ZEE जानकारी: फारुख अब्दुल्ला ने दी भारत की अस्मिता को चुनौती
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ZEE जानकारी: फारुख अब्दुल्ला ने दी भारत की अस्मिता को चुनौती

इन दिनों कश्मीर घाटी में अपनी ज़मीन मज़बूत करने के लिए अब्दुल्ला साहब...राजनीतिक भ्रमण कर रहे हैं. और वो जो कुछ भी कर रहे हैं वो उनकी राजनीतिक मजबूरी है.

ZEE जानकारी: फारुख अब्दुल्ला ने दी भारत की अस्मिता को चुनौती

नई दिल्ली: दुनिया के सारे जीव जंतुओं में इंसान सबसे अनोखा है.. क्योंकि उसे शर्म आती है. लेकिन इंसानों में.. नेता एक ऐसी प्रजाति है.. जिसमें शर्म या लज्जा की मात्रा बहुत कम होती है. और इस दौर में ये बात लगातार साबित हो रही है. फारुख अब्दुल्ला.. 3 बार जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. 5 बार जम्मू कश्मीर के विधायक रहे हैं. भारत सरकार के मंत्री भी रह चुके हैं. और 5 बार सांसद रहे हैं. फिलहाल वो श्रीनगर से लोकसभा के सांसद भी हैं. लेकिन उनकी बातें और भाषा सुनकर ऐसा लगता है कि वो पाकिस्तान के भक्त हैं. फारुक अबदुल्ला की बातें सुनकर आप भी यही कहेंगे कि भारत में रहने वाला और भारत की थाली में खाने वाला व्यक्ति.. ऐसा कैसे बोल सकता है?

इसी महीने की शुरुआत में फारुक अबदुल्ला ने कहा था..कि 'PoK पाकिस्तान' का है. लेकिन अब उन्होंने मर्यादाओं की सारी सीमाएं लांघते हुए भारत की अस्मिता को चुनौती दी है. उन्होंने हर भारतीय को चुनौती दी है कि 'अपना झंडा.. श्रीनगर के लाल चौक पर खड़ा करके दिखाओ. उन्होंने ये भी कहा कि जो लाल चौक पर झंडा नहीं फहरा सकते.. तो उधर यानी पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर में झंडा कैसे फहराएंगे ?  आज विश्लेषण की शुरुआत देश को गुस्सा दिलाने वाले इस बयान से करनी ज़रुरी है. यहां हम स्पष्ट कर दें...कि फारुक अब्दुल्ला के पास भारत का पासपोर्ट है, वो भारत में रहकर हर प्रकार की सुविधाएं लेते हैं...लेकिन उनका बयान सुनने के बाद आपको ऐसा लग सकता है...जैसे ये बातें पाकिस्तान की भक्ति में डूबा हुआ कोई व्यक्ति.. बोल रहा है.

हिन्दी के शब्दकोश में एक शब्द है...निर्लज्ज...जिसे अंग्रेज़ी में Shameless कहते हैं. इस तरह के बयानों के लिए ये शब्द एकदम फिट है. फारुक अबदुल्ला हों.. या फिर कोई और हो... किसी को भी देश के सम्मान पर इस तरह चोट करने का अधिकार नहीं है. ये बात किसी से छिपी नहीं है..कि इन दिनों कश्मीर घाटी में अपनी ज़मीन मज़बूत करने के लिए अब्दुल्ला साहब...राजनीतिक भ्रमण कर रहे हैं. और वो जो कुछ भी कर रहे हैं वो उनकी राजनीतिक मजबूरी है. वो घाटी में भारत विरोधी भावनाएं भड़काकर....वोटों की फसल काटना चाहते हैं. 

लेकिन, जिस Pok को लेकर...फारुख अब्दुल्ला इतने भावुक हो रहे हैं...उस Pok में रहने वाले लोग, पाकिस्तान को लेकर क्या सोचते हैं...आज उन्हें ये भी पता होना चाहिए. इसके लिए हम आपको सिर्फ दो दिन पुरानी एक तस्वीर दिखाना चाहते हैं. पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर में पाकिस्तान का खूब विरोध होता है.. लेकिन विरोध की ये तस्वीरें दबा दी जाती हैं. हालांकि सच को ज़्यादा देर तक दबाया नहीं जा सकता, वो किसी ना किसी तरीके से बाहर आ ही जाता है. 

