बीजेपी चाहे जीते या हारे, ये 5 संभावनाएं लगाएंगी उसकी नैया पार!
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बीजेपी चाहे जीते या हारे, ये 5 संभावनाएं लगाएंगी उसकी नैया पार!

बहुमत के लिए येदियुरप्‍पा सरकार को 111 विधायकों का समर्थन चाहिए होगा. प्रोटेम स्‍पीकर तभी वोट डाल पाएंगे जब टाई की स्थिति यानि दोनों ओर से बराबर वोट पड़ेंगे. यानि अब बहुमत का आंकड़ा 110 पर टिक गया है.

बहुमत के लिए येदियुरप्‍पा सरकार को 111 विधायकों का समर्थन चाहिए होगा. (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: कर्नाटक में मुख्‍यमंत्री बीएस येदियुरप्‍पा को शनिवार (19 मई) को बहुमत प्राप्‍त करने के लिए हर जुगत अपना रहे हैं. बीजेपी को विधानसभा चुनाव में 104 सीटें मिली हैं जबकि कांग्रेस को 78 और जेडीएस को 38 सीटें मिली हैं. विधानसभा में सदस्‍यों की कुल संख्‍या 224 है. चुनाव में 222 सीटों पर वोटिंग हुई. जेडीएस नेता एचडी कुमारस्‍वामी दो सीट से चुनाव जीते हैं, एक सीट वह छोड़ेंगे. इससे विश्‍वास मत से पहले कुल सीटों की संख्‍या 221 हो गई है. वहीं बहुमत के लिए येदियुरप्‍पा सरकार को 111 विधायकों का समर्थन चाहिए होगा. प्रोटेम स्‍पीकर तभी वोट डाल पाएंगे जब टाई की स्थिति यानि दोनों ओ से बराबर वोट पड़ेंगे. यानि अब बहुमत का आंकड़ा 110 पर टिक गया है. बीजेपी के पास पहले से ही 104 सीट हैं उसे 7 वोट अपने पक्ष में और चाहिए. बीजेपी विश्‍वास मत जीते या हारे, ये संभावनाएं उसे मदद पहुंचाएंगी.

  1. बीजेपी को विधानसभा चुनाव में 104 सीटें मिली
  2. कांग्रेस को 78 और जेडीएस को 38 सीटें मिलींं
  3. विधानसभा में सदस्‍यों की कुल संख्‍या 224 है

1-बीजेपी के पक्ष में अगर कांग्रेस/जेडीएस के 7 वोट पड़ जाएं तो वह विश्‍वास मत जीत जाएगी. हालांकि इस मामले में बागी 7 विधायकों को दल-बदल कानून का सामना करना पड़ेगा.

2-येदियुरप्‍पा के विश्‍वास मत से पहले कांग्रेस/जेडीएस के 14 सांसद इस्‍तीफा दे दें या शपथ लेने से इनकार कर दें. इससे विधानसभा का संख्‍याबल घटकर 206 पर आ जाएगा और फिर बहुमत के लिए चाहिए होंगे 104 वोट. इस मामले में एमएलए अयोग्‍य करार दिए जाएंगे लेकिन उपचुनाव में बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतकर दोबारा विधानसभा पहुंच सकते हैं.

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3-सत्‍ता पक्ष और प्रतिपक्ष दोनों के हौसले बुलंद हैं, ऐसे में विधानसभा में अगर गहमागहमी की स्थिति बनती है तो गवर्नर हाउस को सस्‍पेंशन मोड में रख सकते हैं.

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4-कांग्रेस-जेडीएस के एमएलए कोई गड़बड़ी न करें. विश्‍वास मत के दौरान वोट डालें और विश्‍वास मत जीत लें.

 

5-अगर येदियुरप्‍पा विश्‍वास मत जीतने में विफल रहते हैं तो उन्‍हें अपने पद से इस्‍तीफा देना पड़ेगा और इस मामले में वह हमदर्दी के पात्र बन जाएंगे. इससे 2019 में लोकसभा चुनाव में बीजेपी का पक्ष मजबूत होगा. ऐसा ही उसके साथ 2007 में हुआ था जब येदियुरप्‍पा को सात दिन में कुर्सी छोड़नी पड़ी थी.

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