Zee जानकारी: 11 मई 1998 को जब भारत ने अपनी शक्ति' के दर्शन कराए'
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Zee जानकारी: 11 मई 1998 को जब भारत ने अपनी शक्ति' के दर्शन कराए'

18 मई, 1974 की सुबह, आकाशवाणी के दिल्ली स्टेशन पर फ़िल्म Bobby का मशहूर गाना बज रहा था, जिसके बोल थे..."हम तुम एक कमरे में बंद हों और चाबी खो जाए." ठीक 9 बजे गाने को बीच में ही रोक कर एक Announcement की गई...और कहा गया, कि कृपया एक महत्वपूर्ण प्रसारण की प्रतीक्षा करें...

Zee जानकारी: 11 मई 1998 को जब भारत ने अपनी शक्ति' के दर्शन कराए'

18 मई, 1974 की सुबह, आकाशवाणी के दिल्ली स्टेशन पर फ़िल्म Bobby का मशहूर गाना बज रहा था, जिसके बोल थे..."हम तुम एक कमरे में बंद हों और चाबी खो जाए." ठीक 9 बजे गाने को बीच में ही रोक कर एक Announcement की गई...और कहा गया, कि कृपया एक महत्वपूर्ण प्रसारण की प्रतीक्षा करें...

कुछ Seconds के बाद रेडियो पर एक Announcer की आवाज़ आई..."कि आज सुबह 8 बजकर 5 मिनट पर भारत ने, पश्चिमी भारत के एक अज्ञात स्थान पर शांतिपूर्ण कार्यों के लिए एक भूमिगत परमाणु परीक्षण किया है." 

वो अज्ञात स्थान पोखरण ही था. जहां, भारत ने पहली बार Smiling Buddha के नाम से Nuclear Test किया था. लेकिन, पोखरण-1 के परीक्षण के 24 वर्षों के बाद, 11 मई 1998 को, भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जैसे ही तीन Nuclear Tests के सफल होने की घोषणा की, तो अमेरिका सहित पूरी दुनिया चौंक गई थी. 

वर्ष 1998 में परमाणु परीक्षण की ज़िम्मेदारी, देश के पूर्व राष्ट्रपति और वैज्ञानिक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के पास थी. डॉ कलाम उस वक्त DRDO यानी Defence Research and Development Organization के प्रमुख और रक्षा मंत्रालय के वैज्ञानिक सलाहकार थे. लेकिन ये परीक्षण इतना आसान नहीं था. 9 अप्रैल 1998 को अटल बिहारी वाजपेयी ने डॉ एपीजे अब्दुल कलाम और उस समय परमाणु उर्जा आयोग के अध्यक्ष डॉ. राजगोपाल चिदंबरम से मुलाकात की.

तब अटल जी ने दोनों से पूछा, कि परमाणु परीक्षण में कितना वक्त लगेगा ?

इस सवाल के जवाब में डॉक्टर कलाम ने कहा 30 दिन.

इसके बाद, प्रधानमंत्री के तत्कालीन प्रमुख सचिव ब्रजेश मिश्रा से चर्चा के बाद परीक्षण के लिए 10 मई की तारीख तय हुई.

लेकिन तत्कालीन राष्ट्रपति KR नारायणन 26 अप्रैल से 10 मई के बीच Latin America के दौरे पर थे.

भारत के राष्ट्रपति को इस Nuclear Test की जानकारी नहीं थी. और उनके विदेश दौरे के बीच में ऐसा करना कूटनीतिक तौर पर अच्छा कदम नहीं साबित होता. इस परीक्षण से पहले अमेरिका अपने Spy Satellites की मदद से भारत पर कड़ी निगरानी रख रहा था.

मीडिया Reports के मुताबिक, उस समय भारत में होने वाली एक-एक घटना की जानकारी अमेरिका के खुफिया विभागों को मिला करती थीं. लेकिन भारत ने परमाणु परीक्षण की तैयारी इतनी गोपनीयता और कुशल रणनीति के साथ की थी, कि अमेरिकी Satellites भी उसे पकड़ नहीं पाए.

कुछ वैज्ञानिकों और गिने-चुने लोगों को छोड़कर इस परीक्षण के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं थी. यहां तक, कि सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारियों और मंत्रियों को भी इसके बारे में पता नहीं था. बताया जाता है, कि पोखरण के जिस Field में ये परीक्षण किया जाना था, उसमें दिन के समय में अलग-अलग खेल आयोजित किए जाते थे.

इन Sports Activities में सेना के जवानों के अलावा, वैज्ञानिक भी सैनिकों की वर्दी पहनकर हिस्सा लिया करते थे और जैसे ही भारतीय वैज्ञानिकों को इस बात की जानकारी मिलती, कि अमेरिका और अन्य देशों के Satellites की नज़र उनपर नहीं है, तो वो खुदाई का काम और परीक्षण की तैयारी करने लगते थे.

ऐसा भी कहा जाता है, कि परीक्षण के लिए ज़रुरी सामान को आलू और प्याज के ट्रकों में भरकर वहां तक पहुंचाया जाता था. इस पूरे ऑपरेशन को कितना गुप्त रखा गया था, इसका अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं, कि पोखरण के आस-पास के गांववालों को भी इसकी भनक नहीं लगी थी. 

परमाणु परीक्षण सफल होते ही डॉ कलाम ने हॉट लाइन पर सीधे अटल बिहारी वाजपेयी से बात की. अटल जी बेसब्री से इस फोन का इंतजार कर रहे थे.. और डॉक्टर कलाम ने उनसे सिर्फ इतना ही कहा कि एक बार फिर बुद्ध मुस्करा उठे हैं. क्योंकि परीक्षण सफल होने का कोड वर्ड यही था और इसके बाद उन्होंने फोन काट दिया.

Nuclear Test के बाद अमेरिका ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे. लेकिन बाद में भारत और अमेरिका के रिश्ते सामान्य हो गए. इसके अलावा दोनों देशों के बीच Indo-US Civilian Nuclear Deal पर भी समझौता हो गया.

1998 में भारत का Foreign Reserve क़रीब 29 Billion डॉलर था. जबकि आज यानी वर्ष 2017 में भारत का Foreign Reserve 372 Billion डॉलर से ज़्यादा है. यानी इन 19 वर्षों में भारत का Foreign Reserve 12 गुना ज़्यादा बढ़ गया.

वर्ष 1998 और 1999 में भारत में 12 हज़ार 343 करोड़ रुपये का Foreign Direct Investment हुआ था. लेकिन वर्ष 2016 और 2017 में भारत में 23 लाख करोड़ रुपये से भी ज़्यादा का Foreign Direct Investment हुआ.

 

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