अगर फारुक अब्दुल्ला इस वक्त DNA देख रहे हैं, तो हम चाहेंगे, कि वो कान खोलकर....Pok के नेता तौकीर गिलानी की बातें सुनें. जिसमें उन्होंने साफ शब्दों में ये कहा...कि वहां पर अलगवादियों की गद्दारी का रेट कार्ड चलता है...और पाकिस्तान उन्हें अपने इशारों पर नचाता है.... तौकीर गिलानी की बातें सुनकर.. फारुक अब्दुल्ला को थोड़ी शर्म ज़रुर आएगी... और उन्हें इस बात का एहसास भी हो जाएगा कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है.

पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर में, पाकिस्तान के ही विरोध की ऐसी ताकतवर आवाज़ आपने शायद इससे पहले कभी नहीं सुनी होगी. ये बड़ी शर्म की बात है....कि पाकिस्तान की भक्ति करने वाले फारुक अब्दुल्ला जैसे नेताओं को...Pok से उठने वाली ये सच्ची आवाज़ें सुनाई नहीं देतीं. लेकिन भारत के विरोध में कोई भी आपत्तिजनक टिप्पणी करने से पहले, वो एक सेकेंड की भी देरी नहीं लगाते. 

वैसे, फारुक अब्दुल्ला ने श्रीनगर के जिस लाल चौक पर तिरंगा फहराने की चुनौती दी है...आज उसी लाल चौक की एक तस्वीर का ज़िक्र करना भी ज़रुरी है. जो एक या दो साल पुरानी नहीं...बल्कि पूरे 25 साल पुरानी है. यानी 26 जनवरी 1992 की है....उस वक्त भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने...एकता यात्रा के दौरान कन्याकुमारी से लाए गए तिरंगे को श्रीनगर के लाल चौक पर फहराया था. ये ऐसा वक़्त था जब आतंकवादियों ने खुली चुनौती दी थी, कि कोई लाल चौक पर तिरंगा फहराकर दिखाए. 

इस धमकी के बावजूद तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ना तो आतंकवादियों की धमकी की परवाह की..और ना ही उनकी गोलियों की. आपको ये जानकर भी हैरानी होगी...कि लाल चौक पर तिरंगा फहराने के 17 मिनट के दौरान....वहां आतंकवादियों की तरफ से चलाया गया एक रॉकेट भी आकर गिरा था.... इससे आप अंदाज़ा लगा सकते हैं, कि उस वक्त भावनाएं कितने उफान पर थीं. और श्रीनगर के हालात कैसे थे ?फारुक अब्दुल्ला, जितनी मर्ज़ी चाहें...पाकिस्तान की भक्ति कर लें. लेकिन एक बात तय है....कि उन्हें पाकिस्तान के असली चरित्र के बारे में कोई जानकारी नहीं है. इसलिए, आज हम उनकी इस समस्या का भी समाधान कर देते हैं.

पाकिस्तान में भले ही लोकतांत्रिक तरीकों से चुनी गई सरकार हो, लेकिन वहां का लोकतंत्र एक दिखावा है. वहां पर पाकिस्तान की सेना....कट्टरपंथी धार्मिक संगठनों और आतंकवादी का प्रभाव बहुत ज़्यादा है. पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तान में जो कुछ भी हो रहा था...वो इस बात का सबूत है...कि आने वाले दिनों में फारुक अब्दुल्ला का प्यारा पाकिस्तान....खुद ही दो टुकड़ों में बंट जाएगा. इसे समझने के लिए पहले आपको कुछ ज़रुरी बातें बता देते हैं.

2 अक्टूबर को पाकिस्तान की संसद ने चुनाव सुधार विधेयक को पारित किया था. इसके तहत वहां चुने गए सांसदों की शपथ से 'खात्मे नबूवत या पैगम्बर मोहम्मद' वाले सेक्शन को हटा दिया गया था. यानी चुनाव के बाद ली जाने वाली शपथ से 'पैग़ंबर मोहम्मद' का ज़िक्र हटा दिया गया था. हालांकि 2 दिन बाद इसे नेशनल असेंबली में "क्लेरिकल ग़लती" बताते हुए जोड़ दिया गया. लेकिन 'तहरीक-ए-लब्बैक' ने इसे ईशनिंदा बताते हुए... क़ानून मंत्री के इस्तीफ़े की मांग शुरू कर दी. और फिर धीरे-धीरे इस्लामाबाद सहित पाकिस्तान के कई हिस्सों में हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरु हो गए.

