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नई दिल्ली: अदालत (Court) ने डीआरडीओ (DRDO) के तहत सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी एंड अप्लाइड रिसर्च सेंटर में एक महिला कर्मचारी को चाइल्डकेयर लीव से राहत देने से इनकार करते हुए बड़ी बात कही है.
कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि मैटरनिटी लीव (Maternity Leave) खत्म होने के बाद महिला कर्मचारी को वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) की सुविधा तभी दी जा सकती है जब कर्मचारी के काम की प्रकृति (Nature Of Work) ऐसा करने की अनुमति दे. अदालत ने एक मामले की सुनवाई में ये बात कही.
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आपको बता दें कि 2020 के अगस्त महीने में याचिकाकर्ता (Petitioner) ने एक बच्ची को जन्म दिया था. याचिकाकर्ता ने फरवरी तक मैटरनिटी लीव का लाभ उठाया. इसके बाद उसने अप्रैल 2021 तक व्यक्तिगत अवकाश का इस्तेमाल किया. इस बात पर तर्क देते हुए उसने कहा कि कोविड (Covid-19) की दूसरी लहर के दौरान उसे दूसरे कर्मचारियों के साथ घर से काम करने का लाभ दिया गया था.
मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट, 1961 की धारा 5(5) के तहत ये साफ है कि मैटरनिटी लीव (Maternity Leave) का लाभ लेने के बाद घर से काम करने का फायदा केवल तभी दिया जा सकता है, जब महिलाओं को सौंपे गए काम की प्रकृति ऐसी हो कि उनके लिए घर से काम करना संभव हो.
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अदालत ने कहा कि कर्मचारी के लिए नजदीकी परिसर में क्रेच सुविधाएं (Creche Facilities) उपलब्ध कराई जाएंगी. अदालत ने कहा कि प्रतिवादी संगठन (Respondent Organization) को सहानुभूति के साथ रेगुलराइजेशन के लिए उसके प्रतिनिधित्व पर विचार करना चाहिए.
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