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भारत के सभी शिव भक्तों को समर्पित है. ये ऐसी ख़बर है जो भगवान शिव के भक्तों को थोड़ा चिंतित कर देगी. आप में से बहुत लोगों ने उज्जैन के महाकाल ज्योतिर्लिंग के दर्शन जरूर किए होंगे. बहुत से लोग ऐसे भी होंगे जो महाकाल के दर्शन के लिए उज्जैन जाने की Planning कर रहे होंगे. और बहुत से लोग मन में ये सोचते होंगे कि जीवन में कभी ना कभी महाकाल ज्योतिर्लिंग के दर्शन जरूर करें. ऐसे सभी लोगों को हम ये सूचना देना चाहते हैं कि महाकाल पर अशुद्ध जल कभी ना चढ़ाएं.
ज्यादातर लोग ये मानते हैं कि जलाभिषेक यानी शिवलिंग पर जल चढ़ाने से भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं. लेकिन Archaeological Survey of India और Geological Survey of India ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि जल चढ़ाने से महाकाल के ज्योतिर्लिंग को नुकसान पहुंच रहा है... और ज्योतिर्लिंग की सतह घिस रही है.. जिससे इसका आकार छोटा होने का खतरा है.
आपने ऐसी कई पौराणिक कहानियां सुनी होंगी जिनमें ये कहा जाता है कि भगवान शिव को भस्म का लेप लगाना बहुत अच्छा लगता है. उज्जैन के महाकाल मंदिर में तो भस्म से ही ज्योतिर्लिंग की आरती की जाती है. लेकिन ASI और GSI की रिपोर्ट में कहा गया है कि गाय के गोबर से बनी भस्म के लेप से भी महाकाल के ज्योतिर्लिंग की परत को नुकसान पहुंच रहा है.
ASI और GSI की रिपोर्ट में ऐसी और भी कई बातें हैं जिन्हें सुनकर आप दंग रह जाएंगे...
रिपोर्ट में कहा गया है कि महाकाल के ज्योतिर्लिंग पर लगातार दूध, दही, घी और फलों को चढ़ाया जाता है
लेकिन ज्योतिर्लिंग की सतह नियमित रूप से साफ नहीं हो पा रही है.
जिसकी वजह से ज्योतिर्लिंग पर कई तरह के बैक्टीरिया का जमाव हो रहा है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि दूध और दूध के उत्पादों में Lacto-bacillus बैक्टीरिया होता है.
ये बैक्टीरिया पानी के साथ मिलकर Glactose और Glucose बनाता है.
और इसी Glactose से Lactic Acid बनता है जो ज्योतिर्लिंग की परत को नुकसान पहुंचा रहा है.
गुलाल से भी ज्योतिर्लिंग को नुकसान पहुंच रहा है क्योंकि आजकल गुलाल में Chemicals की मात्रा बहुत ज्यादा है. तेल के दीपक और धूपबत्ती के इस्तेमाल से भी मंदिर पर कार्बन की परत जम रही है.
यहां सबसे दिलचस्प बात ये है कि महाकाल के ज्योतिर्लिंग पर भांग के लेप से कोई नुकसान नहीं हो रहा.. बल्कि इससे ज्योतिर्लिंग की सुरक्षा हो रही है. भांग में Alcaloids होते हैं . Alcaloids को हिंदी में उप-क्षार कहते हैं और ये Acid के असर को खत्म करता है. इसलिए भांग से ज्योतिर्लिंग की सुरक्षा हो रही है
ASI ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिए हैं कि
अगर भस्म आरती बहुत जरूरी है तो सिर्फ़ प्रतीकात्मक भस्म आरती ही की जाए. यानी ज्योतिर्लिंग पर रगड़ रगड़ कर भस्म का लेप नहीं किया जाना चाहिए. ज्योतिर्लिंग पर दूध, दही और घी चढ़ाने पर भी रोक लगाई जाए. ज्योतिर्लिंग पर शहद, चीनी, गुड़ और फल चढ़ाना प्रतिबंधित किया जाए. मंदिर के बाहर जो पानी मिल रहा है वो अशुद्ध और प्रदूषित है. इसलिए ज्योतिर्लिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा को भी कम किया जाए.
उज्जैन को महातीर्थ माना जाता है ये तो आप सभी लोग जानते हैं लेकिन उज्जैन के बारे में तीन ख़ास बातें आपको जरूर पता होनी चाहिए.
विश्वनाथ की नगरी काशी को जिस तरह उत्तर भारत की सांस्कृतिक राजधानी माना जाता है. ठीक उसी तरह महाकाल की नगरी उज्जैन को मध्य भारत की सांस्कृतिक राजधानी कहा जाता है.
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म तो मथुरा में हुआ था, लेकिन उनकी शिक्षा उज्जैन में संदीपनी मुनि के आश्रम में हुई थी. और विक्रम सम्वत की शुरुआत भी उज्जैन से ही हुई थी.
जिस तरह उज्जैन का इतिहास बहुत पुराना है ठीक उसी तरह उज्जैन के महाकाल मंदिर का इतिहास भी बहुत पुराना और रोचक है. इसीलिए हमने आपके लिए एक वीडियो विश्लेषण भी तैयार किया है... जिसे देखकर आप ये समझ पाएंगे कि हमारे पूर्वजों ने महाकाल की देखभाल किस तरह की थी और आज कलियुग में हम किस तरह महाकाल मंदिर की देखभाल कर रहे हैं. पीढ़ियों का ये फर्क.. आपको समझना चाहिए.
इस ख़बर का सार ये है कि मिलावट से भगवान शिव भी नहीं बच पाए.. और ये बात हमारे समाज के दोहरे मापदंडों पर सवाल उठाती है. हमारे देश में लोग भगवान की पूजा करते हैं.. लेकिन उनके आचरण में इतनी मिलावट है कि महाकाल का शिवलिंग भी अब घिसने लगा है. इस मिलावट वाले चरित्र को हमें बदलना होगा. आस्था और मिलावट का वास एक जगह नहीं हो सकता.
महाकाल का ज्योतिर्लिंग बलुआ पत्थर यानी Sandstone से बना है इसलिए ज्योतिर्लिंग के घिसने का खतरा बढ़ जाता है. ASI और GSI की रिपोर्ट के बाद मंदिर में बड़े फूलों की मालाओं को ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, लेकिन बाकी सुझावों पर अब भी अमल नहीं किया जा रहा है लेकिन अगर आप महाकाल मंदिर के दर्शन के लिए उज्जैन जा रहे हैं तो आपको कुछ सावधानियां जरूर बरतनी चाहिए
सबसे पहली बात तो मंदिर में अनुशासन का पालन करना चाहिए. गर्भगृह में भीड़ नहीं होनी चाहिए. लाइन में लगकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने चाहिए. अगर महाकाल के ज्योतिर्लिंग पर जल चढ़ाना हो तो एकदम शुद्ध जल का ही इस्तेमाल करें. मंदिर के गर्भगृह में सफाई का बहुत ध्यान रखें. और सबसे जरूरी बात ये है कि महाकाल मंदिर में अपनी शुद्ध भावनाओं का अर्पण करें क्योंकि भगवान को आपकी भावनाएं ही सबसे ज़्यादा प्रिय हैं.