इन विरोध प्रदर्शनों में कम से कम 10 लोग मारे गए, जबकि 250 से ज़्यादा लोग ज़ख्मी हो गए. इस्लामाबाद सहित कई हिस्सों में सेना को सड़कों पर उतार दिया गया....Media को Blackout कर दिया गया...यानी स्थिति बिल्कुल वैसी ही थी...जैसे इमरजेंसी के दौरान होती है.  यहां आपको पता होना चाहिए, कि जिस तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान यानी TLP ने ये प्रदर्शन किया था...वो  एक इस्लामिक राजनीतिक दल है. इसका मुख्य मक़सद है पाकिस्तान को एक इस्लामिक राज्य बनाना, जो शरियत-ए-मोहम्मदी के अनुसार चले.

पाकिस्तान की राजनीति में इस संगठन का दबदबा कितना ज़्यादा है, इसका अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं.....कि पाकिस्तान के क़ानून मंत्री ज़ाहिद हामिद को अपना इस्तीफ़ा प्रधानमंत्री शाहिद अब्बासी को सौंपना पड़ा.  लेकिन, इस सबके बीच एक बात जिस पर सबसे ज़्यादा ध्यान देने की ज़रुरत है...वो ये है...कि ये सबकुछ पाकिस्तान की सेना के इशारों पर हो रहा था. क्योंकि, TNP की तरफ़ से समझौते से संबंधित जो बातें की गई हैं...उसमें स्पष्ट लिखा है....कि सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा और उनकी टीम की मदद से पाकिस्तान को एक बड़े संकट से बचा लिया गया.

लेकिन, अगर आप समझदार हैं, तो इस खेल को आसानी से Decode कर सकते हैं. क्योंकि, जो संगठन, पाकिस्तान को पूर्ण रुप से इस्लामिक राज्य बनाना चाहता है, अगर उसी के साथ पाकिस्तान की सेना हाथ मिला ले....तो फिर समझ लीजिए...कि वहां पर कट्टरपंथी ताकतों और सेना का कितना मज़बूत गठबंधन है. इसलिए, आज फारुक अब्दुल्ला को भारत पर सवाल उठाने से पहले...ज़रा पाकिस्तान की हालत भी देख लेनी चाहिए. अगर हमारी रिपोर्ट देखने के बावजूद फारुक अब्दुल्ला की नींद नहीं टूटी है. तो आज हमने उनके लिए एक Video का भी इंतज़ाम किया है. पहले आप 36 Second का ये पूरा Video देखिए.

ये वीडियो हमारे कैमरे से रिकॉर्ड नहीं हुआ है.. ये सोशल मीडिया के ज़रिए हमारे पास आया है. कहा जा रहा है कि इस Video में पाकिस्तान की सेना के Rangers कुछ लोगों को 4 हज़ार रुपये के लिफाफे पकड़ा रहे हैं. ऐसे आरोप हैं कि ये वो लोग थे...जो इस्लामाबाद में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. और उन्हें पाकिस्तान की सेना ने हिंसक घटनाओं की वजह से पिछले कुछ दिनों में हिरासत में ले लिया था. 

लेकिन, ऐसा लगता है कि ये सबकुछ Scripted था. क्योंकि, विरोध प्रदर्शन करने वाले लोग...पाकिस्तान की सेना से मिले हुए थे. यानी पाकिस्तान के क़ानून मंत्री के इस्तीफे वाला विरोध प्रदर्शन भी Fix था...और गिरफ्तारी भी Fix थी.... इससे एक बार फिर ये साबित हो गया है कि पाकिस्तान में कट्टरपंथी ताकतों और सेना का अनैतिक गठबंधन हो चुका है...और इसके नतीजे बहुत ख़तरनाक हो सकते हैं.

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