिए उन्हें ऑक्सीजन चढ़ाई जा रही थी और वो फिर भी लोगों की मदद के लिए सोशल मीडिया पर उन्हें सलाह दे रहे थे.
दोनों वैक्सीन लेने के बाद भी मौत क्यों?
आज आप के.के. अग्रवाल से ये सीख सकते हैं कि आपको अपना कर्तव्य कभी भूलना नहीं चाहिए. अपने पेशे के प्रति ईमानदार रहना चाहिए और मृत्यु से कभी भी डरना नहीं चाहिए. हालांकि आज लोगों को ये बात काफी हैरान कर रही है कि वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद भी उनकी कोरोना से मृत्यु हो गई? आज हमने इस पर कई डॉक्टरों से बात की और उन्होंने हमें इसके दो कारण बताए. पहला कारण ये हो सकता है कि दोनों डोज लेने के बाद भी उनके शरीर में पर्याप्त मात्रा में Antibodies नहीं बन पाई या जिस तरह की Neutralizing Antibodies चाहिए थीं, वो नहीं बनीं. दूसरा कारण ये हो सकता है कि वैक्सीन से जो Antibodies शरीर में बनीं, वो वायरस के नए वेरिएंट से लड़ने में कारगर नहीं थीं.
वैक्सीन 100 प्रतिशत Protection नहीं देती
हालांकि इन सभी कारणों पर अब तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिल पाया है. यहां आपके समझने के लिए एक ही बात जरूरी है और वो ये कि वैक्सीन 100 प्रतिशत Protection नहीं देती लेकिन इसका मतलब ये भी नहीं है कि ये बेकार है. मौत और गंभीर बीमारी से बचाने में ये काफी कारगर है और वैक्सीन हमें लगवानी ही चाहिए. ये बात खुद डॉक्टर के.के. अग्रवाल ने 28 अप्रैल को अपने एक वीडियो में कही थी. उसी दिन वो कोरोना से संक्रमित हुए थे और उन्हें उम्मीद थी कि ये वायरस उन पर ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ पाएगा.
सकारात्मकता का देते थे संदेश
आपमें से बहुत लोगों को पता नहीं होगा कि डॉक्टर के.के. अग्रवाल के पास सिर्फ बीमारी का इलाज नहीं था बल्कि वो Negative विचारों को भी दूर कर देते थे. उन्होंने अपने कई वीडियो में लोगों को सकारात्मक बने रहने के नुस्खे सुझाए और Positive विचारों को इंसानों के लिए ऑक्सीजन बताया और 62 वर्ष के जीवन में उन्होंने कई उपलब्धियां हासिल कीं. वर्ष 2010 में उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. इसके अलावा उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखीं और अपनी एक चर्चित किताब में उन्होंने भगवान श्री कृष्ण को विश्व का पहला Counselor यानी सलाहकार बताया था. इसके पीछे महाभारत के एक अंश का उल्लेख किया था.
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गीता का दिया था संदेश
महाभारत में जब पांडवों और कौरवों के बीच युद्ध लड़ा जा रहा था, तब कौरवों के खिलाफ शस्त्र उठाते समय अर्जुन के हाथ कांप रहे थे. अर्जुन का मानना था कि कौरव उनके भाई हैं और उनके खिलाफ वो शस्त्र कैसे उठा सकते हैं. जब अर्जुन इस मनोस्थिति में थे तब भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें सलाह दी थी कि वो पहले अपना क्षत्रीय होने का धर्म निभाएं और अर्जुन ने फिर ऐसा ही किया. डॉक्टर के.के. अग्रवाल कहते थे कि गीता में विश्व की आधी समस्याओं के हल छिपे हैं और इसीलिए हमने आपसे कहा कि आप उनसे काफी कुछ सीख सकते हैं.
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