सीताराम येचुरी ने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा नियुक्त राज्यपालों ने गोवा, मणिपुर या मेघालय में सबसे बड़ी पार्टी को आमंत्रित नहीं किया था.
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नई दिल्ली : माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि गोवा, मणिपुर और मेघालय में सबसे बड़ी पार्टियों को सरकार बनाने का न्योता नहीं दिया गया, इसलिए इसी नियम का कर्नाटक में भी पालन किया जाना चाहिए. उन्होंने विपक्षी नेताओं ने संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और जेडीएस नेता एचडी देवगौड़ा को भाजपा को हराने के लिए एकजुट रहने की सलाह दी. इस पर, पूर्व प्रधानमंत्री ने उन्हें भरोसा दिलाया कि उनकी पार्टी को तोड़ने के लिए भाजपा के दबाव बनाने के बावजूद वह धर्मनिरपेक्ष गठबंधन को नहीं छोड़ेंगे.
सीताराम येचुरी ने ट्वीट किया कि भाजपा सरकार द्वारा नियुक्त राज्यपालों ने गोवा, मणिपुर या मेघालय में सबसे बड़ी पार्टी को आमंत्रित नहीं किया. उन्होंने कहा कि पिछले साल गोवा में 40 सीटों में कांग्रेस के पास 17 सीटें थीं, मणिपुर में 60 सीटों में कांग्रेस के पास 28 सीटें थी, जबकि मेघालय में इस साल हुए चुनावों में 60 सीटों में कांग्रेस के पास 21 सीटें थी. इस उदाहरण का पालन किए जाने की जरूरत है. येचुरी ने कहा कि हाल ही में गोवा, मणिपुर और बिहार में जब सरकारों का गठन किया गया, तब इन्हीं नियमों का पालन किया गया.
Same 'rules' followed when state govts were formed in Goa, Manipur and Bihar recently, must be followed now. Sauce for the goose must be sauce for the gander! JD(S)-Congress are together, past the majority mark & must be called to form the govt and take the floor test #Karnataka
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) 15 मई 2018
उन्होंने बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली के एक ट्वीट का भी हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि खंडित जनादेश की स्थिति में बहुमत वाले गठबंधन को यह साबित करने की इजाजत देनी चाहिए कि उसके पास सरकार गठन के लिए संख्या बल है. येचुरी ने कहा कि भाजपा चुनाव हारने और सरकारें बनाने की कला में माहिर है. यह उसका ट्रेडमार्क या यूएसपी बन गई है.
BJP govt appointed Governors didn’t invite Single Largest Party in either Goa, 2017 (INC, 17 out of 40 seats), Manipur 2017 (INC 28 of 60) or Meghalaya 2018 (INC 21 out of 60). Union ministers gave arguments supporting them. The precedent is there to follow, right? #Karnataka pic.twitter.com/F4fXKxAhix
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) 15 मई 2018
विपक्षी सूत्रों के मुताबिक, देवगौड़ा सभी अन्य धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के संपर्क में हैं और लगातार विचारों का आदान-प्रदान चल रहा. एचडी देवगौड़ा और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी से बात हुई है. दोनों नेताओं को यह सलाह देने का फैसला किया गया कि वे भाजपा को रोकने के लिए हाथ मिलाएं.
राज्यपाल सबसे बड़ी पार्टी या गठबंधन में से किसे आमंत्रित करेंगे? जानें विशेषज्ञों की राय
उधर, देवगौड़ा ने विपक्षी पार्टियों को भरोसा दिलाया है कि जेडीएस को तोड़ने के भाजपा के दबाव के बावजूद वह धर्मनिरपेक्ष गठबंधन को नहीं छोड़ेंगे. हालांकि, विपक्षी पार्टियों ने फूंक-फूंक कर कदम रखने का विकल्प चुना है और जेडीएस की योजना के बारे में बताने से इनकार कर दिया.
कर्नाटक में गठजोड़ के काम करने को लेकर भी विपक्ष आश्वस्त है लेकिन उन्हें विधायकों की खरीद-फरोख्त का डर भी सता रहा है.
भाकपा महासचिव एस सुधाकर रेड्डी ने कहा कि हमेशा की तरह भाजपा के हर गलत जोड़-तोड़ और विधायकों की खरीद-फरोख्त करने की आशंका है. यदि चुनाव से पहले विपक्षी एकजुटता का यह विवेक होता तो नतीजे अलग आए होते. बहरहाल, अब सभी की नजरें राज्यपाल वजुभाई वाला पर है कि वह सरकार बनाने के लिए किसे न्योता देते हैं.