Zee जानकारी : जानिये भारत के संविधान और गणतंत्र दिवस के बारे में, इस बार हुआ कुछ खास
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Zee जानकारी : जानिये भारत के संविधान और गणतंत्र दिवस के बारे में, इस बार हुआ कुछ खास

26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान पूर्ण रूप से लागू हो गया था। इसी की याद में हम हर साल गणतंत्र दिवस मनाते हैं। इसे दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान माना गया है। 67वें गणतंत्र दिवस पर जानिये संविधान और गणतंत्र दिवस से जुड़ी खास जानकारी-

Zee जानकारी : जानिये भारत के संविधान और गणतंत्र दिवस के बारे में, इस बार हुआ कुछ खास

नई दिल्ली : 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान पूर्ण रूप से लागू हो गया था। इसी की याद में हम हर साल गणतंत्र दिवस मनाते हैं। इसे दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान माना गया है। 

67वें गणतंत्र दिवस पर जानिये संविधान और गणतंत्र दिवस से जुड़ी खास जानकारी-

- 395 अनुच्छेदों और 8 अनुसूचियों के साथ भारतीय संविधान दुनिया में सबसे बड़ा लिखित संविधान है।
-कई बार संशोधनों के बाद संविधान को अपनाने में 2 वर्ष 11 महीने और 18 दिन का वक्त लगा था।
- भारत के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 26 जनवरी 1950 को 21 तोपों की सलामी के बाद भारतीय तिरंगे को फहराकर भारतीय गणतंत्र के ऐतिहासिक जन्म की घोषणा की थी।
- इंडोनेशिया के तत्कालीन राष्ट्रपति सुकर्णो 26 जनवरी 1950 को भारत के पहले गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि थे। 
- अंग्रेजों से आज़ादी पाने के 894 दिन बाद हमारा देश गणतंत्र बना था।
- गणतंत्र दिवस मनाने का वर्तमान तरीका वर्ष 1955 में शुरु हुआ था। तब पहली बार राजपथ पर परेड हुई थी। 
- राजपथ पर पहली परेड के मुख्य अतिथि पाकिस्तान के तत्कालीन गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद थे।

जानिये, 66 सालों में कैसे बदला भारत

- 1950 के दौरान देश में अनाज की वार्षिक पैदावार 5 करोड़ 80 लाख टन थी जो 2016 में बढ़कर 25 करोड़ 71 लाख टन हो चुकी है।
- 1950 में देश की आबादी 36 करोड़ थी जो अब बढ़कर 127 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है।
- 1950 में भारत की साक्षरता दर 18.33 फीसदी थी जो अब बढ़कर 73 फीसदी हो चुकी है।
- 1950 के दौरान भारत में जीवन प्रत्याशा 32.1 वर्ष थी, जो अब बढ़कर साढ़े 67 वर्ष हो चुकी है।
- 1950 में भारत के पास नौ अरब रुपये का विदेशी मुद्रा भंडार था जो वर्ष 2016 में बढ़कर 21 हजार 760 अरब रुपये हो चुका है।
- अब भारतीय सेना दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना है। 

67वें गणतंत्र दिवस पर क्या हुआ खास

- इस बार की परेड सिर्फ 90 मिनट की थी जबकि परेड आमतौर पर 115 मिनट की होती है। 2005 में गणतंत्र दिवस समारोह का वक्त 145 मिनट से घटाकर 115 मिनट कर दिया गया था।
- इस बार मुख्य अतिथि के तौर पर फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने राजपथ पर भारत की ताकत करीब से देखी।
- 66 वर्ष के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब किसी विदेशी सेना ने गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लिया।
- 26 साल बाद आर्मी की डॉग स्क्वॉड (श्वान दस्ता) पहली बार गणतंत्र दिवस परेड में शामिल हुई। इनमें लेब्राडोर, बेल्जियन शेफर्ड्स, जर्मन शेफर्ड्स जैसी नस्ल शामिल हैं। गणतंत्र दिवस परेड के लिए 36 डॉग्स सिलेक्ट किए गए थे।
- गणतंत्र दिवस परेड में सेना के साथ-साथ सीमा सुरक्षा बल के ऊंट दस्ते भी दिखे। पहले कहा जा रहा था कि इस बार बीएसएफ के ऊंट दस्ते को परेड से बाहर कर दिया गया है। लेकिन बाद में ऊंट दस्ते ने परेड की शोभा बढ़ाई।
- राजपथ पर पहली बार नौसेना की झांकी में मेड इन इंडिया की झलक भी दिखी। नौसेना की झांकी में नए एयरक्राफ्ट करियर विक्रांत और स्कॉर्पीन पनडुब्बी कलवरी दिखाई गई। विक्रांत कोच्चि शिपयार्ड में बना देसी एयरक्राफ्ट करियर है। वहीं स्कॉर्पीन पनडुब्बी कलवरी, मुंबई के मंझगांव बंदरगाह में बनाया गया है।
- गणतंत्र दिवस की परेड में पहली बार पूर्व सैनिकों की झांकी को शामिल किया गया। इस झांकी को शामिल करने का मकसद देश के विकास में पूर्व सैनिकों के योगदान की झलक दिखाना था।
- राजपथ पर हुए समारोह में पहली बार चुनाव आयोग की भी झांकी दिखी
- राजपथ पर भारतीय सेना का मेन बैटल टैंक T-90 भीष्म भी प्रदर्शित किया गया। इस टैंक में शक्तिशाली 125 मिलीमीटर की मेन गन है और सात मिलीमीटर की एंटी एयरक्राफ्ट गन भी लगी हुई है। इस टैंक से लेजर गाइडेड मिसाइलें भी छोड़ी जा सकती हैं। इसकी रेजिमेंट का आदर्श वाक्य है।
- मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री का बीएमपी सारथी भी प्रदर्शित हुआ। इस फाइटिंग व्हीकल से रात में भी 4 किलोमीटर तक दुश्मनों के ठिकानों को बर्बाद किया जा सकता है
- राजपथ पर दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस भी थी।
- इसके अलावा 1889 मिसाइल रेजिमेंट के मोबाइल लॉन्चर ब्रम्होस भी प्रदर्शित किया गया। हर मौसम में फायर करने में सक्षम यह प्रणाली अमेरिकी सबसॉनिक टॉमहॉक क्रूज मिसाइल से भी तीन गुना ज्यादा तेज है।
- हवा में ही भारत के दुश्मनों की चिता बनाने वाली मिसाइल आकाश भी प्रदर्शित की गई।, 
- हथियारों के बाद सन 1941 में दिल्ली में स्थापित की गई पैराशूट रेजिमेंट के कमांडो आए। इन्होंने 1999 के करगिल युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी।

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